लेखक : लोकपाल सेठी
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
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कर्नाटक में बीजेपी सरकार के मुखिया बसवराज बोम्मई की राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ की पृष्ठभूमि नहीं है। वे मूलतः जनता दल से आते है। लेकिन लगभग दो वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने जिस प्रकार से संघ का अजेंडा आगे बढाया है उससे उनकी छवि पक्के बीजेपी वाले के बन गई है। राज्य में विधान सभा चुनाव अगले कुछ महीनों में होने वाले है। यह माना जा रहा है कि पार्टी विकास से अधिक हिन्दू अजेंडे पर ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है इससे क्रम में पिछले कुछ दिनों में उन्होंने अपने हिन्दू वोट पक्के करने के लिए दो बड़ी घोषणाएं की। ये दोनों योजनायें उनके द्वारा विधान सभा में पेश किये गएबजट का हिस्सा थी।
पहली बड़ी घोषणा यह थी कि बंगलुरु से सटे रामनगर में अयोध्या मंदिर बनाया जायेगा तथा इसके लिए रामदेवरा बेट्टा ( पहाड़ी), क्षेत्र में लगभग 20 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है। मंदिर निर्माण के लिए एक समिति का गठन भी किया गया है। इसी प्रकार कोप्पल जिले में ऐतिहासिक विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी के निकट स्थित अंजान्द्री पहाडी पर स्थापित की जाने वाली हनुमान की मूर्ति की योजना में राज्य सरकार 100 करोड़ रूपये का योगदान देगी। बोम्मई ने यह भी कहा कि इन दोनों स्थलों को केंद्रीय सरकार के पर्यटन मंत्रालय दवारा तैयार किये जा रहे रामायण टूरिस्ट सर्किट में शामिल करवाया जायेगा।
रामनगर कई दशक पहले अख़बारों के सुर्ख़ियों में यहाँ हुई शोले फिल्म की शूटिंग के चलते आया था। यहाँ शूटिंग के लिए एक कम ऊँची पहाडी के पास पूरा गाँव बसाया गया था। तबसे से बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ आते है। इसी पहाडी इलाके में ही अयोध्या मंदिर बनाया जायेगा। ऐसा मन जाता है राम ने अपने 14 वर्ष के बनवास काल में से कुछ महीन रामदेवरा में ही गुअजरे थे।
राजनीतिक रूप से रियासत कालीन मैसुरु सहित यह इलाका मुख्यतः जनता दल (स) के प्रभाव वाला है। कांग्रेस का भी इसके कुछ इलाकों में प्रभाव है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डी के शिवकुमार भी इसी इलाके से आते हैं। यह एक वोक्कालिंग बहुल इलाका है। देश के प्रधान मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री रहे एचडी देवेगौडा, जो जनता दल (स) के सुप्रीमो है, इस समुदाय के विवाद रहित सबसे बड़े नेता है। बीजेपी पिछले कुछ वर्षों से यहाँ अपने पैर ज़माने की कोशिश कर रही है। लेकिन फ़िलहाल उसको अधिक सफलता नहीं मिली है। अब अयोध्या मंदिर के जरिये पार्टी अपने हिन्दू अजेंडे के आगे बढ़ा विधान सभा की कुछ सीटें यहाँ से जीतने की कोशिश कर रही है।
हम्पी के निकट स्थित अजीन्दरी पहाडी को हनुमान का जन्म स्थान माना जाता है। उनकी कार्यस्थली किशिकंधा भी इसी इलाके में है। प्राचीन काल में दंडकारनय के नाम से जाना जाने वाला यह इलाका कोप्पल जिले में आता है जहाँ कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों का प्रभाव हैं। पहाडी पर स्थित हनुमान मंदिर को बहुत प्राचीन काल का माना है। यहाँ हनुमान जयंती बड़े स्तर पर मनाई जाती है।
जब अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ उसी समय यहाँ की प्रबंध समिति, जिसमें विश्व हिन्दू परिषद् का वर्चस्व है, ने हनुमान तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया। इसके साथ ही यह घोषण की कि 1200 करोड़ की योजना से इस क्षेत्र का पुनर्निर्माण होगा तथा यहाँ अयोध्या में राम की मूर्ति के तरह हनुमान की मूर्ति लगाई जायगी। राम की मूर्ति जहाँ 221 मीटर ऊँची है वहीं हनुमान के मूर्ति 215 मीटर यानी राम के मूर्ति से 6 मीटर कम होगी। तर्क यह दिया गया कि हनुमान राम के सेवक थे इसलिए उनकी मूर्ति राम की मूर्ति के बराबर अथवा उससे ऊँची नहीं हो सकती। इसी के साथ ही धन एकत्रित करने के लिए हनुमान यात्रायें निकले जाने का क्रम भी शुरू हो गया। धनराशि एकत्रित किये जाने का अभियान अभी चल रहा है।
मुख्यमंत्री बोम्मई ने अपनेबजट में इस स्थल के विकास के लिए 100 करोड़ रूपये की धन राशि दिए जाने की घोषणा की। इस राशि का उपयोग यहाँ आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए ठहरने आदि की सुविधाएँ विकसित करने के लिए किया जायेगा।
रामनगर में अयोध्या मंदिर निर्माण तथा हनुमान मंदिर को विकिसत करने की योजना बीजेपी का एक चुनावी अजेंडा है जिसके जरिये पार्टी यहाँ अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहती है। हालांकि बीजेपी के नेता यह कह रहे है कि ये दोनों स्थल भगवान् राम से जुड़े हुए है लेकिन जन भावनायों के बावजूद पिछली कांग्रेस सरकारों ने इस क्षेत्र का विकास नहीं किया। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)