जयपुर। राजस्थान की उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री शकुंतला रावत ने हाल ही में राजस्थान के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के साथ-साथ निर्यात में एमएसएमई के योगदान को बढ़ाने के लिए अनुकूल नियामक वातावरण के साथ-साथ वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए एमएसएमई पॉलिसी 2022 की शुरुआत की। इस नीति में 10,000 करोड़ रुपये के संचयी निवेश और 1 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन के साथ 20,000 नई एमएसएमई इकाइयों की स्थापना की संकल्पना की गई है। नीति में 9,000 एमएसएमई को जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट (जेडईडी) प्रमाणन प्राप्त करने की सुविधा देने का भी प्रस्ताव है।
राजस्थान सरकार द्वारा राज्य के बजट 2022-23 में आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई थी कि छोटे व्यवसाय मालिकों और निवेशकों को बिना किसी परेशानी के उद्यम स्थापित करने के लिए आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करके एमएसएमई‘ज को बढ़ावा दिया जा सके। राजस्थान की उद्योग मंत्री ने संकेत दिया है कि इस नीति से छोटे व्यवसायों को लाभ होगा और अगले पांच वर्षों में राज्य में 50,000 से अधिक नए रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
राजस्थान में एमएसएमई स्कीम्स के तहत मैन्यूफेक्चरिंग, सर्विस इण्डस्ट्रीज और इसी तरह के अन्य उद्यमों को लाभ दिये जाते हैं। राष्ट्रीयकृत वाणिज्यिक और निजी क्षेत्र के बैंकों और अनुसूचित लघु वित्त बैंकों के साथ-साथ राजस्थान वित्त निगम और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों के माध्यम से ऋण स्वीकृत किए जाते हैं। इसके लिए 150 करोड़ रूपयों का प्रावधान आरक्षित है जो मार्च 2024 तक प्रभावी रहेगा। स्कीम के तहत नए विनिर्माण और सेवा उद्योगों के लिए 10 करोड़ रूपयों तक और विस्तार, विविधीकरण अथवा आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही इकाइयों के लिए 1 करोड़ रूपयों तक का ऋण दिये जाते है। इन योजनाओं में केश क्रेडिट लिमिट के साथ कम्पोजिट लोन, टर्म लोन और वर्किंग केपीटल लोन शामिल हैं।
आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार 10 लाख रुपयों तक के ऋण के लिए कोलेटरल सेक्यूरिटी की आवश्यकता नहीं है। बैंकों को अग्रेषित करने से पहले जिला स्तरीय टास्क फोर्स कमिटि द्वारा 10 लाख से अधिक ऋण के आवेदनों की जांच की जाती है। एक अन्य लाभ यह है कि राज्य सरकार इन ऋणों पर ब्याज सब्सिडी प्रदान करती है। राजस्थान में 90 प्रतिशत से अधिक उद्यमी एमएसएमई श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। इनकी विविध आवश्यकताओं पर विचार करना और उन्हें फलने-फूलने के लिए आवश्यक सुरक्षा एवं सशक्तिकरण प्रदान करना बेहद महत्वपूर्ण है। 37.33 लाख से अधिक कार्यरत लोगों के साथ, राजस्थान में विगत चार वर्षों में एमएसएमई क्षेत्र में समृद्ध अवधि रही है। इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद में योगदान 24.50 प्रतिशत होने का अनुमान है, और वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए एमएसएमई उद्योगों का कुल निर्यात 72,000 करोड़ रूपयों का रहा है।
राज्य में एमएसएमई सेक्टर आने वाले वर्षों में देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में भरपूर योगदान देंगा। राजस्थान सरकार एमएसएमई क्षेत्र के लिए बेहतर नियामक वातावरण बनाना जारी रखेगी और यह पॉलिसी इस क्षेत्र में मौजूदा और नए लोगों को बेहतर वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करेगी।
एमएसएमई को छोटे आकार के संगठनों के रूप में परिभाषित किया गया है जो विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में निवेश करते हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए एक नोडल एजेंसी, एमएसएमई सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत काम करती है। क्रेडिट-लिंक्ड फाइनेंसिंग सहायता, ब्याज सब्सिडी, विभिन्न कार्यों के लिए फंडिंग सपोर्ट, मार्केट सपोर्ट, फॉरेन प्रमोशन, टेक्नोलॉजिकल अपग्रेडेशन सहित कई कार्यक्रम बनाकर, यह केंद्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न चरणों में एमएसएमई‘ज को मदद प्रदान करती है। राजस्थान में, 26.87 मिलियन एमएसएमई हैं, और इनमें से महिलाओं के स्वामित्व वाले एमएसएमई‘ज (कुल 3,80,007) के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए, जिससे कुल 46.33 मिलियन रोजगार उत्पन्न हुए हैं।