नर बलि का जघन्य अपराध

लेखक :  लोकपाल सेठी

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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केरल देश का ऐसा राज्य हैं जहाँ शिक्षा की दर सौ प्रतिशत है। समाचार पत्रों की प्रसार संख्या अन्य राज्यों से कहीं अधिक है। प्रदेश में लगभग 26 प्रतिशत आबादी  मुस्लिम है। देश में मुस्लिम समुदाय में शिक्षा प्रतिशत आम तौर पर बहुत कम है लेकिन केरल में ऐसा नहीं है।शिक्षाविद यह मानते है जैसे जैसे  शिक्षा का विस्तार होता वैसे वैसे सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागरूकता बढ़ेती। इनमें एक कुरीति अंधविश्वास है जिसमें मन्त्र, तन्त्र और तांत्रिक क्रिया पर विश्वास करना भी है। 

लेकिन इस महीने शुरू में गोडसओन कंट्री (ईश्वर का अपना देश) में अंधविश्वास और मन्त्र, तन्त्र के नाम पर नर बलि का एक ऐसा मामला सामने आया  जिसने सबका दिल दहला कर रख दिया है। इसमें कथित रूप से लिप्त पाए गए व्यक्ति न केवल अच्छे खासे शिक्षित है बल्कि सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले के रूप में पहचान रखते है। घटना राज्य के प्रमुख नगर पथानाम्थिता शहर से केवल 10 किलोमीटर दूर एलान्थानूर गाँव की है जो प्रदेश की आर्थिक राजधानी कोच्ची से अधिक दूर नहीं है। केरल में पारम्परिक रूप से आयुर्वेदिक तेल मालिश से कई प्रकार के ईलाज किये जाते है। इन मालिश करने वालों को विद्यार, यानि वैद्य कहा जाता है। इसी गाँव के एक ऐसे ही वैद्य वासु  वैदायन इस इलाके में आयुर्वेदिक तेल की मालिश से ईलाज के लिए  बहुत मशहूर थे। उनका सारा परिवार पढ़ा लिखा था तथा समाज में उनका बड़ा सम्मान था। इनके बेटे भगवाल सिंह एक समय नौकरी के लिए खाड़ी के देशों में जाना चाहते थे। लेकिन जा वे इसमें सफल नहीं हुए तो उन्होंने पिता के वैद्य का काम को अपनाने का तय किया।

वे न केवल एक अच्छे वैद्य बने बल्कि कवि भी थे। वे अपने वाम कोच और प्रगतिशील विचारों के लिए जाने जाते थे। लगभग 26 वर्ष पूर्व उन्होंने लैला नाम  की महिला से शादी की, जो अपने पहले पति को छोड़ चुकी थी। परिवार अच्छा खासा सम्पन माना जाता था। इस महीने दूसरे हफ्ते में उनके कुछ पड़ोसियों ने शिकायत की कि उनके मकान की वाटिका से लगातार तेज़ बदबू आ रही है। गंध ऐसी थी जो गल सड़ गए मुर्दों के शरीर से आती है। मामला पुलिस तक पहुंचा। जब वाटिका की खुदाई की गई तो वहां दो महिलायों का गले सड़े शव मिले। उनके कुछ अंग भी गायब थे। उन दोनों की पहचान रोजली वर्गीस और पद्मम के रूप में की गई। दोनों अधेड उमर की थी। रोजली के परिवार वालों ने उनके गुम होने की रिपोर्ट जून के महीने में दर्ज करवाई थी। पद्मम की गुमशुदगी  की रिपोर्ट सितम्बर में दर्ज हुई थी। 

दम्पति को तुरंत हिरासत में ले लिए गया। पूछताछ में उन्होंने जल्दी ही स्वीकार कर लिया कि मन्त्रतन्त्र  करके अधिक धन अर्जित करने के लिए ही इन दोनों की नर बलि दी गई थी। इस काम के लिए उन्हें मोहम्मद शफी उर्फ़ रशीद नामके आदमी ने उकसाया और सहायता की थी। उसी ने दोनों महिलाओं को अगवाह किया था। इसके लिए उसे बड़ी राशि दी गई थी। वह अपने आप को तांत्रिक क्रिया का विशेषज्ञ होने का दावा करता था। कहने को तो वह एक  भोजनालय चलाता था लेकिन वह अपराधी किस्म का आदमी है। विभिन्न अपराधों के लिए पुलिस पहले भी एक दर्ज़न से अधिक बार गिरफ्तार कर चुकी है। 

रशीद न केवल अपराधी किस्म का व्यक्ति है तथा यौन की दृष्टि से वह एक मानसिक रोगी है। पुलिस का कहना है की उसने पहले दोनों महिलाओं से बलात्कार किया फिर उन्हें तांत्रिक क्रिया के नाम पर यातनाये दी। उनके शरीर के एक-एक करके अंग को काटा गया। पुलिस को उसने बताया की वह महिलायों के गुप्तांग काटने के बाद कई दिन तक अपने फ्रिज में सुरक्षित रखता था। इसीसे उसे आनंद का बोध होता था। जिन महिलायों की नर बलि दी गई वे अपने पति से अलग रहती थी तथा अपने बच्चों को पालने पोषने के लिए लाटरी बेचने का धंधा करती थी। उनके परिवार के लोगों का कहना है कि रशीद ने  उन्होंने धार्मिक कार्य में हिस्सा लेने के लिए तैयार किया था तथा उनको विश्वास दिलाया था कि इस काम के लिए उन्हें अच्छा खासा पैसा मिलेगा। 

इस घटना के बाद केरल पुलिस ने राज्य में पिछले कुछ समय से लापता हुई 32 महिलाओं के मामलों को फिर से खोल कर नए सिरे से जाँच शुरू कर दी है। पुलिस को शक है कि इनके पीछे भी रशीद का हाथ हो सकता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)