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मनोहरपुर (जयपुर)। हिन्दी दिवस के मौके पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में पत्रकार, साहित्यकारों आदि ने हिन्दी भाषा के महत्व, प्रयोग तथा उसको जन-जन की भाषा अपनाने पर अपने विचार व्यक्त किए।
पंचायतीराज मंत्रालय कर्मचारी संघ प्रदेश उपाध्यक्ष ओम चौधरी ने कहा कि हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा के साथ ही राजभाषा है। विश्व का निर्माण ही हिन्दी भाषा है। हमारे देश में कई तरह की भाषाएं बोली जाती है। उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य अत्यंत समृद्ध है। यह हमारा दायित्व है कि हम सभी हिन्दी साहित्य एवं भाषा के पठन-पाठन के प्रति जागरूक रहें। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को भी हिन्दी भाषा के समृद्ध कोष से अवगत कराया जाना आवश्यक है। हिन्दी भारत की सर्वाधिक प्रचलित भाषाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा व साहित्य का इतिहास विविधताओं व समृद्धता से परिपूर्ण है। कवि रसखान, महादेवी वर्मा, भारतेंदु और प्रेमचंद जैसे विद्वान साहित्यकारों द्वारा हिन्दी साहित्य को नए आयाम दिए गए। देश की आजादी में भी हिन्दी भाषा का काफी महत्व रहा है, चाहे वह आजादी के लिए तैयार किए गये हिन्दी नारे हो या फिर देशभक्ति कविताएं सभी ने देश की जनता के हृदय में क्रांति की ज्वाला को भरने का कार्य किया। यही कारण था कि हिन्दी को जन-जन की भाषा माना गया और आजादी के पश्चात इसे राजभाषा का दर्जा मिला। हम सभी संकल्पित होकर हिन्दी भाषा साहित्य के संवर्धन व प्रोत्साहन के प्रयास करें।
मजदूर नेता अब्दुल अज़ीज़ लोहानी ने कहा कि हिन्दी भाषा को मान-सम्मान देना हर नागरिक का कर्तव्य है। राष्ट्र भाषा हिन्दी को मान-सम्मान दिलाने का काम केवल सरकारी प्रयासों के भरोसे नही छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि हमारे पत्रकारिता जीवन मेंं समाचार पत्र प्रकाशन में शुद्ध हिन्दी का लेखन पाठकों में अमिट छाप छोड़ता है, हमें स्वयं भी भाषा की व्यापक जानकारी होने के साथ-साथ उसका प्रयोग करना भी आना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे देश की एक अलग की पहचान है जहां पर कई तरह की भाषाएं बोली जाती है लेकिन हमारी हिन्दी भाषा राष्ट्रीय भाषा है। हमें हिन्दी बोलने में अपने आप को गर्व महसूस करना चाहिए साथ ही अपने घर-परिवार में भी हिंदी का प्रयोग करना चाहिए!
ग्राम विकास अधिकारी शंकरलाल डोडवाडिया ने कविता ’हिन्दी हमारी आत्मा है, हमारी अस्मिता, हिन्दी हमारा मान-सम्मान, हिन्दी हमारी आन व शान है’’ के माध्यम से हिन्दी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में हिन्दी भाषा का प्रचलन बढा है। हिन्दी एक ऎसी भाषा है जो पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि हमारी राजस्थानी भाषा भी हिन्दी भाषा से मिलती-जुलती भाषा है। हमें हिन्दी भाषा का प्रयोग राजकीय कार्यालयों, संस्थानों, विद्यालयों में बोलने तथा इस भाषा के विकास के लिए अन्य लोगाें को भी प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दी दिवस का इतिहास आजादी के बाद देखा जा सकता है, जब देश में हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राज भाषा का दर्ज दिया गया था।
ग्राम विकास अधिकारी विजय कुमार घोसल्या ने कहा कि वर्ष 1953 से हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए हर साल 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाने की शुरूआत हुई। इस दिन संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राज भाषा घोषित किया।