सांभर राजकीय दरबार इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षकों की दरकार
भामाशाहों के भरपूर विकास में योगदान के बाद खाली पदों को भरने का इंतजार
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील (जयपुर)। ब्लॉक मुख्यालय पर क्षेत्र की सबसे बड़ी व प्राचीन भवन में संचालित सांभर की राजकीय दरबार उच्च माध्यमिक इंग्लिश मीडियम स्कूल में लम्बे समय से कक्षा पहली से बारहवीं तक में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को अनेक विषयों के शिक्षकों के रिक्त पड़े पदों के कारण नियमित पढाई से तो हाथ धोना ही पड़ रहा है, इसके अलावा शारीरिक शिक्षक की कमी से भी जो लाभ उन्हें मिलना चाहिये उससे भी पूरी तरह से वंचित है। प्रदेश सरकार की ओर से इंग्लिश मीडियम स्कूल में तब्दील करने के बाद दोगुनी गति से अभिभावकों का रूझान भी बढा और स्कूल प्रशासन के बेहतर कुशल प्रबन्धन के कारण बेतहाशा नामांकन वृद्धि भी हुयी।
यह लिखने योग्य है कि भामाशाहों की ओर से हर प्रकार से दिये गये योगदान के बाद जिस गति से स्कूल का भौतिक विकास देखने को मिला उस हिसाब से यदि सरकार रिक्त पड़े शिक्षकों व मंत्रालयिक वर्ग के पदों को भरने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाती है तो इसके और अधिक अनुकूल सार्थक परिणाम देखने को मिल सकते है, लेकिन प्रतीत होता है कि सरकार हिन्दी माध्यम को इंग्लिश मीडियम स्कूल में ही कंवर्ड करके अपनी शाबाशी बटाेरने में लगी है। जानकारी में आया है कि अधिकांश ऐसी स्कूलों में हिन्दी माध्यम से कम्पीटिशन फाईट करके शिक्षक बने उनका ही इंग्लिश में टेस्ट लेकर उन्हें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने के लिये शिक्षा विभाग ने प्रारंम्भिक तौर पर मुहर लगा दी अब उन्हीं से ही काम चलाया जा रहा है। इसके पीछे दूसरा कारण यह भी माना जा रहा है कि ऐसे शिक्षक अपना अन्यत्र तबादला होने के भय के चलते उन्होंने भी अंग्रेजी में इसके लिये इंटरव्यू पास करके अपनी व्यवस्था बैठा ली इस सच से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। इस स्कूल में 754 विद्यार्थी है जिनमें से 481 छात्र व 273 छात्राएं है।
वर्तमान में यहां पर इतिहास, हिन्दी, जीव विज्ञान, अंग्रेजी के कुल 4 व्याख्याता नहीं है। वरिष्ठ अध्यापक के तौर पर 1 शारीरिक शिक्षक भी नहीं है। 3 ऐसे विशेष शिक्षकों के पद खाली है जिनकों क्षेत्र की आसपास की सरकारी स्कूल में जाकर मूक-बधिर बच्चों को टेकल करके उनको पढाई के लिये शारीरिक भाषा के जरिये समझाकर उनका भविष्य संवारना, लेकिन इनका भी नहीं होना एक पीड़ादायक ही है। कक्षा पहली से पांचवीं तक पढ़ाने वाले 3 अध्यापकों एवं कक्षा छठी से आठवी तक के बच्चों को गणित का 1 टीचर उपलब्ध नहीं है। पुस्तकलाध्यक्ष के पद पर काम करने वाले 1 थर्ड ग्रेड टीचर का टोटा होने से पुस्तकालय में हजारों की संख्या में ज्ञानार्जन की पुस्तकें ताले में बंद धूल फांक रही है। बताया जा रहा है कि यहां पर जितना स्टाफ काम कर रहा है वह उसी में इतना व्यस्त रहता है कि इसके लिये अतिरिक्त समय निकालना भी दूभर हो गया है।
प्रयोगशाला सहायक के खाली पड़े 1 पद के कारण यहां के शिक्षकों से अधिक विद्यार्थियों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है। 1 वरिष्ठ लिपिक नहीं होने से भी परेशानी झेलनी पड़ रही है। सहायक कर्मचारी के 2 व 1 जमादार के पद खाली पड़े है, लिहाजा स्टाफ अपने स्तर से ही मेंनेज करके काम चला रहा है। यद्यपि इस संदर्भ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याधर सिंह चौधरी के द्वारा समय समय पर शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर क्षेत्र की सरकारी स्कूलों में जरूरत के मुताबिक रिक्त पदों को भरवाने की दिशा में ध्यान भी आकृष्ट करवाया जा चुका है।
इनका कहना है
सरकार की फ्लेगशिप योजना के अनुसार भामाशाहों के सहयोग से स्कूल में भौतिक विकास कार्य काफी बेहतर हुआ है। यदि शिक्षकों के रिक्त पदों को भर दिया जाये तो इस स्कूल को प्रदेश की श्रेष्ठ स्कूल बनाने का हमारा पूरा प्रयास रहेगा- टीकमचन्द मालाकार, प्रधानाचार्य, रादउमावि, सांभर
क्षेत्र की सभी सरकारी स्कूलों में खाली पड़े पदों को भरवाने के लिये सरकार प्रत्यक्ष रूप से कोई कवायद करती नजर नहीं आ रही है। हिन्दी से अंग्रेजी माध्यम स्कूल बनाना ही पर्याप्त नहीं है, जब टीचर ही उपलब्ध नहीं होंगे तो हम किस प्रकार से बच्चों के भविष्य को संवारने की सुनहरी कल्पना को साकार कर सकते है-गौरव कुमार उपाध्याय, एडवोकेट, सांभर