देवयानी सरोवर में पानी आवक के रास्तों को खुलवाने के कोई प्रयास नहीं...

नियमित साफ सफाई व रखरखाव की कमी से तीर्थ स्थल की शोभा पर दाग लगा

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। यहां अति प्राचीन देवयानी सरोवर में प्राकृतिक पानी के अवरुद्ध रास्तों को खुलवाए जाने की दिशा में शासन और प्रशासन की तरफ से कोई सकारात्मक प्रयास देखने को नहीं मिल रहे हैं। जिसकी वजह से इस तीर्थ स्थल का प्राकृतिक अस्तित्व  का वजूद काफी कम होता जा रहा है। इसके लिए पूर्व में भी उनकी ओर से पर्यटन मंत्री व पालिका प्रशासन से आग्रह कर इसका स्थाई समाधान निकाले जाने के लिए अनेक दफा स्थानीय लोगों की ओर से लिखा गया था, लेकिन उसे पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया गया है। 

गौरतलब है कि करीब दो दशकों से भी अधिक समय से सरोवर में पानी के प्राकृतिक रास्ते पूरी तरह से बंद पड़े हैं। प्राकृतिक रास्तों को खुलवाएं जाने की दिशा में कोई प्रयास आज तक नहीं हुए है। बता दें कि महाभारत एवं अनेक धार्मिक ग्रंथों में देवयानी का इतिहास वर्णित है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते वर्षों में पर्यटन और पुरातत्व विभाग की ओर से इस तीर्थ स्थल के जीर्णोद्धार व रखरखाव के लिए अब तक 50 लाख से अधिक रुपए फूंके जा चुके हैं। इसके बावजूद  सरोवर पर बने अनेक मंदिरों कि आभा लौट सकी और न हीं कुंड में जल भराव का स्थाई समाधान निकल सका। 

यह बताना जरूरी है कि इस सरोवर को पानी से भरने के लिए दो दफा बारिश के जल को लिफ्टिंग कर इस सरोवर को लबालब किया गया था। जिसमें अनेक भामाशाहो ने उन्मुक्त हाथों से अपना आर्थिक योगदान एवं पालिका प्रशासन की ओर से भी संसाधन उपलब्ध करवाए गए थे तो कुछ संसाधन यहां की काम करने वाली युवा टीम ने अपने स्तर पर जुटाये थे लेकिन स्थानीय प्रशासन व शासन के स्तर पर ऐसी कोई कवायद आज तक देखने को नहीं मिल रही है जिससे इस सरोवर का उद्धार पुष्कर तीर्थ स्थल की तरह उभर कर सामने आ सके। 

यह लिखने योग्य है कि इस दिशा में यहां के पुजारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां होने वाले विकास कार्य मैं कथित रूप से जमकर भ्रष्टाचार हुआ। इसी संदर्भ में स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र सुरेशचंद्र अग्रवाल, देवयानी स्थित बड़ के बालाजी मंदिर के पुजारी विवेक शर्मा व विकास शर्मा का कहना है कि सरोवर के अस्तित्व को बचाने के लिए चुने हुए जनप्रतिनिधियों को अपनी सक्रिय भूमिका अदा करनी होगी अन्यथा यह पुराणिक तीर्थ स्थल एक दिन इतिहास के पन्नों में ही पढ़ा जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री, पर्यटन मंत्री व  प्रशासन से अपेक्षित कार्रवाई किए जाने के लिए अपेक्षा की गई है।