आन्ध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी की चुनावी तैयारी

लेखक : लोकपाल सेठी

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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हालाँकि आन्ध्र प्रदेश में राज्य विधान सभा के चुनाव अभी डेढ़ साल बाद होने है लेकिन दक्षिण के इस प्रदेश में सत्तारूढ़ दल वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने अभी  से  इसके लिए तैयारिया शुरू कर दी है। राज्य के मुख्यमंत्री और पार्टी के सुप्रीमो जगन मोहन रेड्डी ने अपने इस क्षेत्रीय दल के संगठन को सक्रिय करने की मुहीम तेज कर दी है। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में तो बदलाव किया ही है इसके अलावा पार्टी संगठन में भी कई तरह के फेर बदल भी किये है। उन्होंने कुछ कदम ऐसे भी उठाये है ताकि पार्टी पर उनका और उनके परिवार का वर्चस्व बना रहे। 

जब तीन वर्ष पूर्व उन्होंने सरकार की कमान संभाली तो यह कहा था कि वे अगले ढाई साल के बाद इस बात की समीक्षा करेंगे कि कौन से विभाग तेजी से पार्टी के चुनावी घोषनाओं के कार्यकर्मों को लागू कर रहा है तथा मंत्रियों का काम काज कैसा चल रहा है। ढाई साल का यह समय पिछले साल के अंत में खत्म हो गया था लेकिन कोविड के चलते वे मंत्री मंडल में बदलाव को टालते चले गए। आखिर अप्रैल महीने में उन्होंने अपने सभी 24 मंत्रियों से त्यागपत्र ले लिया और फिर उन्होंने मंत्रिमंडल में बदलाव किया जिसमे आधे मंत्री नए थे।    

इस महीने के शुरू में लगभग पांच साल के अन्तराल के बाद पार्टी का प्रतिनिधि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें चुनावी तैयारियों का खाका बनाया गया। इस सम्मेलन के लिए उन्होंने अपने पिता तथा राज्य के स्वर्गीय मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के कर्म क्षेत्र गुंटूर को चुना तथा आयोजन स्थल एक गाँव खाजा था। कहने को तो यह प्रतिनिधी सम्मलेन था, लेकिन जगन मोहन रेड्डी को सुनने के लिए  एक लाख से भी अधिक लोग यहाँ पहुंचे। जगन मोहन रेड्डी ने दावा किया कि लगभग तीन वर्ष पूर्व हुए चुनावों में उन्होंने और उनकी पार्टी ने जो वायदे किये थे उसमे से 95 प्रतिशत  वायदे पूरे कर दिये गए है।  राज्य के रुके हुए विकास को उनकी सरकार ने एक नई गति दी है। 

2009 में जब उनके पिता और राज्य के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की एक हवाई हादसे में मृत्यु हो गई थी तो जगन मोहन रेड्डी चाहते थे की कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व उन्हें पिता का उत्तराधिकारी के रूप में लेते हुए पार्टी और सरकार के कमान उनको दे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका जिसके चलते राज्य कांग्रेस में फूट पैदा हो गयी। जगन मोहन रेड्डी ने कांग्रेस को तोड़ वाईएसआर कांग्रेस बना ली। 

हालाँकि शुरू उनकी पार्टी को अधिक सफलता नहीं मिली क्योंकि उस समय  राज्य की राजनीति में तेलगु देशम पार्टी का दबदबा था, लेकिन युवा जगन मोहन रेड्डी मेहनत करते रहे। 2019 के विधान सभा चुनावों में वे अपनी ताकत दिखाने में सफल रहे। उनकी पार्टी ने न केवल तब के सत्तारूढ़ दल तेलगु देशम पार्टी को पराजित किया बल्कि कुल 175  में से 151 सीटें जीतने में सफल रही। लोकसभा चुनावों में भी उनकी पार्टी अधिकतर सीटों पर जीतने में सफल रही। 

पार्टी के वर्तमान संविधान के अनुसार, जगन मोहन रेड्डी पार्टी के अध्यक्ष है तथा उनकी माँ विजयअम्मा इसकी मानद अध्यक्ष है। इस सम्मलेन में उनकी माँ ने अपना पद छोड़ दिया तथा पार्टी की पूरी कमान अपने बेटे को दे दी ताकि वे स्वतन्त्र रूप से पार्टी को चला सकें।  

कानून के अनुसार हर पंजीकृत और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को अपने अपने दल के संविधान के अनुसार चुनाव करवाने होते है तथा इसकी विधिवत सूचना चुनाव आयोग को देनी होती है। पार्टी संविधान में अगर कोई परिवर्तन किया जाता है तो उसके बारे में भी जानकारी देना जरूरी होती है। 

पार्टी के इस सम्मलेन में एक प्रस्ताव पारित करे जगन मोहन रेड्डी को आजीवन पार्टी का अध्यक्ष बने रहने का रास्ता साफ़ कर दिया। पार्टी नेताओं को पूरा भरोसा है कि चुनाव आयोग इस  संशोधन को स्वीकार करेगा। किसी पार्टी दवारा ऐसा प्रावधान पहली बार  नहीं  किया गया है। इससे पहले तमिलनाडु के वर्तमान सत्तारूढ़ दल द्रमुक ने पार्टी के संविधान ऐसा परिवर्तन किया था जो चुनाव आयोग विधिवत रूप से अनुमोदित किया था। उस समय करुणानिधी  को पार्टी का आजीवन अध्यक्ष बनाया गया था। इसी के चलते राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री एम् के, स्टालिन, जो पार्टी के अध्यक्ष भी है, आजीवन पार्टी   अध्यक्ष बने रहेंगे।

वाई एस आर कांग्रेस पार्टी ने यह संशोधन स्वीकार कर पुख्ता कर दिया है कि पार्टी की कमान सदा जगन मोहन रेड्डी के हाथ में रहेंगी तथा उनके नेतृत्व को चुनौती नहीं दी जा सकेगी। इस संशोधन से उनकी स्थिति मजबूत होगी ही इसके साथ यह भी तय हो गया कि पार्टी में अब केवल उनके परिवार का ही दबदबा रहेंगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)