25 वर्ष से ऊपर के हर चार में से एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक !

इटर्नल स्ट्रोक कॉनक्लेव- 2022 इंटरनेशनल स्ट्रोक अपडेट में देश-विदेश के एक्सपर्ट्स ने दी ब्रेन स्ट्रोक से जुड़ी जानकारियाँ 


अब एक टेस्ट से ही मालूम होगा ब्रेन हैमरेज का खतरा...
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जयपुर। अब एक ब्रेन एमआरआई टेस्ट से पहले ही मालूम किया जा सकता है कि व्यक्ति को ब्रेन हैमरेज होगा कि नहीं। एमआरआई की जांच से माइक्रो ब्लीडिंग जैसे कुछ मार्कर पर फोकस कर भविष्य में होने वाले ब्रेन हैमरेज के खतरे को भांपकर व्यक्ति को उससे बचाया जा सकता है। नई दिल्ली से आए सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. दलजीत सिंह ने यह जानकारी इटर्नल स्ट्रोक कॉनक्लेव- 2022 इंटर नेशनल स्ट्रोक अपडेट में दी। इटर्नल हॉस्पिटल की ओर से आयोजित इस एक दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में 200 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया और ब्रेन स्ट्रोक के इलाज में इस्तेमाल की जा रही नवीनतम तकनीकों के बारे में जानकरी दी। 

कॉनक्लेव के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. सुरेश गुप्ता ने सभी न्यूरो एक्सपर्ट्स का स्वागत किया और कहा कि संगोष्ठी में देश, विदेश एवं प्रदेश जाने-माने न्यूरो एक्सपर्ट्स ने शिरकत की। इस दौरान उन्होंने ब्रेन स्ट्रोक से जुड़ी नई तकनीकों, दवाओं और प्रोटोकॉल के बारे में गहनता से जानकारी दी। इस अवसर पर ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. सुरेंद्र खोश्या और डॉ. मदनमोहन गुप्ता ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में यूएसए, स्वीटजरलैंड के अलावा दिल्ली, चंडीगढ़, बेंगलुरु से भी विशेषज्ञ शामिल हुए। 

इस दौरान स्वीट्जरलैंड के डॉ. शाकिर हुसैन ने बताया कि बुढ़ापे की बीमारी मानी जाने वाली बीमारी ब्रेन स्ट्रोक अब युवाओं में ज्यादा होने लगा है। दुनियाभर में 25 साल से ज्यादा उम्र के हर चार में से एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है। हर साल ब्रेन स्ट्रोक के 13 मिलियन नए मरीज आ रहे हैं जिनमें 50 प्रतिशत मरीज कम उम्र के हैं। वहीं डॉ. जितेश ने स्ट्रोक ट्रीटमेंट में नए एडवांसमेंट के बारे में जानकारी दी। पद्मश्री डॉ. पदमा श्रीवास्तव ने बार-बार हो रहे ब्रेन स्ट्रोक को रोकने के लिए आई नई ड्रग थेरेपी के बारे में बताया। 

डॉ. अतुल प्रसाद ने बताया कि हार्ट पेशेंट में बनने वाले थक्कों की दिमाग में जाने की संभावना ज्यादा होती है जिसके लिए नई तरह की खून पतला करने की दवाएं मार्केट में आई हैं। डॉ. धीरज खुराना ने थ्रोम्बोलाइजिंग की नई दवा के बारे में बताया जिससे मरीज के दिमाग में ब्लीडिंग कम होती है और अच्छे परिणाम आते हैं। डॉ. अतुलाभ वाजपेयी ने ब्रेन स्ट्रोक के इलाज के बाद होने वाली रिकवरी के बारे में बताया। इसके अलावा यूएसए से डॉ. अनीश सिंघल, डॉ. ए. वेंकटेश, डॉ. नेहा डंगायच, बेंगलुरु से डॉ. गिरीश बी. कुलकर्णी ने भी नए एडवांसमेंट पर चर्चा की।

इस अवसर पर इटर्नल हॉस्पिटल की को-चेयरपर्सन मंजू शर्मा और सीईओ डॉ. प्राचीश प्रकाश ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक होने पर मरीज का इलाज काफी बेहतर हो गया है। इसके लिए जरूरी है कि पेशेंट का इलाज आधुनिक सेंटर पर हो जिससे इस बीमारी का अच्छा इलाज कर पेशेंट को कम से कम नुकसान हो। कॉनक्लेव के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. सुरेश गुप्ता और उनकी टीम के इस अथक प्रयास को उपस्थित एक्सपर्ट्स ने सराहनीय कदम बताया।