कोरोना काल में वैज्ञानिकों ने परखी योग की ताकत

डाॅ. अरुण गाैड़ 

अधीक्षक, एमजी अस्पताल

भीलवाड़ा। आईआईटी दिल्ली व महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय भीलवाड़ा के संयुक्त तत्वावधान में कोरोना के मरीजों का मानसिक स्वास्थ्य सुधार में योग की भूमिका का परीक्षण किया गया। यह शोध अध्ययन के परिणाम अमेरिका के प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय जनरल ऑफ योग थेरेपी पत्रिका में भी प्रकाशित हुआ है। इस शोध अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय के योगाचार्य उमा शंकर शर्मा थे। 

शर्मा ने बताया कि इस शोध अध्ययन में कोरोना वायरस से पीड़ित रोगियों के चिंता, तनाव व अवसाद का आकलन किया गया। इस अध्ययन में कुल 62 कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज शामिल थे, जिसमें से 31 मरीजों को सामान्य मेडिकल चिकित्सा के अलावा नियमित रुप से प्रतिदिन 50 मिनट योगाभ्यास कराया जाता था व अन्य 31 मरीजों को केवल सामान्य चिकित्सा सुविधा में रखा गया था।शोध अध्ययन के आश्चर्य चकित परिणाम देखने को मिले हैं, जिन मरीजों ने नियमित रुप से योगाभ्यास किया उनके चिंता, तनाव व अवसाद में कमी देखने को मिली। वहीं जिन मरीजों ने योगाभ्यास नहीं किया उनके चिंता, तनाव व अवसाद में कोई अंतर नहीं देखा गया। इस शोध अध्ययन में नियमित योग करने वाले मरीजों के एसपीओ 2 (ब्लड ऑक्सीजन लेवल) में भी अधिक सुधार देखने को मिला। 

इस अध्ययन से सामने आया कि योगाभ्यास करने से करोना पीड़ित मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य में अद्भुत सुधार होता है एवं उनके एसपीओ 2 में भी सुधार की संभावना अधिक बढ़ जाती है। योग चिकित्सा को मुख्यधारा की चिकित्सा के साथ में जोड़कर मरीजों के इलाज के लिए प्रयुक्त किया जा सकता हैं, जिससे कि उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य में शीघ्रता से सुधार देखा जा सके। इस शोध अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता महात्मा गांधी जिला चिकित्सालय के योगाचार्य उमा शंकर शर्मा के साथ आईआईटी दिल्ली के शोध वैज्ञानिक नितेश शर्मा, सहयोगी डॉ. पूजा साहनी, प्रो ज्योति कुमार एवं प्रो राहुल गर्ग रहे। 

काेराेना के दाैरान जाे राेगी तनाव में थे, उनकाे इससे निकालने के लिए वार्ड में मरीजाें काे याेग करवाएं गए। जिसका परिणाम हमारे सामने है। उस समय भी इससे काेराेना के मरीजाें काे लाभ भी मिला था। अब हमारे लिए गर्व की बात है। टीम ने अच्छा काम किया उसी का परिणाम है यह शाेध विदेश में भी छपा है।