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दुनिया में मौजूद प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में ब्लू टिक के रूप में वेरिफाइड प्रोफाइल तो आपने भी जरूर देखी होगी और कई बार मन में सवाल भी आया होगा कि आखिर ये टिक कैसे मिलेगा? लेकिन ‘आम’ यूजर्स की ‘खास’ बनने की यही चाहत कथितरूप से इन पारदर्शी, विश्वसनीय और खुद को बेहतर बताने वाले मंचों की उस नीति पर सवाल भी उठाती है कि क्या वाकई में यह हर यूजर को बराबरी से देखते हैं। टिक और बिना टिक वाले यूजर्स के बीच की खाई उसी तरह गहरी होती जा रही है, जिस तरह से अमीर और गरीब की। दुनिया में इंटरनेट पर हर व्यक्ति को बराबरी मिले और फ्री इंटरनेट का मकसद कामयाब हो, इसके लिए सोशल मीडिया के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति की जरूरत थी और अब भारत के पहले बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म कू ऐप ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए यह पहल कर दी है।
कू ऐप ने एक ऐसा फीचर लॉन्च किया है, जो अब तक कोई भी इस्तेमाल नहीं कर रहा है। कू ऐप ने सोशल मीडिया मंच को और ज्यादा विश्वसनीय, पारदर्शी और बेहतर बनाने के लिए स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन फीचर को पेश किया है। हालांकि, इसके साथ ही यह सवाल उठना लाजमी है कि स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन फीचर क्या है, इसके क्या फायदे हैं, यूजर्स इसे कैसे पूरा करेंगे और इसकी प्रक्रिया क्या है। तो चलिए आपको इससे जुड़े हर सवाल का जवाब देते हैंः
क्या है स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन?
सेल्फ-वेरिफिकेशन एक फीचर है जो कू ऐप द्वारा भारत सरकार के मध्यवर्ती दिशानिर्देशों और डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियम, 2021 के नियम 4 (7) के अनुसार प्रदान किया जाता है, इससे यूजर स्वेच्छा से अपने खाते को प्रामाणिक के रूप में वेरिफाइड कर सकते हैं। यह यूजर्स के लिए यह दिखाने करने का एक मौका है कि संबंधित कू प्रोफ़ाइल के पीछे एक वेरिफाइड यूजर है। सेल्फ-वेरिफाइड यूजर आसानी से असत्यापित यूजर्स से अलग हो जाते हैं। सेल्फ-वेरिफाइड यूजर के नाम के आगे एक ग्रीन टिक दिखाई देगा। यह निशान कू प्लेटफॉर्म पर अन्य सभी यूजर्स को दिखाई देगा।
कौन खुद को सेल्फ-वेरिफाई कर सकता है?
सेल्फ-वेरिफिकेशन सुविधा उन कू यूजर्स के लिए उपलब्ध है, जिनका कू पर खाता है और यूआईडीएआई द्वारा जारी वैध आधार नंबर से जुड़ा एक भारतीय फोन नंबर है। अगर आपके पास सरकार द्वारा जारी आधार नंबर से जुड़ा एक भारतीय फोन नंबर नहीं है, तो आप स्वेच्छा से सेल्फ-वेरिफाई करने में सक्षम नहीं होंगे।
यूजर को ऐसा क्यों करना चाहिए?
दरअसल, सोशल मीडिया पर बोट्स की इतनी ज्यादा संख्या है कि अनुमान लगाना मुश्किल है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि दुनिया के प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने बीते वर्ष करीब 170 करोड़ बोट्स को अपने मंच से हटाया था। जबकि इससे पहले कंपनी इससे ज्यादा बोट्स का सफाया कर चुकी थी। केवल एक प्लेटफॉर्म पर इतने ज्यादा बोट्स होने से सोचिए कि बाकी सारे मंचों पर इनकी संख्या कितनी होगी। इसके अलावा सोशल मीडिया मंचों पर फेक यूजर्स और फेस प्रोफाइल्स की संख्या भी बेहद ज्यादा है। ऐसे में बोट्स और फर्जी यूजर्स से छुटकारा पाने और अपनी पहचान एक प्रामाणिक यूजर के रूप में पेश करने के लिए सेल्फ-वेरिफिकेशन जैसा फीचर काफी काम का है।
क्या होगा फायदा?
एक यूजर जो अपनी प्रोफ़ाइल को वेरिफाई करता है, उसकी पहचान एक प्रामाणिक यूजर के रूप में की जाती है, जो बदले में उनके विचारों और राय को अधिक विश्वसनीयता प्रदान करता है। स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकेशन, मंच पर असल आवाजों को बढ़ावा देता है। यह उन्हें सत्यापन का वही विशेषाधिकार भी देता है जो अन्य सोशल मीडिया पर केवल कुछ प्रतिष्ठित खातों के लिए उपलब्ध था।
कू पर सेल्फ-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया क्या है? सेल्फ-वेरिफिकेशन प्रक्रिया को कू ऐप या वेब एप्लिकेशन के जरिये कुछ आसान चरणों में पूरा किया जा सकता है।
सबसे पहले अपनी प्रोफाइल पर जाएं। यहां आपको आपके नाम के आगे और सेटिंग्स बटन में क्लिक करने पर सेल्फ-वेरिफाई करने का विकल्प मिलेगा। सेल्फ-वेरिफाई को क्लिक करने पर आपको जरूरी जानकारी लिखी दिखेगी और आप चाहें तो विस्तृत जानकारी भी पढ़ सकते हैं। यहां ‘प्रोसीड विद वेरिफिकेशन’ बटन क्लिक करने पर आपको वेरिफिकेशन पार्टनर के सुरक्षित पेज पर भेज दिया जाएगा।यहां सरकार द्वारा अनुमोदित आधार कार्ड का एक डेमो दिखाई देगा और नीचे आपको अपना 12 अंकों का आधार नंबर दर्ज करना होगा। आधार संख्या दर्ज करने के बाद ‘गेट ओटीपी’ बटन पर क्लिक करें। सफल सत्यापन पर आप देखेंगे कि एक ग्रीन टिक यूजर के नाम के साथ कू प्रोफ़ाइल पर दिखाई देगा।
क्या कू यूजर का आधार नंबर स्टोर करता है? नहीं, कू आधार नंबर को स्टोर नहीं करता है। आधार संख्या को प्रमाणित करने के लिए यूआईडीएआई द्वारा स्वीकृत थर्ड पार्टी की सेवा का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या प्रमाणीकरण के बाद मेरे आधार कार्ड का विवरण कू पर दिखाई देता है?
नहीं, इसका इस्तेमाल केवल यूजर्स की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है।
क्या अन्य यूजर्स को मेरे नाम और आधार की जानकारी प्राप्त होगी?
नहीं। यूजर के प्रोफाइल पर विवरण वही रहता है जो सत्यापन से पहले हुआ करता था।
क्या कू पर अपना आधार विवरण दर्ज करना सुरक्षित है?
हां। कू पर स्वैच्छिक सेल्फ-वेरिफिकशन प्रक्रिया सुरक्षित है। यह सत्यापन प्रक्रिया भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा अधिकृत थर्ड-पार्टी द्वारा की जाती है। कू यूजर्स के डेटा को स्टोर नहीं करता है।