मंहगाई - उपाय बजाओ थाली
लेखक : डाॅ. सत्यनारायण सिंह
(लेखक रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी है)
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कोरोना काल में देश में धनकुबेरों की संख्या में भारी बढोतरी हुई। देश के 20 करोड लोग गरीब हो गये। ग्लोबल कन्सलटिंग फर्म वेन एण्ड कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार अमीरों का सीएसआर परोपकारी कार्यो पर खर्च 2014-15 में 18 प्रतिशत से घटकर 2020-21 में 11 प्रतिशत पर आ गया। भारत में प्राइवेट विदेशी कंपनियों का परमार्थ खर्च 2014-15 में 26 प्रतिशत था जो गिरकर 15 प्रतिशत पर आ गया।
भवन निर्माण सामग्री मंहगी होने से भारत में घर खरीदना 15 प्रतिशत तक मंहगा हो गया। गत डेढ माह में सीमेंट व इस्पात के दामों में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी हो चुकी है। घर बनाने की लागत 15 प्रतिशत बढ़ी, 10 प्रतिशत और बढ़ने की आशंका है। डवलपर्स ने 12 प्रतिशत दाम बढा दिये, निर्माण कार्य रोके जा रहे है। नये प्रोजेक्टस की लागत 13 प्रतिशत बढ़ी है, केपीटल गेन को सरकार इनकम का हिस्सा मानती है परन्तु व्यक्तिगत चल सम्पत्ति की कमाई को अलग रखा गया है जैसे कार, फर्नीचर आदि। शेयर बाजार का नुकसान केपीटन गेन से सेटआफ किया जाता हैं 31 जनवरी 2018 के बाद पर ही टैक्स लगता है। विधानसभा चुनावों के बाद प्रतिदिन पैट्रोल, डीजल, व्यवसायिक व घरेलू रसोई गैस आदि पर टैक्स बढा है। पैट्रोल डीजल अब क्रमशः 114.07 व 97.24 प्रति लीटर हो गया है। सिलेण्डर अब 140 रूपया मंहगा हुआ। मार्च 2014 में 410.05 रूपया था जो अब हजार पार हो गया है, 1048 तक पंहुच गया है। थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल प्रति लीटर 25 रूपया मंहगा हो गया। टोल टैक्स बढोतरी से सामान मंहगा ओर होगा।
रिकार्ड मंहगाई और विकास दर में गिरावट से आर्थिक परिदृश्य पर संकट के बादल छा गये है। बेजीटेबिल आइल की कीमतों में तेजी से कीमतें उच्च स्तर पर पंहुच गई है। एल्यूमिनियम, ताम्बा, जस्ता, सीसे की कीमतों में वृद्धि हुई है। कम्पनियों ने बढी हुई कीमतों का बोझ उपभोक्ताओं पर डाल दिया है। खुदरा मंहगाई दर उपरी सहन क्षमता से उपर पंहुच गई है। सरकार ने सीमा शुल्क कम नहीं किया है। तेल की कीमतें आधारभूत कीमतों से 35-40 प्रतिशत उपर चल रही है। दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने ब्याज दरे बढाकर मंहगाई प्रबन्धन पर नये सिरे से कार्यवाही की है परन्तु राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए आरबीआई केवल थाली पीट रही है। दूध, चाय, काफी, मैगी के साथ सीएनजी भी मंहगी हो चुके है। चारा, कपास 50-60 प्रतिशत, सोया, सरसो, मूंगफली, खल, बिजली मंहगी हो गई है। मुंबई में थोक उपभोक्ताओं के लिए डीजल का दाम बढ़कर 122.05 रूपया हो गया है, ट्रांसपोर्ट कोरपोरेशन बढ़ी कीमत पर खरीदेंगे, माल ढुलाई की कीमत बढेगी। पावर प्लान्ट, सीमेन्ट प्लांट, केमिकल प्लांट, स्पिनिंग मिल्स, रोलिंग मिल्स को भी मंहगा ईधन खरीदना पडेगा। एयरपोर्ट्स, माल व अन्य कारखानों के परिचालन की लागत बढ जायेगी। थोक की बजाय रिटेल में खरीद करेंगे।
मोदी दुनिया में सबसे लोकप्रिय नेता है इसलिए मंहगाई की ओर ध्यान नहीं है। असमानता, गरीबी, बेरोजगारी, मंहगाई बढ़ रही है। श्रम मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2022 में ईपीएफओ से जुड़ने वाले नए सदस्यों की संख्या एक लाख से भी अधिक घटी है। देश के फार्मल सेक्टर में जनवरी में नौकरियां कम हुई है। रोजमर्रा की जरूरत के सामान के लिए जेब अधिक ढीली करनी पड़ रही है। गेंहू, पाल आयल, पैकेजिंग सामान की कीमतों में वृद्धि से एमएमसीजी कंपलियों ने 10-15 प्रतिशत कीमतों में वृद्धि कर दी है। मैगी, चाय, काफी जैसे उत्पादो के दाम 7 से 16 फीसदी तक बढ़ गये है और 15 प्रतिशत बढने के आसार उत्पन्न हो गये है। फरवरी में साबुन में 4-6 प्रतिशत, टूथपेस्ट में 7-11 प्रतिशत, माउथवाश में 7-15 प्रतिशत, शैम्पू में 7 प्रतिशत, पीएंडजी में 10 प्रतिशत, फेशवाश में 5-9 प्रतिशत, डिटर्जेंट में 3-5 प्रतिशत, मूंगफली का तेल 22 रूपया मंहगा हो गया। सरसों का तेल 40 रूपया लीटर मंहगा होकर 188 रूपया लीटर हो गया।
बेरोजगारी की वजह से इंजीनियरिंग को लेकर युवा की रूचि घटी है। मंहगाई की वजह से मिलावटी खाद्य पदार्थ और नकली दवाओं की संख्या बढ गई है। विकास की दिशा उपर से नीचे है, नीचे से उपर नहीं। जनवरी में मंहगाई में रिकार्ड इजाफा हुआ। हर 1000 लोगों में 323 लोग बेरोजगार है, 80 प्रतिशत पर पंहुच गई बेरोजगारी की दरे। महिलाओं को केवल 19.4 प्रतिशत नौकरियां मिली।
शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक संकट है। ग्रामीण में 8.35 प्रतिशत व शहरों में 7.55 प्रतिशत बेरोजगारी है। राजस्थान में 32.3 प्रतिशत, हरियाणा में 31.5 प्रतिशत, बिहार में 14 प्रतिशत, झारखंड में 15 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 13.2 प्रतिशत है। भारत में धनकुबेरों की संख्या 11 प्रतिशत बढ़ी है। भारत में अब 145 अरबपति रीयल सेक्टर में धूम मचा रहे है। रूपया कमजोर हो गया। 30 मिलियन डालर यानि 225 करोड रूपये से अधिक संपत्ति वाले लोगों की संख्या 30 प्रतिशत बढ़कर 19900 के पार होगी एचएनआई की संख्या। थोक मंहगाई दर 13.11 प्रतिशत तक पंहुच गई है। एमएसएमई सेक्टर की तीन में से 2 इकाईयां अस्थायीतौर पर बन्द हो गई है। मनरेगा में 11.3 करोड ने काम मांगा, दो करोड को नहीं मिला। खाद सब्सिडी घटी है, एमएसपी पर खरीद का बजट घटा है। जनधन योजना जिसमें 30 हजार करोड बांटे जाने थे, बन्द कर दी गई।
ग्रीबों के हाथ में पैसे देकर खपत बढ़ाना आर्थिक चक्र चलाने के लिए जरूरी है। रोजगार आधारित उत्पादक योजनाओ पर खर्च बढाना आवश्यक है। अनउत्पादक कार्यो पर करोडों अरबों खर्च करने से बेकारी, बेरोजगारी, गरीबी, मंहगाई ही बढेगी। सरकार मंहगाई के मुद्दे पर पूर्णतया गंभीर नहीं है। औद्योगिक विकास व कृषि विकास आगे नहीं बढ रहा है। गरीबी व्यक्तिगत नहीं है, सामूहिक है। गरीबी उन्मूलन का साहसिक अभियान आवश्यक है परन्तु कोर सेक्टर का हाल उत्साहजनक नहीं है। कृषि क्षेत्र की विकास दर में कमी आई है। 4.1 प्रतिशत से गिरकर 2.6 प्रतिशत रह गया है। सरकार का ध्यान चुनावों में जीत हासिल कर वाहवाही लूटने की तरफ है। कोरोना की रोकथाम के लिए थाली बजाने का उपदेश मिला था, अब मंहगाई से निपटने के लिए भी यही तरीका बताया जा रहा प्रतीत होता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)