वर्ष 1982 में कैम्प कोर्ट के जारी हुये थे, लेकिन कई सालों से यह व्यवस्था भी ठप्प
शैलेश माथुर की रिपोर्टwww.daylife.page
सांभरझील (जयपुर)। सांभर में एसडीएम मुख्यालय पर अपर जिला कलक्टर का कार्यालय खुलवाये जाने के लिये बार एसोसिएशन विगत 39 साल से अकेले लगातार संघर्षरत है, लेकिन सरकार पर राजनीतिक दबाव नहीं होने के कारण उनकी वाजिब मांग स्वीकार नहीं की जा रही है, जबकि दूदू में गत साल प्रदेश सरकार ने एडीएम की सौगात देकर सांभर के साथ एक प्रकार से सौतेला ही व्यवहार किया है। यह बताने योग्य है कि सांभर उपखण्ड के अधीन ही पहले दूदू, फागी तक क्षेत्राधिकार आता था, लेकिन इनको पृथक उपखण्ड का दर्जा देने के बाद सांभर की प्रशासनिक सीमायें भी कम हो गयी, जो सौगात सबसे पहले सांभर की झोली में आनी चाहिये थी उसके हक को दरकिनार कर इसके वजूद को कम करने से यहां के क्षेत्रवासियों की भावनाएँ आहत है।
बार एसोसिएशन की ही प्रबल मांग को ध्यान में रखते हुये वर्ष 1982 में सरकार ने सांभर में एडीएम का कैम्प कोर्ट लगाने के आदेश प्रसारित किये थे, दो तीन साल बाद बिना किसी आदेश के कैम्प कोर्ट लगना बंद हो गया, जिसकी वजह से तहसीसलदार व उपखण्ड अधिकारी न्यायालय से पारित होने वाले राजस्व सम्बन्धी मुकदमों की अपील करने के लिये क्षेत्र के सैंकड़ों पक्षकारों को जयपुर कलक्ट्रेट स्थित एडीएम कोर्ट में जाना पड़ता है, जिससे पक्षकारों व वकीलों के लिये भारी पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि सांभर से जयपुर अपील की तारीख होने के दौरान बार बार आने जाने से वकीलों को सांभर में चल रहे अन्य मुकदमों की पैरवी के लिये आगामी तारीख लेनी पड़ती है और जयपुर सुनवायी के लिये जाने से न तो पक्षकारों को समय पर न्याय मिल पा रहा है और न ही प्रभावी तरीके से अपीलों की सुनवायी का पर्याप्त समय में ही मिल पाता है।
बताया जा रहा है कि इससे न्याय का हनन होता है और पक्षकार मानसिक व शारीिरक रूप से परेशान होते रहते है। सरकार की ओर से कुछ माह पहले ही दूदू को एडीएम कोर्ट की सौगात देने के बाद सांभर उपखण्ड के अधीन न्यायिक क्षेत्राधिकार की सुनवायी दूदू में किये जाने के आदेश से खफा होकर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत, सचिव सुरेश कुमार शर्मा, पूर्व अध्यक्ष शेख शमीमुलहक, पूर्व सचिव वीरेन्द्र सिंह शेखावत, लक्ष्मणसिंह खंगारोत, पूर्व कोषाध्यक्ष लालचन्द कुमावत, सह सचिव दिव्यराज वीर गुर्जर, तेपाल प्रजापत व शिष्टमण्डल में शामिल अन्य पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार के राजस्व मंत्री रहे हरीश चौधरी से उनके आवास पर मुलाकात कर समस्या को उजागर किया तब कहीं जाकर दूदू से न्यायिक क्षेत्राधिकार हटाकर वापस सांभर तो कर दिया गया लेकिन सांभर में पृथक से एडीएम कोर्ट स्वीकृत किये जाने के लिये साफ इंकार कर दिया।
जानकारी में आया है कि बार एसोसिएशन की ओर से सत्ता पक्ष से जुड़े कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याधर सिंह चौधरी ने भी राजस्व मंत्री चौधरी से अनुरोध किया था, लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी। खास बात यह भी है कि पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के जबरदस्त प्रभाव को ध्यान में रखते हुये बार एसोसिएशन की तरफ से उनके आवास पर मुलाकात कर उन्हों भी इस आशय का ज्ञापन सौंपा गया था, लेकिन यहां से भी परिणाम सकारात्मक आज तक नहीं आये है। इस मामले में बात करने पर अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व कोषाध्यक्ष लालचन्द कुमावत, सचिव सुरेश शर्मा का कहना है कि बार एसोसिएशन की सबसे पुरानी मांग को स्वीकार नहीं करने से क्षेत्रवासिसों को प्रशासनिक व न्यायिक कार्य में त्वरित जो लाभ मिलना चाहिये था, वह नहीं मिल रहा है। पॉलिटिकल प्रेशर सांभर के हित के लिये लगता पूरी तरह से शून्य है। हमारी मांग आज भी जारी है, लेकिन सरकार की मेहरबानी का इंतजार बना हुआ है।