लेखक : लोकपाल सेठी
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक)
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पिछले साल के शुरू में विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत से तीसरी बार सत्ता में आने के बाद टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस वाला राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा मोर्चा बनाने की पहल की थी। वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार मिलने मुंबई पहुँची। उद्धव ठाकरे ने तो मिलने से इंकार कर दिया और जब वे शरद पवार से मिली तो उनकी तरफ से ठंडा सा स्वागत मिला. शरद पवार पावर का कहना था कि उनकी पार्टी वर्तमान में राज्य में शिवसेना – कांग्रेस सरकार का हिस्सा है तथा वे फ़िलहाल इस गठबंधन से निकलना नहीं जाहते। इसी प्रकार जब वे ओडिशा की मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिली तो उनकी तरफ से कोई सीधा जवाब नहीं मिला। बिना कहे ममता बैनर्जी की पहली शर्त यह थी कि तीसरे मोर्चे के नेता वही होंगी जो न तो नवीन पटनायक और न ही उद्धव ठाकरे को मंजूर था। इसलिए तीसरे मोर्चे के गठन का मामला आगे नहीं बढ़ा।
अब ममता बैनर्जी ने दक्षिण के दो गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी दो मुख्यमंत्रियों की नब्ज़ टटोलनी शुरू की है। पिछले दिनों उन्होंने द्रमुक के नेता तथा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम् एक स्टालिन से फ़ोन पर बात की तथा तीसरे मोर्चे के गठन की दिशा में पहल करने की सलाह दी। तमिलनाडु में कांग्रेस पार्टी द्रमुक के नेतृत्व वाले मोर्चे का हिस्सा है फिर भी स्टालिन ने यह कहा कि उनकी पार्टी भी ऐसे तीसरे मोर्चे के गठन के पक्ष में है ताकि बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके। बताया जाता है कि उन्होंने कहा कि वे अभी ऐसे मोर्चे को एक चुनावी गठबंधन के रूप नहीं देखना चाहते। वे ऐसे मोर्चे की आवश्यकता इसलिए मानते है की केंद्र में बीजेपी नीत एनडी सरकार जिस ढंग से से राज्यों के अधिकारों का हनन कर रही है उसको रोका जा सके।
ममता बैनर्जी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति के सुप्रीमो के. सी. राव से भी पर बात की। राव भी देश में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव से आशंकित है तथा हर हालत में इसे रोकना चाहते है। उन्होंने ममता बैनर्जी को हैदराबाद आने का निमत्रण दिया है। अगर ऐसा तुरंत संभव नहीं तो वे कोलकत्ता आने को तैयार है। उन्होंने यह भी वायदा किया कि वे जल्दी मुम्बई जा कर उद्धव ठाकरे से मिल कर उन्हें तीसरे मोर्चे में लाने की कोशिश करेंगे।
ममता बैनर्जी ने फ़िलहाल आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी से बात नहीं की है.ठीक इसी तरह उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को मन को दूसरी बार अभी तक नहीं टटोला है। बताया जा रहा है कि इस बार ममता बैनर्जी ने मोर्चा का नेतृत्व अपने पास रखने की शर्त भी फ़िलहाल नहीं रखी है। ऐसा माना जा रहा है कि स्टालिन से बात करने से पहले ममता बैनर्जी ने उनका मन टटोलने के लिए राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू यादव से बात की थी। यह सहमति बनी थी कि पार्टी के नेता तथा बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को स्टालिन और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के सी राव से मिलने भेजा जाये। तेजस्वी की इस यात्रा के बाद ही ममता बैनर्जी ने दक्षिण के इन दोनों मुख्यमंत्रियों से बातचीत की थी।
चूँकि ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की तरह आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी, मोटे तौर बिना एनडीए में शामिल हुए बिना केंद्र में बीजेपी के साथ रहे है इसलिए फ़िलहाल उनसे बातचीत करने के कोई लाभ नहीं।
के सी राव के अनुसार वे अभी नहीं कहा सकते की इस तीसरे मोर्चे का गठन कब तक होगा लेकिन यह जरूर कह सकते है की इस मोर्चे के गठन में उनकी महत्ती भूमिका होगी। इस अब इस बात की कोशिश हो रही है कि ये चारों के चारों मुख्यमंत्री तथा कुछ अन्य पार्टियों के नेता जल्दी ही दिल्ली मिल कर तीसरा मोर्च बनने के प्रयासों को आगे बढायें।
ममता बैनर्जी और स्टालिन अपने अपने राज्यों में इन प्रदेशों के राज्यपालों के खिलाफ मुहीम चलाये हुए है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने न केवल कुछ विश्वविद्यालयों के उप कुलपतियों की नियुक्तियों के प्रस्तावों को वापिस भेज दिया बल्कि हाल ही में राज्य विधानसभा के सत्र का सत्रावसान बिना सरकार की इच्छा से ही कर दिया। उधर तमिलनाडु के राज्यपाल टीएन रवि ने नीट परीक्षायों से संबधित एक विधेयक पर अपनी सहमति देने से इनकार दिया। इन्ही मुद्दों को लेकर ममता बैनर्जी और स्टालिन राज्यपाल का पद ही समाप्त किये जाने की मांग कर चुके है। उनका कहना है केंद्र में बीजेपी की सरकार की ओर से नियुक्त ये राज्यपाल राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा राज्य सरकारों के अधिकारों पर अंकुश लगाये जाने की हर संभव कोशिश कर रहे है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)