सांभर की निराली फीणी ने प्रदेश भर में बनायी खास पहचान

20 ग्राम की फीणी में होते हैं 1296 तार

शैलेश माथुर की रिपोर्ट 

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सांभरझील (जयपुर)। सांभर के हलवाईयों की ओर से परम्परागत तरीके से तैयार की जाने वाली फीकी व मीठी फीणी की प्रदेश भर में अनूठी पहचान है, यही कारण है कि कई दशकों से बनने वाली सांभर की फीणी का जो निराला स्वाद एक बार चख लेता है, वह दोबारा जब भी यहां आता है तो खास मिष्ठान में शुमार इस फीणी को ले जाना नहीं भूलता है। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर के बावजूद इसके उत्पादन से जुडे कारीगर इसकी गुणवत्ता से आज भी समझौता नहीं करते हैं, यहीं कारण है कि यहां के कुछ हलवाईयों के नाम इतने प्रसिद्ध हो गये है कि लोग सीधे उनके दुकान पर जाकर फीणी खरीदना पसंद करते हैं। 

सर्दियों के मौसम शुरू होने के साथ ही इसकी मांग भी तेजी से बढने लगती है, लेकिन बताया जा रहा है कि दिसम्बर से जनवरी ये दो अहम महीने इसके लिये खास माने जाते है, क्योंकि जितनी अधिक सर्दी होती है फीणी उतनी ही शानदार व खिलती हुयी बनती है, हालाकि सांभर में पूरे वर्ष भर फीणी बिकती है, लेकिन शीतकालीन सत्र में इसका स्वाद लोगों की जुबार पर चढ़कर बोलता है। हलवाई के व्यवसाय से जुडे पूर्व पार्षद विष्णु कु़मार सिंघानिया व सुरेश कुमार शर्मा से बात करने पर बताया कि फीणी बनाने के लिये मैदा को गूंथकर लोये तैयार कर अनेक दफा इसके आंटी दी जाती है, घी चुपड़ कर इसके छोटे छोटे टुकड़े कर लिये जाते है और इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि कहीं अधिक दबाव नहीं पड़े, इसके बाद मध्यम आंच में घी में इसको तला जाता है, जब फीणी बनकर तैयार हो जाती है तो उसका एक तार तार अलग नजर आने लगता है। 

बताया गया कि यदि एक फीणी में 1296 के आसपास तार नहीं हो तो फिर उसका उतना मजा नहीं रहता है। यहीं सबसे बड़ी कला यहां के हलवाईयों की है। फीणी जितनी हल्की होगी उतनी ही उसका गुणवत्ता होती है और उसका स्वाद भी निराला होता है। निर्धारित मापदण्ड से तैयार की गयी एक फीणी का वजन 20 से 25 ग्राम के बीच में ही होता है। जानकारी करने पर बताया गया कि मकर सक्रान्ति पर दान पुण्य करने वाले लोगों, प्रदेश भर से आने वाले पर्यटकों के कारण इन दो महीनों में फीणी का जबरदस्त उठाव होता है। 

बताया गया कि दूध के साथ फीकी फीणी खाने वाले शौकिनों की ओर से इसे नाश्ते के तौर पर आज भी इस्तेमाल किया जाता है। यहां पर देशी व वनस्पति घी से दोनों ही तरह की फीणी तैयार करने में दिन-रात कारीगर जुटे रहते है। फीकी फीणी का भाव 160 से 180 रूपये किलो व देशी घी से तैयार की जाने वाली फीणी का भाव 450 रूपये प्रतिकिलो है जो जयपुर के मुकाबले कामी अधिक कम है। इसके स्वाद के पीछे यहां की आबोहवा व हलवाईयों की ओर से अपने पुरखों से सीखी गयी कला इसकी पहचान को आज भी कायम रखे हुये है।