लेखिका : ममता सिंह राठौर
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प्रकाशपर्व मनाइये पर भीतर दीप जलाइये
हर्ष और उल्लास गाइये दीपोत्सव मनाइये
जल सके कलुषता, तो आग लगाइये
प्रेम और सौहार्द से धरा को जगमगाइये
मिटा सको तो मिल के, मै, मिटाइये
मिला सको तो मिल के हिलमिल हो जाइये
जहाँ की खूबसूरती सारे जहाँ को दिखाइये
सभ्यता, संस्क्रति के रंग में रंग जाइये
वतन से मोहब्बत, न वतन को बताइये
जब आये ऐसा मौका तो कर के दिखाइये
गणपति जी गाइये, माँ लक्ष्मी को बुलाइये
एक फूल धरा के सितारों पर चढ़ाइये
झिलमिल-झिलमिल दीपावली मनाइये...