शल्य चिकित्सक व ऑर्थोपेडिक्स के अभाव में एसएमएस किया जाता है रैफर
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
www.daylife.page
सांभरझील (जयपुर)। उप जिला मुख्यालय पर मौजूद राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कई दशकों से आज भी सरकार की अनदेखी के चलते अनेक सुविधाओं का मौहताज बना हुआ है। अस्पताल को वर्तमान में जनरल सर्जन व हड्डी रोग विषेशज्ञ की खास जरूरत है, साथ ही इनके सहयोग के लिए निश्चेतन चिकित्सक की भी दरकार है। इनकी खास जरूरत इसलिए है कि यहां का सी.एच.सी. सांभर-नागौर-जयपुर स्टेट हाईवे से जुडा हुआ है। इन मार्गो पर गंभीर सडक हादसे होते रहते है।
दुर्घटनाओं में अधिकांशतः फ्रेक्चर के मामले अधिक होते हैं, ऐसे में मरीज को यहां पर केवल प्राथमिक उपचार के बाद जयपुर के सवाईमानसिंह चिकित्सालय में रैफर करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है, यदि ऐसे मामलों में सरकार व व स्वास्थ्य विभाग का दायित्व बनता है कि वे येनकेन प्रकारेण सर्जन, हड्डी रोग विषेशज्ञ व निश्चेतन चिकित्सक की नियुक्ति करें ताकि इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को नया जीवन प्राप्त हो सके।
प्रमुख रूप से जब इन तीनों का अभाव बना हुआ है तो मरीज का ऑपरेषन व हड्डियों को जोडने का काम भी कौन करे। सर्जन, हड्डी रोग विषेशज्ञ, निश्चेतन चिकित्सक, नर्सिग स्टाफ, अभाव लम्बे समय से खल रहा है। इस अस्पताल में व्याप्त उपरोक्त सुविधायें उपलब्ध करवाने के लिये किसी भी सरकार की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है, लॉकल राजनेताओं का प्रेशर भी सरकार पर नहीं बन पा रहा है, जिसकी वजह से सांभर सहित आसपास के गांवों के हजारों लोगों को इसका नुकसान उठाना पड रहा है।
सोनोग्राफी मशीन का अभाव: सोनाग्रोफी मशीन का अभाव मरीजों पर इसलिए भारी पड रहा है कि यह सुविधा सरकार की ओर से जिला स्तर पर ही लागू की हुई है, सीएचसी को इसमें शामिल नहीं किया गया है, हालाकि एक दफा यहां पर सोनोग्राफी मशीन आई थी लेकिन बाद उसे इसी आधार पर वापस मंगवा लिया था, जिसकी वजह से इस महंगी जांच को निजी तौर पर करवाना मरीजों की मजबूरी बन गई है।
सर्जन के अभाव में ब्लड स्टोरेज का औचित्य नहीं: अस्पताल प्रशासन की ओर से तमाम प्रयासों के बावजूद रक्त संग्रहण के लिए भी माकूल इंतेजामात है, लेकिन जब यहां पर महत्वपूर्ण सर्जन का ही अभाव है तो ब्लड स्टोरेज करने का भी इसलिए कोई औचित्य नहीं है कि यहां पर ब्लड की एक तो खपत नहीं है तो दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के नियम इतने सख्त है कि यदि ब्लड संग्रहित कर लिया गया और उसकी खपत निर्धारित अवधि में पूरी नहीं हुई तो उसे वापस जमा भी करने के लिए नहीं लिया जाता है, यद्यपि यहां ब्लड स्टोरेज के समस्त संसाधन मौजूद है, लेकिन जब तक सर्जन व निश्चेतन चिकित्सक की नियुक्ति नहीं होतो तो ब्लड का यूज भी किस जरूरतमंद को करे, स्थानीय अस्पताल प्रशासन के सामने यह गंभीर समस्या बनी हुई है।
इमरेंसी में रहती है प्रमुख दवाएं उपलब्ध: सीएचसी प्रभारी डॉ. महेश वर्मा के अनुसार हृदय घात व अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज के अचानक आने के दौरान अस्पताल प्रशासन की ओर से इसके लिए पृथक से एक आपतकालीन कक्ष मौजूद है, जहां पर मरीज को तत्काल उपचार दिया जाता है, करीब पच्चीस से अधिक उन दवाओं का स्टॉक भी मौजूद है जो इमरजेंसी के दौरान काम में आती है। इसके पास ही दूसरा कक्ष दुर्घटनाग्रस्त होकर आने वालों के लिए है, जहां पहले एक मरीज का प्राथमिक उपचार हो पाता था, लेकिन अब पांच से अधिक कैसेज के लिए सुविधाओं का विस्तार किया गया है।