सांभर में कोवों, रूफस ट्रीपी, उल्लू व गल पक्षी के शव मिले

सांभर में पक्षियों के शव मिलने की जगहों पर मूवमेण्ट नहीं करने के निर्देश

बर्ड फ्लू की पुष्टि हुयी, उप वन संरक्षक ने दौरा किया



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सांभरझील (जयपुर)। सांभर में पिछले छह दिनों से हो रही कोवों की मौत की वजह बर्ड फ्लू से होना पाया गया है। विभाग की ओर से भोपाल लैब में चार मृत कोवाें का सैम्पल लेकर जांच करने हेतु भिजवाया गया था, रिपोर्ट का खुलासा होने के सांभरझील के लिये सरकार की ओर से बनायी गयी निगरानी कमेटी में नियुक्त अधिकारियों की एक अहम बैठक जिला कलक्टर की ओर से बुलायी गयी है। 

इसकी पूर्व तैयारी के लिये पशुपालन विभाग को पहले से ही सावचेत कर दिया गया है वहीं जयपुर से खुद उप वन संरक्षक वीरसिंह ओला ने मंगलवार को वन विभाग के रेंजर बालूराम सारण, काचरोदा नर्सरी में तैनात श्यामश्री शर्मा के साथ उन तमाम जगहों का निरीक्षण किया जहां पर कोवों के अलावा अन्य पक्षियों के शव पाये गये थे, इसके अलावा उनकी ओर से झील परिक्षेत्र का निरीक्षण कर अपने अधिनस्थ स्टाफ को पूरी तरह सतर्कता बरतने के निर्देश प्रदान किये। पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर पदमचन्द कानखेड़िया से बात करने पर बताया कि बर्ड फ्लू की पुष्टि हुयी है। 

पक्षियों में यह एच-5 एन-1 वायरस है जो एक हाइलोपैथिजनिक वायरस है, आदमियों में भी फैल सकता है, इसलिये उन तमाम जगहों पर जहां पर मृत पक्षी पाये गये है वहां पर लोगों का कम से कम मूवमेण्ट होना बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग को भी अलर्ट मोड पर रहने के लिये कहा जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि संभावित खतरे के बचाव हेतु पॉल्ट्री फार्मों का सर्वे भी करवाया जा रहा है बर्ड फ्लू की गाइड लाईन की पूरी पालना करने के लिये विभाग की ओर से इसके लिये सख्त निर्देश जारी दिये गये हैं। 

मंगलवार को सांभर में 5 कावों के शव मिलने के बाद मृत कोवों का आंकड़ा 65 हो चुका है, वहीं रूफस ट्रीपी, उल्लू व गल पक्षियों के शव मिले है तथा एक कॉमन टीन के घायल मिलने के बाद उसका इलाज शुरू कर दिया गया है। सांभर में इस प्रकार अब तक कुल 67 पक्षियों की मौत होने की पुष्टि हो चुकी है। वाइल्ड लाईफ क्रिएचर ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य अभिषेक, रोशन, मनीष, मोहित व सौनू की ओर से सांभर में अनेक जगहों की छानबीन की गयी तो उन्हें मिण्डक्या गांव से लेसर विसलिंग डक, सांभर काॅलेज के पास उल्लू, देवयानी सरोवर के पास कोवा मिला जिन्हें वन विभाग के सुर्पुद कर दिया गया।