इंदौर। देश-दुनिया में हर दिन बढ़ता प्रदूषण बेहद दयनीय है। हर थोड़ी दूर पर पड़े प्लास्टिक के अवशेष मिट्टी की उर्वरता को समाप्त करने का वृहद् कारण हैं। इससे पहले कि जमीन की उपजाऊ क्षमता पूरी तरह खत्म हो जाए, हमें चाहिए कि इसकी रोकथाम के लिए हम आगे बढ़कर सभी को जागरूक करें और नई पीढ़ी को भी इसकी वास्तविकता और दुष्परिणामों से अवगत कराएं। इसे सर्वोपरि रखते हुए, इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश की अग्रणी पीआर संस्था, पीआर 24x7, #NoPlasticFlag कैम्पेन का संचालन कर रही है, जिसका उद्देश्य देश के नागरिकों को प्लास्टिक के झंडों के बजाए, कपड़े तथा कागज़ के झंडे का उपयोग करने के लिए जागरूक करना है।
संस्था के फाउंडर, अतुल मलिकराम कहते हैं, देखने में आता है कि चौक-चौराहों पर बड़ी मात्रा में प्लास्टिक से बने झंडों की बिक्री की जाती है। दुःख तब होता है, जब कुछ घंटों की देश-भक्ति व्यक्त करने के बाद ये झंडे धूल के समान सड़कों पर पड़े मिलते हैं। क्या यही देश-भक्ति है? भारत माता के त्यौहार पर ही, भारत को दूषित किया जाना क्या भारत के नागरिकों को शोभा देता है? ऐसे तमाम प्रश्नों के सटीक उत्तर हेतु संस्था के सभी 68 शहरों से जुड़े प्रतिनिधि, इस कैम्पेन के चलते 15 अगस्त को सुबह 9 बजे से 11 बजे तक सड़कों पर पड़े हुए झंडों को एकत्रित करेंगे, और साथ ही जनता को झंडे का अपमान और प्लास्टिक के झंडों का उपयोग न करने के लिए जागरूक करेंगे।
यदि हम सच्चे देशभक्त हैं, तो हमें देश की भावना और प्रकृति की एहमियत को समझना होगा। सिर्फ प्लास्टिक के झंडे ही नहीं, प्लास्टिक बैग्स आदि का उपयोग करना भी अब हमें बंद करना होगा। यदि नागरिक इनका उपयोग ही न करें, तो प्रत्यक्ष रूप से इनका निर्माण ही बंद हो जाएगा। यह सीधे तौर पर पर्यावरण संरक्षण में और अन्य प्राणियों को मृत्यु के घाट उतरने से बचाने में कारगर साबित होगा। यदि एक वस्तु को बंद कर देने से प्रकृति को दूषित होने से बचाया जा सकता है, तो क्यों न हम भी पीआर 24x7 के #NoPlasticFlag कैम्पेन से जुड़ें और अपने आसपास के सभी लोगों को भी इसका उपयोग न करने के लिए जागरूक करें। तो इस बार प्लास्टिक फ्लैग को करें 'ना', और सच्ची देशभक्ति को करें 'हाँ'।