(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक)
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उत्तर प्रदेश की तरह दक्षिण में बीजेपी शासित प्रदेश कर्नाटक में येद्दियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य के कानून मंत्री बसवराज बोम्मई ने मुख्यमंत्री की सलाह और निदेश परविभाग के अधिकारियों को कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार दवारा आम जन की राय जानने के लिए जिस जनसँख्या नियत्रण कानून का मसौदा जारी किया है उसका अध्यन कर सरकार का ऐसा ही कानून बनाने के लिए जल्दी ही पेश करें।
पार्टी के भीतर के जानकारी रखनेवालों का कहना है कि पार्टी ने अपने राष्ट्रीय महासचिवों के मध्य से बीजेपी शासित राज्य के मुख्यमंत्रियों को यह सन्देश भेजा है वे अपने अपने स्तर ऐसे कानून बनाने कीतैयारियां शुरू कर दें। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि, जो कर्नाटक के ही हैं इस बारे में हॉल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री और कानून मंत्री बोम्मई से विचार विमर्श किया था। पार्टी के जानकारों को कहना है वास्तव में बीजेपी सरकार राष्ट्रीय स्तर ऐसा कानून लाने की सोच रही है। बीजेपी शासित कुछ राज्यों दवारा ऐसा कानून बनाने के संकेत दियें गए है। अगर राज्यों में इन कानूनों पर आम जन के प्रक्रिया अच्छी रही तो ऐसा ही बिल केंद्र सरकार द्वारा संसद में भी पेश किया जा सकता हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रसवित कानून का प्रारूप जारी किया है और उधर असम सरकार ने जिस प्रकार का कानून बनाने की मंशा जाहिर की है उन दोनों में काफी अंतर हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी किये गए प्रारूप के अनुसार जो भी कानून बनेगा वह सभी धार्मिक समुदायों पर समान रूप से लागू होगा। लेकिन असम में वहां के मुख्यमंत्री ने जो मंशा जाहिर की है उसके अनुसार अन्य धार्मिक समुदायों की तुलना में मुसलमानो के आबादी में तेजी से बढ़ रही है इसलिए राज्य सरकार ऐसा कानून बनाएगी या ऐसे कदम उठाएगी जिससे मुसलमानों में अधिक बच्चे पैदा करने की प्रवृति कम हो। उनका कहना है कि राज्य में मुसलमानों की आबादी 30 प्रतिशत से भी अधिक हो गयी है। मुसलमानों के यह आबादी बढ़ने का एक बड़ा कारण यह है की राज्य में बांग्लादेश इस आये अवैध घुसपैठिये को आज भी वापिस नहीं भेजा गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने जो प्रारूप जा री किया है उसके अनुसार दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को वर्तमान में मिल रहे कई लाभों से वंचित होना पड़ेगा। जैसे दो बच्चों से अधिक वाले किसी भी स्तर का चुनाव नहीं लड़ सकेगे। सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे। जिनके दो अधिक बच्चे है तो वे वेतन में वार्षिक वृद्धि से भी वंचित हो जायेंगे। इसके विपरीत जो अपना परिवार दो बच्चो तक सीमित रखते है उन्हें हर तरह के प्रोत्साहन दिए जायेंगे।
कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि कहने का उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्तावित कानून का मुख्य उदेश्य बढ़ती आबादी पर नियंत्रण करना है लेकिन यह वास्तव में सन्देश यह जा रहा है कि इसको मूल लक्ष्य मुसलमानों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाना है अगर आकड़ों पर नजर डाली जाये तो देश में जहाँ हिन्दुओ की आबादी 9 -10 प्रतिशत के गति से बढ़ रही है जबकि मुसलमानों की आबादी की रफ़्तार 14 प्रतिशत है।
कर्नाटक में मुस्लिम आबादी लगभग 9 प्रतिशत है। यहाँ के मुसलमानों में शिक्षा का प्रतिशत भी काफी है। अधिकतर मुस्लिम परिवार छोटे ही है। इसलिए बोम्मई का कहना है की यह कहना गलत गलत है कि राज्य सरकार केवल इनकी आबादी को बढ़ने से रोकने के लिए ऐसा कानून बनाने की सोच रही। सरकार वास्तब में सभी समुदायों के लिए एक जैसा कानून लायेगी ताकि आबादी पर कुछ अंकुश लग सके।
बीजेपी के आलोचकों का कहना है की यह पार्टी अगले लोकसभा चुनाव को सामने रखकर ऐसे सभी कदम उठा रही है जिससे उसे चुनावी लाभ मिल सके। ऐसे कानून केवल पार्टी का हिंदुत्व के अजेंडे को आगे बढ़ाने वाले है और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ है। उनका कहना है की एक और बीजेपी अपने दवारा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री को अपने यहाँ की विधान सभाएं में जल्दी से जल्दी ऐसे कानून पेश करने की तैयारी करने के लिए कह रही है। दूसरी और पार्टी के एक सांसद ने संसद के मानसून स्तर में एक निजी विधयेक पेश करने के लिए लोकसभा सचिवालय को सूचित किया है। इन सबका उद्देश्य देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए माहौल बनाना है। दक्षिण में सहीं मायनों में केवल एक राज्य, कनाटक में बीजेपी की सरकार है इसलिए इस पर अन्य बीजेपी राज्यों की सरकारों से कहीं अधिक दवाब है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)