जीर्ण-शीर्ण पेड़ों को भी संभाला जाए

सद्दीक अहमद की रिपोर्ट 

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जयपुर। राजस्थान की राजधानी पिंकसिटी, मेट्रो सिटी, स्मार्टसिटी जहाँ वर्षा के पहले गंदे नालों की सफाई, बाढ़ के संभावित क्षेत्रो में बाढ़ नियंत्रण हेतु सरकारी प्रयास किये जाते हैं, लेकिन इस खूबसूरत, ऐतिहासिक शहर में अनेक स्थानों पर काफी पुराने वट वृक्ष भी हैं जो जीर्ण-शीर्ण पड़े, खड़े हुए हैं। इन्हीं का जायजा लेने का प्रयास करते हुए पाया कि कई पेड़ तो पुराणी इमारतों से सटे हुए खड़े हैं जो कि हल्की सी बारिश, आंधी-तूफान को भी नहीं झेल पाते और जहाँ है वही धराशाही हो जाते हैं। कई ऐसे पेड़ हैं जो मुख्य मार्गों पर खड़े हैं उनकी या तो उम्र पूरी हो चुकी है या किसी भी कारणवश वे सुख कर अपनी शाखाओं को किसी न किसी बहाने सड़क पर गिरा देते हैं। ऐसे में राहगीरों को उनका शिकार होना पड़ता है या उन द्वारा दुर्घटना का शिकार भी राहगीरों को होना होता है। 

पेड़ काटना सामान्य बात नहीं इसलिए लोग उनको काट नहीं सकते, गिरा नहीं सकते ऐसे में सम्बन्धित विभागों को वर्षा के पहले यह भी एक सर्वे करना चाहिए कि कहाँ कौनसे पेड़ गिर सकते हैं या ऐसे संभावित पेड़ों की सूची बनाकर उनको सुरक्षित करने के इंतजाम करने चाहिए ताकि मौसम के बदलते तेवर में यह समाचार ना आये कि फलां जगह पेड़ गिरने से ऐसा हादसा हुआ, पेड़ गिरने से दुर्घटना हुई या पुराना पेड़ गिरने से इतना नुकसान हुआ। 

जिस पेड़ का चित्र प्रकाशित किया जा रहा है यह पेड़ कई बार अपनी भरी भरकम शाखाओं को गिरा चुका है, हालत पूरी तरह से जरजर हो चुकी है, अनेक शाखाएं सुख चुकी हैं, अनेक शाखा पर फिर भी पत्ते आ रहे हैं ऐसे में मैनरोड से गुजरने वाले भारी वाहन, राहगीर या बस स्टॉप के चक्कर में खड़े मुसाफिर कभी भी किसी भी तरह की अनहोनी का शिकार हो सकते हैं और हो भी चुके हैं। ऐसे ही पेड़ अनेक स्थानों पर अपनी पहचान रखते हैं, लेकिन उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं।