मुम्बई/जयपुर । सोनी सब के ‘मैडम सर’ में राजवीर तोमर की भूमिका निभा रहे सलमान शेख जो कि जयपुर (राजस्थान) में पले, बढ़े और पढ़े से खास बातचीत में उन्होंने कहा, ‘’पूरी कास्ट के साथ काम करना एक सुखद अनुभव रहा है’’ इसके अलावा शेख ने और भी बहुत कुछ हमारे सवालों के जवाब दिए पेश है उनकी कहानी उन ही की जुबानी।
अपने किरदार के बारे में हमें कुछ बताइये। राजवीर तोमर आपके द्वारा पहले निभाये गये किरदारों से कैसे अलग है?
राजवीर आलसी है और ऐसा आदमी है, जिसे सही समय पर काम करना पसंद नहीं है, लेकिन वह दिल का सच्चाल है और किसी को तकलीफ नहीं देना चाहता। जब मैंने इस किरदार के बारे में पहली बार सुना, मैं बहुत प्रभावित हुआ। इससे पहले मैंने कभी कोई कॉमिक रोल नहीं किया है और चूंकि मैं हमेशा से इस तरह के शो में आना चाहता था, इसलिये मैंने इस मौके को नहीं छोड़ा।
क्या आपने इससे पहले पर्दे पर किसी पुलिसवाले का रोल किया है? आपको पुलिसवाले के रोल के लिये प्रेरणा कहां से मिली?
मैंने इससे पहले पर्दे पर पुलिसवाले का रोल नहीं किया है और ना ही इस रोल के लिये कोई प्रेरणा ली है। मैं रोजामर्रा की घटनाओं पर ध्याकन देता हूं। कोई फिल्म या सीरीज देखते हुए भी, मैं हर पल पर और उसके किरदारों पर नजर रखने की कोशिश करता हूं।
इस शो की किस बात ने आपका ध्यान खींचा?
इस शो के जोनर और फिलोसॉफी ने मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित किया है। एसएचओ हसीना मलिक और उनकी टीम जिस तरह से संवेदनशील होकर पुलिसगिरी करती हैं और इस पुलिस स्टेशन में आने वाले मामलों को सुलझाती हैं, वह बहुत खूबसूरत है। बतौर एक्टर, यह जानकर संतोष होता है कि लोग शो को देख रहे हैं और तनाव तथा अन्य चिंताओं से राहत पा रहे हैं। इसके साथ ही पुलिस ऑफिसर का रोल करना सम्माेन की बात भी है।
’मैडम सर’ की टीम के साथ शूटिंग करने का अनुभव कैसा रहा?
अब तक का अनुभव बेहतरीन रहा है। पूरी कास्ट ने दिल से स्वागत किया और हम सभी काफी घुल-मिल गये हैं। युक्ति, भाविका और मेरे बीच कई समानताएं हैं, क्यों कि हम जयपुर में रह चुके हैं। सेट सकारात्म क ऊर्जा से भरा रहता है, क्योंचकि हम सीन्सै के बीच बहुत मस्तीं करते और हंसते हैं और इसलिये काम के बाद भी थकान महसूस नहीं होती। हम एक दायरे में काम करते हैं, जो हमें सुरक्षित रखता है। हालांकि, फिर भी हम सुरक्षा और स्वकच्छेता संबंधी सारी सावधानियां रखते हैं, क्योंहकि यह सभी के लिये जरूरी है। कुल मिलाकर, इस शो के लिये शूटिंग करना खुशनुमा रहा है।
क्या आपने इस रोल के लिये तैयारी की थी? इस किरदार में ढलने में क्याै कोई चुनौती पेश आयी?
जैसे ही मुझे यह रोल मिला, मैंने इस शो के पिछले एपिसोड्स देखना शुरू कर दिया था। इसके अलावा, डायरेक्टकर ने मेरी बहुत मदद की है। उन्हों ने बहुत अच्छीु तरह से दृश्यल समझाये।। मैं सीन्सं को किस तरह बेहतर तरीके से निभा सकता हूं, उसके लिये लगातार मेरा मार्गदर्शन करते रहे। नया रोल करना हर एक्टरर के लिये चुनौती से भरा होता है। किरदार में ढलने और उसकी आदत डालने में थोड़ा समय लगता है। इसके साथ ही आपको अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी चाहिये।
आने वाले एपिसोड्स में दर्शकों को किस चीज की उम्मीद रखनी चाहिये?
मैं दर्शकों को तैयार रहने के लिये कहना चाहता हूं, क्योंकि इस शो में कई नये टि्वस्ट और टर्न आने वाले हैं, क्योंकि सब इंस्पेक्टर करिश्मा सिंह ने गोमती नगर पुलिस स्टेवशन का प्रभार ले लिया है।
इस शो का कथानक 4 खूबसूरत महिलाओं के इर्द-गिर्द है, क्या यह आपके लिये केवल महिला कलाकारों के साथ काम करने का नया अनुभव है? सेट पर अपनी साथी कलाकारों के साथ आपका रिश्तास कैसा है?
पूरी कास्ट के साथ काम करना खुशनुमा रहा है। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरा उनके साथ इतना पक्का रिश्ता बन जायेगा। दृश्यों के बीच, हम एक-दूसरे के साथ छोटी-छोटी शरारतें करते हैं, मस्ती-मजाक करते हैं और हंसते हैं। मेरा विश्वास है और मैं आश्वस्त हूं कि ‘मैडम सर’ की टीम के साथ यह सफर आने वाले दिनों में भी बेहतरीन रहेगा।
आप और आपके किरदार राजवीर तोमर के बीच क्याे समानताएं हैं?
मेरे किरदार राजवीर तोमर और मेरे बीच कुछ समानताएं हैं। हम दोनों हमेशा खुश रहना चाहते हैं और हम दोनों को किसी से नफरत नहीं करते। इसके साथ ही, हम दोनों को कोई चिंता नहीं सताती है और हम दिल से पूरी तरह देसी हैं।
महिला पुलिस थाने के कॉन्सेप्टस पर आप क्या सोचते हैं?
मैं सोचता हूं कि महिला पुलिस थाना एक सुंदर और अनोखा कॉन्सेपप्ट है, क्योंकि लोगों ने कई बार इसके बारे में सुना है, लेकिन वास्तव में कभी देखा नहीं है। जिस तरह से एसएचओ हसीना मलिक मामलों को दिल से पुलिसिंग के साथ सुलझाने का उदाहरण देते हुए अपनी टीम को लीड करती है, वह इस कॉन्सेप्ट को अनोखा बनाता है। इसके साथ ही, मुझे खुशी है कि इस शो ने महिला पुलिस थाने की क्षमता दिखाते हुये बदलाव लाने का काम किया।
आप न्यू नॉर्मल में खुद को फिट रखने के लिये क्या करते हैं?
इस कठिन समय में खुद को फिट रखना मेरे लिये आसान नहीं रहा है। अपनी डाइट पर काबू रखना मेरे लिये एक बड़ा काम रहा । हालांकि, जब भी मुझे खाली समय मिलता है, मैं कार्डियो एक्सयरसाइजेस और वेटलिफ्टिंग टेक्निक्स में लग जाता हूं।
आप खुद को कितने खुशकिस्मत मानते हैं कि आपकी परवरिश राजस्थान में हुयी है? उसने आपको आज के मुकाम तक पहुंचाने में कैसे मदद की?
मैं अपने पेरेंट्स का आभारी हूं। वह हमेशा से मेरी प्रेरणा रहे हैं। आज मैं अपने पिता की बदौलत एक एक्टर हूं। मुझे डांसिग बहुत पसंद थी, क्योंकि एक्टिंग से मुझे डर लगता था, लेकिन मेरे पिता ने मुझे आगे बढ़ाया और प्रेरणा दी। मैंने थियेटर में काम करके एक्टिंग का सफर शुरू किया था और इसलिये, मैं जयपुर के एक थियेटर प्लेैटफॉर्म रवींद्र मंच से जुड़ा था। वहां मैंने वे सभी मूलभूत नियम सीखे, जो एक्टर बनने के लिये जरूरी होते हैं। हर राज्य और हर संस्कृति अपने आप में अनोखा है और यह वहां के लोगों में नजर आता है। अपनी जड़ें हमेशा मजबूत रखनी चाहिये। बतौर एक्टर, अगर मुझे कोई राजस्थानी किरदार मिलता है, तो मैं बड़ी सहजता से उसे निभा सकता हूं।
मुंबई में आप जयपुर की किन चीजों को मिस करते हैं?
सबसे ज्यादा अपने परिवार को मिस करता हूं, मैं तीन से चार महीने में उनसे एक बार जरूर मिलता हूं। मैं जयपुर का खाना मिस करता हूं। अपनों से बातचीत और तरह-तरह के फूड्स को मिस करता हूं। जयपुर का अपना आकर्षण है, शाम को पूरा शहर जगमगा उठता है, उस शहर की दूर बैठे तारीफ करना भी अच्छा लगता है।
जयपुर में बचपन की आपकी सबसे अच्छी यादें कौन-सी हैं?
दोस्त और परिवार से मिली कई अच्छी यादें हैं। जयपुर में मेरी नानी के घर की यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगी। मैं और मेरे कजिन छत पर क्रिकेट खेला करते थे और आज भी, जब मैं बच्चों को उस तरह खेलते देखता हूं, मेरे बचपन की यादें एकदम ताजा हो जाती हैं।
आप युक्ति के साथ काम कर रहे हैं और वह भी जयपुर से हैं। ऐसे को-एक्टर के साथ काम करना कैसा लगता है, जो आपके होमटाऊन का है?
युक्ति कपूर एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं। पहले एपिसोड के सीन्स की शूटिंग ही बड़ी सहजता से हो गई थी। पूरी कास्ट ने मेरा स्वागत किया था और यहां का माहौल परिवार जैसा लगता है। पहले हमें पता नहीं था कि हम दोनों जयपुर के हैं, लेकिन धीरे-धीरे जब हमने बात शुरू की, तो मुझे पता चला कि हमारे बीच काफी कुछ एक जैसा है। भाविका शर्मा भी जयपुर में पढ़ी हैं, इसलिये हम तीनों का तालमेल बहुत अच्छा हो गया और काम करने के लिये हमें एक कम्फुर्टेबल ज़ोन मिल गया है।