प्रशांत तुम बहुत याद आओगे... : ज्ञानेन्द्र रावत

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नई दिल्ली। अभी-अभी पुराने साथी, हरनंदी कहिन नामक पर्यावरण पत्रिका के युवा संपादक और पर्यावरण से संबन्धित मुद्दों पर सदैव अग्रणी रहने वाले प्रशांत वत्स का कोरोना के चलते यूं अचानक चले जाना बेहद दुखदायी है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब कोई अभिन्न सनेही मित्र हमें छोड़कर इस दुनिया से न जाता हो। पता नहीं यह सिलसिला कब थमेगा।

अभी विश्व जल दिवस 22 मार्च की पूर्व संध्या को नव प्रभात जन सेवा संस्थान द्वारा पटपड़गंज, दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में हमने प्रशांत वत्स को "नदी रत्न सम्मान" से सम्मानित किया था। उस समय ग्रिफ्ट के अध्यक्ष डा. जगदीश चौधरी, नव प्रभात जन सेवा संस्थान के महासचिव राज कुमार दूबे, अध्यक्ष सुमन द्विवेदी, दूरदर्शन के पूर्व निदेशक डा. अमरनाथ अमर, दूरदर्शन में किसान विषयक मामलों की जानकार माधवी शर्मा, पर्यावरण मामलों के जानकार डा.टी. के. सिन्हा व प्रशांत सिन्हा, यमुना शुद्धि अभियान के प्रमुख अशोक उपाध्याय, आशीष शर्मा, प्रयास एक आशा की प्रमुख श्रीमती जयश्री सिन्हा सहित श्रीमती अनिला रामपुरिया, शैली अग्रवाल, राखी चौधरी, जया श्रीवास्तव, 100 करोड़ ट्री के राजीव कुमार आदि उपस्थित सभी पर्यावरण प्रेमियों ने प्रशांत वत्स के नदी-जल संरक्षण कार्यों और हिंडन के उद्धार हेतु संघर्ष में किये गये योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी। इससे पूर्व प्रातः सिटी फारेस्ट में आयोजित हिन्डन महोत्सव में नगर की महापौर श्रीमती आशा शर्मा, वन परिमंडल अधिकारी डा.दीक्षा भंडारी आदि उपस्थित गणमान्य जनों के मध्य पर्यावरण विज्ञानी डा.जितेन्द्र नागर व सतेन्द्र सिंह सहित सभी वक्ताओं ने भी उनके संघर्ष की सराहना की थी और पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की थी। 

आज भी उनका हंसमुख चेहरा मेरे सामने आ जाता है। ऐसा लगता है कि अभी सामने आकर वह कहेंगे कि दादा अब बताओ कहां चलना है। ऐसे साफ दिल, मृदुभाषी और सबके चहेते इंसान बिरले ही होते हैं। पर्यावरण के क्षेत्र में उनका संघर्ष पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा। असलियत में जब जब जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वालों की चर्चा होगी, प्रशांत तुम बहुत याद आओगे।