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मुम्बई। कविताएं भावों को व्यक्त करने का सबसे सही रूप होती है। कविता के माध्यम से भाषाई विविधता को अपना समर्थन देते हुए, ‘यूनेस्को’ ने 21 मार्च को ‘वल्र्ड पोएट्री डे’ घोषित किया है। एण्डटीवी के सितारे, ‘भाबीजी घर पर हैं’ के मनमोहन तिवारी (रोहिताश गौड़), ‘हप्पू की उलटन पलटन’ की कटोरी अम्मा (हिमानी शिवपुरी), और ‘गुड़िया हमारी सभी पे भारी‘ की सरला (समता सागर) ना केवल अभिनय में माहिर हैं, बल्कि शब्दों के भी बाजीगर हैं। इस खास मौके पर, उन्होंने कविताओं के प्रति अपने प्रेम के बारे में बात की और उन्हें कौन-सी चीज लिखने के लिये प्रेरित करती है, उसके बारे में भी बताया।
रोहिताश्व गौड़ उर्फ मनमोहन तिवारी कहते हैं, हिन्दी साहित्य के प्रति मेरा हमेशा से ही विशेष लगाव रहा है। शरद जोशी, हरिशंकर परसाई और प्रेमचंद द्वारा लिखी कविताएं मुझे प्रेरित करती हैं और जीवन को एक नये नजरिये के साथ देखने में भी मदद करती हैं। कविताओं की सबसे अच्छी बात यह है कि इससे मुझे आंतरिक शांति मिलती है। वैसे आज की पीढ़ी को बीते जमाने के क्लासिक पढ़ने में उतना मजा नहीं आता, जितना हमें आता है। मैं अभी भी लोगों से अनुरोध करता रहता हूं और सबसे जरूरी, युवाओं से कहता हूं कि अपनी व्यस्त जिंदगी से थोड़ा समय निकालकर कविताएं पढ़ें या सुनें।
हिमानी शिवपुरी उर्फ कटोरी अम्मा बताती हैं कि कोविड के दौरान अस्पताल में रहते हुए किनकी कविताएं उनके दिल में घर कर गयी, जब मैं अकेली होती हूं, कविताएं मेरे अकेलेपन की साथी होती हैं, जब मैं उदास होती हूं कविताएं मेरा हौसला बढ़ाती हैं और जब मैं खुश होती हूं तो कविताएं उसे व्यक्त करने का जरिया बन जाती हैं। यहां तक कि बेहद बुरे समय में जब मैं अस्पताल में भर्ती थी, कविताओं ने मुझे आगे बढ़ते रहने की हिम्मत दी। यह अभिव्यक्त करने का तरीका है, जोकि प्रेरणादायी होता है। मुझे ऐसा लगता है कि हम सबके अंदर कवि छुपा हुआ है। मैं काफी लंबे समय से लिखती आ रही हूं, यह मुझे जमीन से जोड़े रखती है। मुझे ऐसा लगता है कि जिन भावनाओं को दिखाया नहीं जा सकता, उन्हें कविताओं के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है। क्लासिक्स की मेरे दिल में एक खास जगह है, क्योंकि वे कभी पुराने नहीं होते।
समता सागर उर्फ सरला कहती हैं, कविता एक ऐसी चीज है, जिसे मेरी जिंदगी से जुदा नहीं किया जा सकता। इसे पढ़ने से लेकर लिखने और उसका पाठ करने तक, मुझे कविता से जुड़ी हर चीज पसंद है। सोशल मीडिया के फलने-फूलने के साथ मुझे ऐसा लगता है कि कवियों को पूरी दुनिया के साथ शब्दों के इस खूबसूरत खजाने को साझा करनेे का मंच मिला है। मुझे लगता है कि कविताएं मुझे कल्पनाओं की उड़ान भरने के लिये पंख देती हैं और कुछ समय के लिये वास्तविकता से कहीं दूर लेकर जाती हैं। यह मेरे दिलोदिमाग को शांति देती है। मुझे प्रकृति की तारीफ करना पसंद है और अपने शब्दों में उसकी सुंदरता को पिरोना मुझे अच्छा लगता है।