इस पायलट परियोजना का लक्ष्य 1,00,000 महिला किसानों तक पहुंचने और उनकी आय की संभावना बेहतर करना है
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कृषि जनगणना और आर्थिक सर्वेक्षणों से इस बात की पुष्टि होती है कि गुजरे दशक में पुरुषों द्वारा गांवों से शहरों की ओर पलायन करने के मामले बढ़ने से कृषि क्षेत्र का महिलाकरण हो गया है। महिलाएं अब भिन्न भूमिकाओं में होती हैं और खेती करके फसल पैदा करने के साथ-साथ खेतों में श्रमिक के रूप में काम करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। गूगल डॉट ऑर्ग की सहायता से नैसकॉम फाउंडेशन उम्मीद करता है कि महिला कामगारों को कृषि के कामों का प्रशिक्षण देने के साथ-साथ उन्हें डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता और उद्यमिता कौशल से युक्त किया जाएगा ताकि आय की उनकी संभावना को बेहतर करने और इस क्षेत्र में पुरुषों व महिलाओं की मजदूरी का अंतर कम करने में सहायता मिले।
नैसकॉम फाउंडेशन के सीईओ अशोक पमिदी ने कहा, “डिजिटल टेक्नलॉजिज कृषि मूल्य श्रृंखला में क्रांति ला रही हैं। इनपुट्स, फाइनेंस, मार्केट और मौसम संबंधी सूचनाओं तक अब बेहतर पहुंच संभव है। पर प्रौद्योगिकीय विकास अलग-थलग नहीं रह सकता है। आर्थिक तौर पर सक्रिय महिलाओं में 80%कृषि क्षेत्र में काम करती हैं। इनमें 33 प्रतिशत कृषि मजदूर और 48 प्रतिशत स्वरोजगार करने वाली किसान हैं। इनमें से ज्यादातर अभी भी डिजिटल क्रांति का फायदा उठाने में अक्षम हैं। गूगल डॉट ऑर्ग की सहायता से हम इस अंतर को पाटने की उम्मीद करते हैं और इन महिला किसानों का डिजिटल सशक्तिकरण करना चाहते हैं। पायलट परियोजना के रूप में हम एक लाख महिला किसानों तक पहुंचेंगे जो उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और बिहार में हैं। आने वाले वर्ष में इन्हें डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता और उद्यमिता के कौशल से युक्त किया जाएगा।
यह प्रोग्राम अपने पायलट चरण में भिन्न क्षेत्रों के एक लाख से ज्यादा महिला किसानों तक पहुंचेगा। इनमें उत्तराखंड के चमोली और रुद्रप्रयाग से लेकर हिमाचल प्रदेश में सोलन और मंडी, उत्तर प्रदेश में आगरा, बुलंदशहर और वाराणसी, राजस्थान में चित्तौड़गढ़ और जैसलमेर, बिहार में मुजफ्फरपुर और हरियाणा में मेवात शामिल है।
कार्यक्रम की शुरुआत मास्टर ट्रेनर्स के प्रशिक्षण से होगी। ये मास्टर प्रशिक्षक फिर अपने समाज के अंदर की ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षण देंगे। कार्यक्रम के तहत दो कॉल सेंटर भी बनाए जाएंगे जहां महिलाएं फोन करके महिलाएं उद्यमिता से संबंधित अपने सवालों के जवाब और उसपर कौनसेलिंग हासिल कर सकेंगी।
गूगल डॉट ऑर्ग की प्रेसिडेंट जैकलीन फुलर ने कहा, “गूगल में हमलोगों ने देखा है कि कैसे डिजिटल टूल्स से कई व्यक्ति शिक्षा तक पहुंच हासिल कर सकते हैं, अपने कारोबार का विस्तार कर सकते हैं और नए कौशलों का विकास कर सकते हैं। अनुसंधान से यह भी पता चला है कि महिला किसानों की पहुंच सही कौशल और संसाधनों तक हो तो वे अपनी आय 30 प्रतिशत या ज्यादा बढ़ा सकती हैं। हम समझते हैं कि हमारी एक सामूहिक जिम्मेदारी है और हमें एक भूमिका निभानी है जिससे यह सुनिश्चित किया जाए कि भारत में महिलाओं और लड़कियों की पीढ़ियों के पास फलने-फूलने और सफल होने का मौका है। हम गूगल डॉट ऑर्ग के जरिए नैसकॉम फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कामों का सपोर्ट करके बेहद गर्व महसूस कर रहे हैं।
देश के ग्रामीण हिस्सों में महिला किसानों के लिए जो काम किए जा रहे हैं उनका प्रभाव आने वाले महीनों में भारत में देखने का हम इंतजार कर रहे हैं।
एक बार प्रशिक्षण मिल जाए तो महिला किसान आसानी से स्मार्ट फोन चला लेंगी और अपने फायदे के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर सकेंगी, प्रासंगिक योजनाओं के लिए भरोसेमंद सरकारी ऐप्प्स और वेबसाइट तलाश सकेंगी। वे अपने निजी फाइनेंस को बचाने के साथ सुरक्षित रख सकेंगी उन्हें बढ़ा सेंगी और डिजिटल लेन-देन कर सकेंगी। इसके अलावा कच्चा माल खरीदने या तैयार माल बेचने के लिए वे बाजार से सीधे संपर्क बना सकेंगी और इस तरह अपने परिचालन और संभारतंत्र को व्यवस्थित कर सकेंगी। (प्रेस नोट)