(प्रख्यात शिक्षाविद, धर्म समाज कालेज, अलीगढ़ के पूर्व विभागाध्यक्ष और डा.बी आर अम्बेडकर विश्व विद्यालय आगरा शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं)
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अलीगढ़। 27 फरवरी 2021,केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा कल सीटीईटी के घोषित परीक्षा परिणाम-2021 के अनुसार 3058974 डिग्रीधारी आवेदकों में से मात्र 654299 अर्थात 21.4% अभ्यर्थी ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (टैट) में उत्तीर्ण हुए हैं जो देश में बीएड प्रशिक्षण की बदहाली की ओर स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। बदहाली की यह तस्वीर उत्तर प्रदेश टी ई टी-2020 के विगत परीक्षा परिणामो में भी देखने को मिली थी जबकि 1656338 बीएड डिग्रीधारियों में से मात्र 354703 अर्थात 21.4% शिक्षक बनने की पात्रता ही हासिल कर सके थे।
देश में बीएड प्रशिक्षण की सीटीईटी व यूपी टीईटी के परीक्षा परिणामों की ये बदहाली विगत लगभग एक दशक से बदस्तूर चल रही है जिसके कारण प्रति वर्ष शिक्षक पात्रता परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने वाले लगभग 80% अभ्यर्थियों के प्रशिक्षण में उनकी अरबों-खरबों रु की धनराशि (लगभग 2 लाख रु प्रति प्रशिक्षु) एवं उनके 2 वर्ष के अमूल्य समय की बर्बादी होती रही है। इस बर्बादी के लिए पूर्ण रूपेण नेशनल काउंसिल फ़ॉर टीचर एजूकेशन जिम्मेदार है जिसने बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु ऐसे नियम बना दिये हैं जिसके कारण बीएड प्रवेश परीक्षा में शून्य एवं शून्य के आसपास अंक अर्जित करने वाले अभ्यर्थियों के बीएड में प्रवेश होते रहे हैं । परिणामतः ऐसे परीक्षार्थियों से टेट में 50% से ऊपर अंक लाने की उम्मीद तो कोई मूर्ख ही कर सकता है।
डा .रक्षपाल सिंह ने कहा है कि कैसी विडम्बना है कि एक ओर जहाँ योग्य शिक्षकों की नियुक्तियों के लिये केन्द्र सरकार के विधिक संस्थान एनसीटीई ने शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफलता हेतु एससी,ओबीसी एवं सामान्य वर्गों के अभ्यर्थियों के लिये क्रमशः 50%,55%,60% न्यूनतम अंक अर्जित करना आवश्यक किया है, वहीँ दूसरी ओर बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षाओं में न्यूनतम प्राप्तांक की कोई शर्त नहीं रखी गई है। परिणामत: शून्य एवं शून्य के आसपास अंक पाने वाले अभ्यर्थी बीएड प्रशिक्षण प्राप्त करते रहे हैं और नितांत अयोग्य अभ्यर्थियों के साथ बीएड में प्रवेश के नाम पर छल करके देश के लगभग 25 हज़ार बीएड कालेजों के मालिकों को अंधाधुंध लाभ पहुंचाने की मुहिम चलाई जा रही है।
दु:ख इस बात का है कि यह सिलसिला वर्षों से जारी है। यह लाखों असफल बीएड अभ्यर्थियों के साथ अन्याय तथा बहुत बड़ा छल है। डा. सिंह ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि नितांत अयोग्य व अनभिज्ञ अभ्यर्थियों की बेवजह हो रही प्रति अभ्यर्थी लगभग 2 लाख की लूट की समाप्ति हेतु बीएड प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम प्राप्तांक 33% या 40% या 45% आवश्यक किये जाने चाहिये। ऐसा करने से अधिकांश टेट में असफल अभ्यर्थीगण अरबों रु की लूट से बच सकेंगे। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)