नया जीवन


डाॅ. मधुकर डोरिया

एम-90, रामनगर सोडाला,जयपुर

नया जीवन

तुम,

नया जीवन लेकर, जी सकते हो,

चलो जिधर चलना है,

बढो जिधर बढा है,

बढ कर, चल कर ही,

तुम जी सकते हो ।

चलने से सांसें तो टूटेगी,

बढ़ने से बाहें तो छूटेगी,

सांसो के टूटने से, बाहों के छूटने से,

ही तुम नया जीवन ले सकते हो,

चलना है तो अंगारो पर चलना होगा,



बढना है तो कांटो पर बढ़ना होगा,

फूलों को पाने से पहले,

कांटो को सहलाना होगा,

कांटो को सहलाकर ही तुम उन्हें अपना बना सकते हो।

जीवन एक तूफान है,

जिसे आना ही पड़ता है,

जीना एक सागर है जिसे मचलना ही पड़ता है,

जीवन मे चलना और जीना एक आंधी है,

आंधी के आने से तूफान सम्हलते है,

जीवन में चलते रहने से आयाम बदलते है,

बदलते आयामो को लेकर ही तुम जी सकते हो,

तुम नया जीवन लेकर ही तुम जी सकते हो ।