जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि किसान एवं कृषि देश की अर्थव्यवस्था की मुख्य धुरी है और उनका उत्थान राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इस क्षेत्र के विकास में बैकिंग सेक्टर का सहयोग महत्वपूर्ण है। नाबार्ड एवं सहकारी बैंकाें के साथ-साथ देश के राष्ट्रीयकृत बैंक भी कृषि एवं इससे संबंधित क्षेत्रों के लिए ऋण सुविधाओं का विस्तार करें, ताकि किसानों की वित्तीय आवश्यकताएं समय पर पूरी हों और उनकी खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हो।
सी एम गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से नाबार्ड की राज्य स्तरीय ऋण संगोष्ठी : 2021-22 को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने नाबार्ड के ‘स्टेट फोकस पेपर : वर्ष 2021-22‘ का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां विषम हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र में विकास की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश के लिए नाबार्ड, आरबीआई एवं अन्य बैंक कृषि में आधारभूत संरचना की प्रगति के लिए कृषि ऋण में दीर्घकालीन कृषि ऋण के अनुपात को 20 प्रतिशत बढ़ाएं। वर्तमान में यह अनुपात कुल कृषि ऋण का 20 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि देश का किसान कर्ज से दबा हुआ है, उसे समृद्ध बनाने के लिए ऋण सुविधाओं में विस्तार के साथ ही कर्ज माफी जैसे साहसिक फैसले लेने की जरूरत है। प्रदेश में हमारी सरकार बनते ही हमने सबसे पहला निर्णय किसानों की कर्ज माफी का किया, इससे प्रदेश के करीब 20 लाख किसान लाभान्वित हुए। यदि राष्ट्रीयकृत बैंक इसमें सहयोग करें, तो और अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सकता है। इस संबंध में एकमुश्तीय समझौता योजना बनाने के लिए हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है।
अशोक गहलोत ने कहा कि किसानों को फसल का यथोचित मूल्य दिलाने के लिए आवश्यक है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद किसानों के खेतों के नजदीक होे। इसके लिए ग्राम सेवा सहकारी समितियाें (जीएसएसएस) को मजबूत करने और वहां भण्डारण क्षमता सहित अन्य आधारभूत सुविधाएं विकसित किया जाना जरूरी है। नाबार्ड इस कार्य में बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों राजस्थान में एमएसपी पर खरीद के लिए करीब 550 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को गौण मण्डी का दर्जा देकर अधिकृत किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले।
मुख्यमंत्री गहलोत ने नाबार्ड तथा रिज़र्व बैंक के अधिकारियों से राज्य सरकार के साथ अधिक समन्वय के साथ काम करने पर जोर दिया, ताकि अधिक से अधिक लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़कर सभी क्षेत्राें में विकास को गति दी जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि और संस्थागत ऋण में बढ़ोतरी के लिए ज्यादा से ज्यादा किसानों को ‘किसान क्रेडिट कार्ड‘ योजना का लाभ मिलना चाहिए। उन्होंने तकनीकी नवाचारों से बैंकिंग सिस्टम को और मजबूत बनाने तथा शिकायतों के त्वरित निस्तारण पर भी बल दिया।
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि राज्य की प्राथमिकताओं के साथ बैंकिंग की प्राथमिकताओं को जोड़ा जाए, ताकि संबंधित क्षेत्रों में उनकी आवश्यकता के अनुसार ऋण सुविधाओं को बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के कारण राज्यों पर वित्तीय दबाव बढ़ा है, ऎसे में नाबार्ड जैसी संस्थाओं को ग्रामीण विकास की योजनाओं के लिए ऋण प्रदान करने के नियमों में थोड़ी शिथिलता देनी चाहिए।
भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक अरूण कुमार सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड महामारी के दौर में भी वित्तीय प्रबंधन एवं सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए डिजिटल बैंकिंग एवं डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देेने के साथ ही राज्य सरकार को भू-राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटलाइज करने की प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए। राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति के उप महाप्रबंधक योगेश अग्रवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में बैंकिंग सेवाओं का तेजी से विस्तार हुआ है। उन्होंने आश्वस्त किया कि नाबार्ड के स्टेट फोकस पेपर के लक्ष्यों को हासिल करने में सभी बैंक पूरा सहयोग करेंगे।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक जयदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नाबार्ड ने राजस्थान में वर्ष 2021-22 में प्राथमिकता क्षेत्र के लिए 2.33 लाख करोड़ रूपये की ऋण सम्भाव्यता का आकलन किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10.4 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 के दौरान नाबार्ड ने 2.11 लाख करोड़ रूपये की ऋण सम्भाव्यता का आकलन किया था। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश में कृषक उत्पादक समूहों (एफपीओ) को बढ़ावा देने का भी प्रयास कर रहे हैं। अगले तीन वर्षों में राजस्थान में करीब 500 नए एफपीओ गठित करने का लक्ष्य है।
नाबार्ड के महाप्रबंधक कुलदीप सिंह ने स्टेट फोकस पेपर पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्राथमिकता क्षेत्र में कृषि और सहायक क्षेत्रों का प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान लगभग 26 प्रतिशत है। इसी के अनुरूप नाबार्ड ने कृषि क्षेत्र के लिए 1.42 लाख करोड़ रूपये, एमएसएमई के लिए 63794 करोड़ रूपये के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा के लिए 3398 करोड़ रूपये की ऋण सम्भाव्यता का आकलन किया है। नाबार्ड के महाप्रबंधक वेंकट कृष्णा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री गहलोत के सलाहकार गोविन्द शर्मा एवं प्रमुख शासन सचिव कृषि कुंजीलाल मीणा भी उपस्थित थे। संगोष्ठी में विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि और जिला स्तरीय अधिकारी तथा बैंकिंग, कृषि एवं सहकारिता से जुड़े अन्य अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित रहे।