कोरोना की दूसरी लहर से बचने के लिए मास्क पहनें और सतर्क रहें : डॉ. रघु शर्मा


डॉ. रघु शर्मा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री (राजस्थान)


मास्क पहनने के कई फायदे हैं, यह कई गंभीर बीमारियों के खतरे को भी कम करता है
नियमित रूप से मास्क पहनने से संक्रमण की संभावना 90 प्रतिशत तक कम हो सकती है
अगर लोग मास्क पहनते हैं और एक महीने तक अनुशासन बनाए रखते हैं तो कोरोना चेन टूट सकती है
मास्क पहनने से तपेदिक, अस्थमा, एलर्जी और अन्य संक्रामक रोगों के मामलों को भी नियंत्रित किया जा सकता है
विशेषज्ञों की राय में वैक्सीन की तुलना में मास्क बेहतर हैं क्योंकि वैक्सीन का प्रभाव 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा
राजस्थान के सभी लोगों से आने वाले त्योहारों और सर्दियों के मौसम में उचित सावधानी बरतने और सतर्क रहने की अपील


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जयपुर । राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि कोरोना ग्राफ में गिरावट आ रही है लेकिन लोगों को लापरवाह नहीं होना चाहिए। सर्दियों में कोरोना की दूसरी लहर की आशंका व्यक्त की गई है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है सर्दियों में दूसरी लहर आ सकती है, इसलिए लोगों को बहुत सतर्क रहना होगा, मास्क पहनना होगा, सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी और खुद को सुरक्षित रखने के लिए बार-बार हाथ धोना होगा।


राजस्थान के चिकित्सा मंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में मौसमी बीमारियों, स्वाइन फ्लू, डेंगू, सर्दी और खांसी, प्रदूषण आदि के मामलों में वृद्धि होगी। जो गंभीर है और अगर प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, तो कोरोना के मामले निश्चित रूप से बढ़ जाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर लोग मास्क पहनते हैं और एक महीने तक अनुशासन बनाए रखते हैं तो कोरोना चेन टूट सकती है।


डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि विशेषज्ञों की राय में वैक्सीन की तुलना में मास्क बेहतर हैं क्योंकि वैक्सीन का प्रभाव 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा, लेकिन नियमित रूप से मास्क पहनने से संक्रमण की संभावना 90 प्रतिशत तक कम हो सकती है। उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2 अक्टूबर को कोरोना के खिलाफ जनजागरुकता आंदोलन का शुभारंभ किया है। जिसमें मास्क वितरण के साथ कोरोना वायरस के प्रति आमजन को जागरुक किया जा रहा है। इस आंदोलन में सरकार के साथ एनजीओ, स्काउट गाइड व शिक्षकों के साथ अन्य संस्थाएं भी जुड़े है। 


चिकित्सा मंत्री डॉ. शर्मा ने बताया कि इस अभियान को 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है और लोगों को मास्क पहनने के महत्व के बारे में बताया जा रहा है। इसके अलावा "नो मास्क, नो एंट्री" अभियान भी सफल हो रहा है, क्योंकि न केवल सरकारी कार्यालय, बल्कि निजी कार्यालय, दुकानें, वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर इसका पालन किया जा रहा है। लोगों को तब तक प्रवेश करने की अनुमति नहीं है, जब तक वे मास्क नहीं पहनते हैं।


स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और पश्चिमी देश कोविड-19 की दूसरी और तीसरी लहर देख रहे हैं और पहले चरण की तुलना में मामलों में दो से तीन बार वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा राजस्थान में लोगों को मास्क पहनने की आदत विकसित करनी होगी। मास्क पहनने के कई फायदे हैं, क्योंकि यह कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करता है। वहीं 2025 तक तपेदिक को खत्म करने के उद्देश्य से भी मास्क पहनने को अनिवार्य किया जा रहा है। क्योंकि मास्क पहनने से तपेदिक, अस्थमा, एलर्जी और अन्य संक्रामक रोगों के मामलों को नियंत्रित किया जा सकता है। मास्क सिलिकोसिस की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और प्रभावी साबित होंगे। 


स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान ने 90 प्रतिशत से अधिक की रिकवरी दर और मृत्यू दर 1 प्रतिशत से कम होने के साथ कोविड-19 महामारी का प्रबंधन किया है। जांच सुविधाएं 22 सरकारी और 16 निजी प्रयोगशालाओं और अस्पतालों में उपलब्ध हैं जहाँ प्रामाणिक आरटी-पीसीआर परीक्षण किए जा रहे हैं। राज्य ने प्रति दिन 52,000 से अधिक जांच करने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया है। प्रतापगढ़ जिला अस्पताल और नाथद्वारा उप-जिला अस्पताल में जल्द ही दो परीक्षण प्रयोगशालाएँ खोली जाने वाली हैं और नवंबर के अंत तक सभी जिला मुख्यालयों और जिला अस्पतालों में जांच सुविधाएं शुरू हो जाएंगी।


डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि राज्य में कोरोना के मामलों में गिरावट देखी जा रही है लेकिन कोरोना के प्रभाव बहुत गंभीर हैं। क्योंकि वायरस मस्तिष्क/हृदय/गुर्दे/फेफड़े/अग्न्याशय को ठीक होने के बाद प्रभावित कर रहा है। राज्य सरकार ने पूरे राज्य में पोस्ट कोविड क्लीनिक खोले हैं, जिसमें मरीज एक महीने तक कोरोना से ठीक होने के बाद किसी भी परीक्षण और जटिलताओं के लिए डॉक्टरों से परामर्श कर सकते हैं।


डॉ. शर्मा ने कहा यदि कोरोना की दूसरी लहर आती है तो राजस्थान तैयार है। हमारे पास पर्याप्त संख्या में आईसीयू बेड, ऑक्सीजन सपोर्ट बेड और सामान्य बेड हैं। उन्होंने बताया कि जब मामले चरम पर थे ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग लगभग 13,000 प्रतिदिन थी, लेकिन अब घटकर 6000-7000 ऑक्सीजन सिलेंडर प्रति दिन हो गई है। अधिकारियों को दूसरी लहर के लिए प्रति दिन 25,000 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए निर्देशित किया गया है। इसके अलावा, जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों और राज्य में मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं। जिससे कि कोरोना संक्रमित रोगियों ऑक्सीजन की कमी का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में भी लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं और यहां तक कि पाइप लाइन सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है।


चिकित्साकर्मियों के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोरोना अवधि के दौरान 12500 एएनएम और जीएनएम के साथ 765 डॉक्टरों की भर्ती की गई और 2000 डॉक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है। स्वास्थ्य विभाग रेडियोग्राफर, लैब तकनीशियन, ईसीजी तकनीशियन और अन्य की भर्ती कर रहा है। कोरोना के संबंध में राज्य सरकार सतर्क है और डॉक्टरों की टीम को दिए गए सुझावों के आधार पर निर्णय ले रही है। कोरोना के संबंध में अब तक मुख्यमंत्री द्वारा 150 से अधिक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित किए जा चुके हैं।


स्वास्थ्य मंत्री ने एक बार फिर राजस्थान के सभी लोगों से आने वाले त्योहारों और सर्दियों के मौसम में उचित सावधानी बरतने और सतर्क रहने की अपील की। उन्होंने लोगों से घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनने और छह फीट की दूरी रखने को कहा।