साठ के पार जीवन का ज़श्न?


लेखिका : रश्मि अग्रवाल
नजीबाबाद, 9837028700


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प्रश्न ये उठता है कि जब बहुत से प्रयास करने के पश्चात् भी केशों में सफेदी झांकने लगे, मुख मण्डल की जवां चमक कहीं खोने लगे और जिम्मेदारियों के बोझ से कन्धे झुकने लगें तो ऐसी सूरत में सकारात्मकता कैसे बनाएँ रखें? साठ के पार जीवन का ज़श्न कैसे जारी रखें, ये बड़ी चुनौती है पर मुश्किल नहीं। इसके लिए आवश्यक है थोड़ी सी योजना बहुत से ज़ज्बे और अथाह दीवानगी की, ताकि पूर्ण चेतन अवस्था और गरिमा के साथ जीवन के रस की अन्तिम बूंद तक रसास्वादन करने का जुनून शेष रहे।


बीते हुए वर्षों की गिनती नहीं, बल्कि हम कैसा महसूस करते सबकुछ उसी पर निर्भर करता है। जैसे किसी हुनर को सीखने के लिए कभी विलम्ब नहीं होता, बशर्ते सपनें जिंदा रहें और नये सपने देखने का सिलसिला चलता रहे क्योंकि किसी भी खेल की एक पारी समाप्त होने पर कौन कह सकता कि दूसरी पारी में पहले से अधिक रन नहीं बनाए जा सकते? (लेखिका के अपने विचार हैं)