एमवे इंडिया ने पीएचडीसीसीआई और ममता एचआईएमसी की साझेदारी में


एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर वर्ल्ड फूड डे मनाया, सुप्रसिद्ध विशेषज्ञों ने पोषण मध्यवर्तनों में स्थिरता और नवप्रवर्तन के निर्माण की आवश्यकता पर चर्चा की


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नई दिल्ली। पोषण और कल्याण में अपने वैश्विक अनुभव का लाभ उठाते हुए देश की अग्रणी एफएमसीजी डायरेक्ट सेलिंग कंपनी एमवे इंडिया ने हाल ही में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) और ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड (HIMC) के साथ साझेदारी में एक अद्वितीय वर्चुअल सम्मेलन के माध्यम से वर्ल्ड फूड डे मनाया। यह सम्मेलन उद्योग से जुड़े प्रसिद्ध विशेषज्ञों और वक्ताओं के एक साथ आने का साक्षी बना, जिन्होंने पोषण मध्यवर्तनों में स्थिरता और नवप्रवर्तन के निर्माण के महत्व पर चर्चा की।


स्वस्थ और पौष्टिक भोजन तक असमान पहुंच को उजागर करने वाले इस महामारी के दौर के चलते इस वर्ष वर्ल्ड फूड डे को कुछ अधिक ही महत्व मिला है।* हालिया ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट 2020 के अनुसार दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ते कुपोषण का संज्ञान लेने की तत्काल आवश्यकता है, जिसे मौजूदा वैश्विक स्वास्थ्य संकट ने और बदतर कर दिया है। हमारे देश में तो कुपोषण की स्थिति बहुत ही जटिल है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सामान्य से कम वजन वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है, लेकिन अन्य एशियाई देशों के औसत आंकड़ों की तुलना में यह अभी भी खासी अधिक है।


इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों का नवीन पद्धतियों के माध्यम से संज्ञान लेते हुए सम्मेलन में जो गणमान्य लोग उपस्थित थे, उनमें खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग में आईएएस सेक्रेट्री सुधांशु पांडे, पद्मश्री से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय पैरा-एथलीट डॉ. दीपा मलिक, संयुक्त राष्ट्र महिला में डिप्टी कंट्री रिप्रजेंटेटिव, इंडिया सुश्री निष्ठा सत्यम उल्लेखनीय हैं। इस कार्यक्रम में एमवे कॉर्पोरेशन के ग्लोबल सीएसआर मैनेजर डेविड मैडिओल, कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशन्स, मार्केटिंग कम्यूनिकेशंस और सीएसआर, एमवे इंडिया की वाइस-प्रेजिडेंट सुश्री सिमरत बिश्नोई के साथ-साथ ममता एचआईएमसी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. सुनील मेहरा और पीएचडीसीसीआई के प्रेजिडेंट और पैरामाउंट केबल्स के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने भी शिरकत की।


सम्मेलन में बोलते हुए खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के आईएएस सेक्रेट्री सुधांशु पांडे ने कहा, विगत कई वर्षों से भारत भूख और कुपोषण के खिलाफ अपनी लड़ाई में अथक प्रयास कर रहा है। हमारे यहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से दुनिया में सबसे बड़ा खाद्य-सहायता कार्यक्रम है। हमने कोविड-19 महामारी के दौरान वंचित वर्गों के लाखों लोगों को भोजन प्रदान करने के अपने प्रयासों को विशेष रूप से गति दी है। हम पोषण अभियान जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से मातृ स्वास्थ्य, बाल पोषण और लोक कल्याण पर भी विशेष रूप से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। एक ही मंच पर इतने सारे विचारशील अगुआओं को एकत्र करने के लिए मैं पीएचडीसीसीआई, एमवे इंडिया और ममता एचआईएमसी की मुक्त कंठ से सराहना करता हूं। मेरा वास्तव में मानना है कि कुपोषण और इसके सभी रूपों में अंतर्निहित कारणों को दूर करने के लिए सभी का साथ मिलकर चलना और काम करना समय की जरूरत है।


एमवे इंडिया के सीईओ अंशु बुधराजा ने इस पहल के बारे में बात करते हुए कहा, वर्ल्ड फूड डे 2020 का आयोजन असाधारण परिस्थितियों में हो रहा है। मौजूदा महामारी के मद्देनजर इस वर्ष के लिए जो विषय है ‘ग्रो, नौरिश, सस्टेन टुगेदर’, वह पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। प्रतिकूल परिस्थितियों में आगे आकर समुदाय का सहयोग करने के लिए एमवे हमेशा प्रतिबद्ध रहा है। भारत में हमने 2018 में 'पॉवर ऑफ फाइव' अभियान प्रस्तुत किया था। यह बाल कुपोषण को दूर करने के लिए एक समुदाय-आधारित वैश्विक अभियान है। इस अभियान के साथ हमने देश में पोषण स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत के राष्ट्रीय पोषण अभियान में योगदान करने के लिए पोषण और कल्याण में अपने विशाल वैश्विक अनुभव का उपयोग करने का लक्ष्य रखा है। मुझे यह बात साझा करने में अत्यंत ही खुशी हो रही है कि हमने बच्चों की पोषण स्थिति में जबर्दस्त सुधार दर्ज किया है। परिणाम स्पष्ट रूप से जमीनी स्तर पर समुदायों को संगठित करने और उन्हें सशक्त बनाने की शक्ति प्रदर्शित करते हैं, ताकि वे बेहतर और स्वस्थ जीवन जी सकें।


पिछले 2 वर्षों से एमवे ‘पॉवर ऑफ फाइव’ कार्यक्रम के साथ 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण के कारण का संज्ञान लेने के लिए लगातार काम कर रहा है। अपने पायलट चरण में यह अभियान उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के शहरी स्लम और पुनर्वास कॉलोनी किराड़ी में चलाया गया है। 2018 के बाद से 5 वर्ष से कम आयु के 9,750 से अधिक बच्चों का सर्वेक्षण किया गया। कार्यक्रम के पूरे पाठ्यक्रम के माध्यम से आगे की निगरानी के लिए इनमें से 1,000 के करीब बच्चों की पहचान की गई थी। निष्कर्ष यह उजागर करते हुए बेहद उत्साहजनक रहे हैं कि 81% से अधिक बच्चे ‘वेस्टेड’ श्रेणी से बाहर आए। इसी प्रकार 70% से अधिक बच्चे ‘अंडरवेट’ श्रेणी से और 33% बच्चे ‘स्टंटेड’ श्रेणी से बाहर आए।


पॉवर ऑफ 5 वैश्विक अभियान के बारे में बात करते हुए एमवे कॉर्पोरेशन के ग्लोबल सीएसआर मैनेजर डेविड मैडिओल ने कहा, दुनिया भर में कई अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकला है कि बच्चे के विकास के लिए जीवन के पहले पांच साल बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। यदि वे इस समय के दौरान आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त नहीं करते हैं, तो वे कई ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं, जो उनके वयस्क होने पर भी उनमें बनी रह सकती हैं। इस समस्या के समाधान के लिए हमने ‘पॉवर ऑफ 5’ अभियान शुरू किया। इसके पीछे हमारा लक्ष्य बस बच्चों को उनके पांचवें जन्मदिन और उससे भी आगे तक पहुंचने के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करना है। पिछले कुछ वर्षों में इस अभियान के तहत 14 देशों के सैकड़ों-हजारों बच्चों की मदद की गई है। पायलट चरण में भारत की हमारी टीम ने जो अविश्वसनीय परिणाम दर्ज किए हैं, उन्हें देखकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता है। इसने हमें विभिन्न क्षेत्रों में इस कार्यक्रम के और विस्तार की योजना बनाने के लिए प्रेरित किया है। मेरा मानना है कि एक साथ हम और अधिक बच्चों को जीवित रहने, फलने-फूलने और बढ़ने में मदद कर सकते हैं।


संयुक्त राष्ट्र महिला में डिप्टी कंट्री रिप्रजेंटेटिव, इंडिया सुश्री निष्ठा सत्यम ने कहा, वर्ल्ड फूड डे 2020 का आयोजन एक ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया भर में लोगों ने खाद्य सुरक्षा, अच्छे पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता के महत्व को महसूस किया है। वंचित वर्गों के निर्बल लोग, विशेषकर महिलाएं और बच्चे वायरस और रोकथाम के उपायों के प्रभाव, दोनों के प्रति विशेष रूप से अति संवेदनशील होते हैं। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि उनकी पौष्टिक भोजन तक पहुंच हो, क्योंकि पोषण संबंधी लचीलापन स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए किसी भी समाज की तत्परता का एक प्रमुख तत्व है।


इस आयोजन में बोलते हुए अंतर्राष्ट्रीय पैरा-एथलीट और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. दीपा मलिक ने कहा, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने वाली एक एथलीट के रूप में मैं किसी के भी जीवन में पोषण के महत्व को भली-भांति समझती हूं। पोषण न केवल स्वस्थ जीवन जीने के लिए, बल्कि अधिकतम मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि हम सभी को एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए एक साथ काम करने की आवश्यकता है, जो समाज के सभी लोगों को स्वस्थ एवं पौष्टिक आहार तक पहुंच प्रदान कर सके।