प्रोफेसर (डॉ.) सोहन राज तातेड़
पूर्व कुलपति सिंघानिया विश्विद्यालय, राजस्थान
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वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्वस्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पूरे विश्व के लोग मिलकर एक समाज बनाते है तथा एक साथ रहते है। यह प्रक्रिया आर्थिक तकनीकी सामाजिक और राजनीतिक ताकतों का एक संयोजन है। वैश्वीकरण का उपयोग आर्थिक वैश्वीकरण के संदर्भ में किया जाता है अर्थात् व्यापार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, पूंजी प्रवाह, प्रवास और प्रौद्यौगिकी के प्रसार के माध्यम से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण। आर्थिक वैश्वीकरण ने दुनिया भर की विभिन्न संस्कृतियों के एकीकरण पर प्रभाव डाला है।
वैश्वीकरण को अनेक प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है। सीमाओं के पार विनिमय पर राज्य प्रतिबंधों का ह्रास और इसके परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुआ उत्पादन और विनिमय का तीव्र एकीकृत और विश्वस्तरीय तंत्र। कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्वीकरण शब्दों का प्रयोग दूसरे के स्थान पर किया जाता है। लेकिन औपचारिक रूप से इनमें थोड़ा सा अन्तर है। अंतर्राष्ट्रीयकरण शब्द का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंध और संधियों आदि को दर्शाता है। वैश्वीकरण का अर्थ आर्थिक प्रयोजन के लिए राष्ट्रीय सीमाओं का विलोपन, अंतर्राष्ट्रीय लाभ, अंतर क्षेत्रीय व्यापार आदि है। वैश्वीकरण का उपयोग अर्थशास्त्रीयों के द्वारा 1980 से किया जाता रहा है। किन्तु भारत में वसुधेव कुटुम्बकम् के माध्यम से वैदिक काल से इसका उपयोग हो रहा है। हमारे देश का यह वृहत् दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि हमारा दृष्टिकोण कितना उदार रहा है। हमने कभी भी आर्थिक लाभ के रूप में वैश्वीकरण को नहीं अपनाया अपितु विश्वबंधुत्व के आधार पर और समानता के आधार पर इस सिद्धांत को अपनाया है।
विश्व के सभी प्राणी एक है चाहे वह किसी भी देश में रहते हो, किसी भी काल में रहते हो अथवा कही भी रहते हो। क्योंकि सब में मानवता है इसलिए सभी मनुष्य जाति एक है। मानव सभ्यता और जनसंख्या के आधार पर वैश्वीकरण का नाटक नहीं किया जाना चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्वीकरण मुख्य रूप से अर्थशास्त्रियों व्यापारिक हितों और राजनीतिज्ञों के नियोजन का परिणाम है। जिन्होंने संरक्षणवाद और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एकीकरण के गिरावट के मूल्य को पहचाना। इन संस्थाओं में पुनर्निमाण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष शामिल है। वैश्वीकरण में तकनीक के आधुनिकीकरण के कारण यह सुविधा हुई। जिसने व्यापार और व्यापार वार्ता दौर की लागत को कम कर दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अवरोधों में अंतर्राष्ट्रीय समझोतों के माध्यम से लगातार कमी आई है। इन समझोतो में मुक्त व्यापार का संवर्धन, विशेष रूप से समुद्र नौवाहन के लिए डिब्बाबंदीकरण, पूंजीनियंत्रण, स्थानीय व्यवसाय के लिए सब्सीडी में कटौती, मुक्त व्यापार पर प्रतिबंध आदि शामिल है। वैश्वीकरण में मुख्य रूप से व्यापारिक और व्यावसायिक हितों को ध्यान में रखा गया है।
यदि दो देशों के बीच में किसी भी प्रकार का व्यापारिक विवाद होता है तो विश्वव्यापारिक संगठन उन दो देशो के बीच मध्यस्थता करके समझौता कराता है। औद्योगिक उत्पादन, विश्वव्यापी उत्पादन, बाजारों का उद्भव और उपभोक्ताओं तक कम्पनियों की पहुंच कैसे हो इसके लिए आकर्षक ढंग से बड़े-बड़े शोरूम खोलकर ग्राहकों को आकर्षिक किया जाये। विश्वव्यापी वित्तीय बाजार की उत्पत्ति और राष्ट्रीय कार्पोरेट और उपराष्ट्रीय उधारकत्ताओं के लिए बाह्यवित्त पोषण करने के लिए बेहतर पहुंच होनी चाहिए। राजनीति का राजनैतिक वैश्वीकरण विश्व सरकार का एक गठन है जो राष्ट्रों के बीच संबंध का नियमन करता है। तथा सामाजिक और आर्थिक वैश्वीकरण से उत्पन्न अधिकारों की गारंटी देता है। वैश्वीकरण के प्रभाव के साथ देशों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हुआ है। अमेरिका, चीन जैसे देश वैश्वीकरण का भरपूर लाभ उठा रहे है। सूचनात्मक भौगोलिक दृष्टि से दूरस्थ स्थानों के बीच सूचना प्रवाह में वृद्धि हुई है। किसी भी देश में घटने वाली घटना का किसी भी अन्य देश में तत्काल पता चल जाना सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से संभव हुआ है। टेलीफोन की उपलब्धता में वृद्धि के साथ आज हम कहीं बैठे-बैठे किसी भी देश में बात कर सकते है।
यह वैश्वीकरण के आदर्शवाद में सहायक हुआ है। सांस्कृतिक प्रचार-प्रसार विदेशी उत्पादों और विचारो का उपभोग करने और आनन्द उठाने की इच्छा वैश्वीकरण के माध्यम से ही संभव हुई है। पारिस्थितिकी वैश्विक पर्यावरण का आवरण चुनौती देता है जिसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बिना हल नहीं किया जा सकता। वैष्वीकरण के कारण ही भारत की धरती में उत्पन्न हुआ योग विश्व के अनेक देशों में प्रचारित और प्रसारित हो रहा है। योग को 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा मान्यता मिल चुकी है। योग शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के रूप में माना जाता है। स्वास्थ्य के लिए जितना पौष्टिक पदार्थों का महत्व है उतना ही योग का। योग से तन स्वस्थ्य और मन स्वस्थ रहता है। वैश्वीकरण में जहां लाभ है वहां अनेक हानियां भी है। आतंकवाद का विश्वव्यापी रूप जो दिखायी दे रहा है वह वैश्वीकरण के कारण सर्वत्र प्रसरित हो रहा है। सूचनातंत्र के माध्यम से घटनाएं बिजली की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचती है। अतः वैश्वीकरण वसुधैव कुटुम्बकम् का ही एक दूसरा रूप है। (लेखक के अपने विचार हैं)