राम मंदिर शिलान्यास के अवसर पर विशेष
(प्रथम क़िस्त)  

                 


 

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अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास (निर्माण) से सम्बंधित जानकारी इंदौर के नामी वरिष्ठ पत्रकार नवीन जैन ने अपने स्तर पर daylife.page के लिए जुटाई। हम उनके सहयोग को सराहनीय प्रयास मानते हुए हर व्यक्ति तक अपने माध्यम से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं और जिसको क्रमवार हम आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं :

 

जय भोलेनाथकी औऱ शुभ प्रभात चन्द्रकांत सोमपुरा के नाम से वाकिफ हैं आप लोग। हों भी सही या न भी  हों तो कोई बात नहीं। अहमदाबाद निवासी यह वही शख्स है, जिसकी पीढ़ियों को कई मंदिरों की डिजाइन, वास्तुशिल्प, आकल्पन, नक्शा या ले आउट कल्पित करने का श्रेय जाता है। अयोध्या में सनातन हिंदू धर्म के सबसे बड़े आराध्य भगवान श्रीराम के भव्यतम मंदिर की डिजाइन उम्रदराज हो चुके चन्द्रकान्त सोमपुरा ने ही करीब तीस वर्ष पहले तैयार करनी प्रारम्भ कर दी थी। अब उनके पुत्र अखिल तथा विशाल काम को अंजाम दे रहे हैं।

 

हालांकि कुछ निजी कंपनियों ने भी इसमें हिस्सा लिया है, जिस कारण मंदिर की डिजाइन बदल सकती है, किन्तु सर्वप्रथम विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन मुखिया स्व अशोक सिंघल ने चन्द्रकांत सोमपुरा को उक्त दायित्व सौंपा था। डिजाइन उम्रदराज हो चुके चन्द्रकान्त सोमपुरा ने ही करीब तीस वर्ष पहले तैयार करनी प्रारम्भ कर दी थी। अब उनके पुत्र अखिल तथा विशाल काम को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि कुछ निजी कंपनियों ने भी इसमें हिस्सा लिया है। ऐसा इसलिए हुआ कि सोमपुरा प्रचार प्रसार से दूर ही रहे। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि उक्त शख्सियत ने ही  गाँधी नगर के अक्षरधाम, बिरला समूह के विविध मंन्दिरों, लंदन के स्वामीनारायण मंदिर, देहू के संत तुकाराम गाथा मंदिर के अलावा हरियाणा के मस्तनाथ बाबा मंदिर सहित कई मंदिरों की ब्लू प्रिंट तैयार की है।

 

भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में श्री कृष्ण के मंदिर की ब्लू प्रिंट सोमपुरा के दादाजी स्व. प्रभाशंकर सोमपुरा ने ही कल्पित की थी। जान ले कि बद्रीनाथ मंदिर की मरम्मत की डिजाइन बनाने में भी चंद्रकांत सोमपुरा ने अपने पिताजी की मदद की थी। फिलवक्त तो तय नहीं है कि यह मंदिर दो या तीन मंजिला बनेगा। अंतिम रूप से यह भी निश्चित नहीं हो पाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के शिलान्यास के लिए किस तारीख को आएंगे, लेकिन लगभग तय बात यह है कि दुनिया भर के मीडिया में इस ऐतिहासिक अवसर को कवर करने की होड़ मच सकती है।

 

बहरहाल! जब सोमपुरा ने स्व. सिंघल के सामने ने इस मंदिर की पहली ब्लू प्रिंट पेश की थी तो उस वक्त संम्पन्न हो रहे कुंभ मेले में शामिल वरिष्ठ संत साधुओं ने इसे स्वीकृति प्रदान कर दी थी। ततपश्चात इस ब्लूप्रिंट की तस्वीर देश में लाखों परिवारों को भेजी गई थी। कहीं से कोई खास आपत्ति नही आई तो इसी को फ़ायनल मान लिया गया। उक्त डिजाइन में अंदाजन 1.77 एकड़ ज़मीन पर 270 फुट लंबी,145 फुट गहरी, और 141 फुट पूर्वामुखी मंदिर की संकल्पना की गई थी। (लेखक के अपने विचार एवं अध्ययन है) क्रमशः

 


 

लेखक : नवीन जैन

इंदौर (एम.पी.)