प्यार, सम्मान... दोनों पर सभी का हक है


ज़ी सिनेमा पर देखिए थप्पड़ का टेलीविजन प्रीमियर


daylife.page desk


मुम्बई। किसी ने सच ही कहा है, रिश्ते बनाने में उतनी कोशिश नहीं लगती, जितनी निभाने में लगती है। इसी तरह हम भी अपने आसपास अपने चाहने वालों से घिरे होते हैं, जो हमारे लिए अपनी खुशियां कुर्बान कर देते हैं। हालांकि हम अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त होते हैं कि हम अक्सर उन पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। इसी मुद्दे को उजागर करती है डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की प्रभावशाली फिल्म थप्पड़, जो आपको यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सम्मान के बिना प्यार, प्यार कहलाने के लायक है? साल की सबसे खास फिल्म के रूप में मशहूर यह फिल्म अपने सम्मान के लिए अमृता के सफर की कहानी है। यह फिल्म समाज के उस रिवाज पर सवाल उठाती है, जिसमें महिला और पुरुष की भूमिकाओं में फर्क किया जाता है। बनारस मीडियावर्क्स के निर्माण में बनी फिल्म थप्पड़ में अभिनेत्री तापसी पन्नू अमृता सभरवाल के रोल में हैं। उनके साथ नवोदित कलाकार पवन गुलाटी ने  विक्रम सभरवाल की भूमिका निभाई है। इस फिल्म में दीया मिर्ज़ा, रत्ना पाठक शाह, तनवी आज़मी, माया सराव और कुमुद मिश्रा भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं। थिएटरों में ढेर सारा प्यार और सम्मान पाने के बाद फैमिली ड्रामा 'थप्पड़' अब ज़ी सिनेमा पर 28 जून को रात 9 बजे अपने वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर के साथ आपके घरों में आ रही है।


फिल्म थप्पड़ बनाने का अभाव बताते हुए अनुभव सिन्हा ने कहा, "थप्पड़ मेरे लिए एक चुनौतीपूर्ण अनुभव रहा और इस पर मुझे गर्व है। यह फिल्म हमारे समाज में व्याप्त कई मुद्दों उठाती है, जिन्हें दुर्भाग्य से सामान्य मान लिया गया है। हममें से अधिकांश लोग इसे समझे बगैर इस मुद्दे को लेकर जोड़-तोड़ करने लगते हैं। हमारे इस व्यवहार को सही करने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि यह गलत है। हमने अपनी फिल्म के जरिए सही संदेश और भावनाएं दिखाने के लिए काफी मेहनत की है। ऐसे में यह जरूरी है कि यह फिल्म से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। इस फिल्म को अब तक बेहतरीन रिस्पांस मिला है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं उस दौर से हूं जहां कहानी कहने के तरीके के साथ-साथ दर्शकों की सोच भी विकसित हुई है, जिसके चलते ऐसी धारा से अलग फिल्मों को पसंद किया जाने लगा है। ज़ी सिनेमा पर इस फिल्म के वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर के साथ हमें उम्मीद है कि हम इस संवेदनशील मुद्दे पर लोगों की सोच बदलेंगे जिसे लोग अक्सर हल्के में लेते हैं।


थप्पड़ अमृता की कहानी है जो एक टैलेंटेड, पढ़ी-लिखी और प्यार करने वाली गृहिणी है। वो अपने परिवार के बीच खुश है और अपने पति की प्राथमिकताएं ही उसके लिए सबकुछ है। लेकिन यह तब तक होता है, जब तक उसका पति सबके सामने उसे एक थप्पड़ नहीं मार देता। इसके बाद अमृता का यह परफेक्ट रिश्ता बिखर जाता है और फिर वो अपने आत्मसम्मान की लड़ाई के लिए एक कठिन सफर तय करती है। वो कहती है कि यह भले ही एक थप्पड़ है, लेकिन वो नहीं मार सकता।