अदाणी एग्री ने 30,000 मीट्रिक टन अनाज भेजा


(डे लाइफ डेस्क)


इंदौर। सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर निर्भर रहने वाले 60 लाख से अधिक लोगों की लॉकडाउन के दौरान खद्यान्‍न तक बाधारहित पहुंच बनी रही। कंपनी ने पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में रबी फसल की खरीद प्रक्रिया शुरू की। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड के एक हिस्से, अदाणी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (एएएलएल), ने लॉकडाउन के दौरान 30,000 मीट्रिक टन खाद्यान्न भेजने की सुविधा प्रदान की। खाद्यान्न की यह मात्रा भारत के विभिन्न राज्यों जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बंगाल, आदि में 60 लाख से अधिक नागरिकों को भोजन उपलब्‍ध कराने के बराबर है। उत्तर भारत स्थित उत्पादन केंद्रों से लेकर उपभोग केंद्रों तक खाद्यान्न के परिवहन के लिए कंपनी के स्वामित्व वाली और कंपनी द्वारा ही संचालित सात ट्रेनों की भूमिका महत्‍वपूर्ण रही। मध्य प्रदेश सरकार के साथ कारगर समन्वय बनाते हुए, एएएलएल ने 15 अप्रैल, 2020 से अपनी मप्र इकाइयों में पर्याप्त सुरक्षा और एहतियाती उपायों के साथ रबी फसल की गेहूं खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है।


कोविड-19 के प्रसार के तुरंत बाद भारत सरकार ने चलाई जा रही अन्य नियमित कल्याण योजनाओं के अलावा, प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्‍न योजना (पीएमजीकेएवाई) नाम से एक बड़ी कल्याणकारी योजना की शुरुआत की, जिसमें सभी एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) लाभार्थियों को अगले 3 महीनों के लिए 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त में वितरित करने का निर्णय लिया गया। भारत में 14 स्थानों पर खाद्यान्न भंडार गृहों का नेटवर्क संचालित करने वाले, एएएलएल, ने आपूर्ति पर निर्भर रहने वाले लाखों परिवारों के लिए जीवन रेखा का काम किया है। 875,000 मीट्रिक टन प्रति वर्ष की सामूहिक भंडारण क्षमता के साथ, यह नया भंडारण बुनियादी ढांचा (साइलो) लगभग 1.5 करोड़ लोगों की जरूरतों को पूरा करता है।
 
एपीएसईजेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करण अदाणीने बताया कि लॉकडाउन के मुश्किल दौर में एएएलएल ने जो कुछ भी हासिल किया है वह व्यावसायिक लक्ष्यों और दक्षता के मानदंड से आगे की चीज है। इस हासिल ने मुझे प्रभावित किया है, क्योंकि यह राष्ट्र की सेवा करने की प्रतिबद्धता और करुणा से प्रेरित था। इसने सिर्फ यही नहीं सुनिश्चित किया कि जरूरतमंदों के लिए महत्वपूर्ण खाद्य आपूर्ति सुलभ है, बल्‍कि यह उन किसानों के लिए बेहद सुविधाजनक भी है, जो इस गंभीर मानवीय संकट के दौरान भारत के साथ खड़े हैं।
 
एएएलएलअनाज भंडारगृहों (साइलो) के नेटवर्क से जुड़े 25,000 से अधिक किसान 130 रुपये प्रति टन बचाते हैं, अन्‍यथा यह धनराशि हैंडलिंग और साफ-सफाई में खर्च हो जाती। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि साइलो की बाधारहित प्रक्रिया किसानों के 2 से 3 मानव दिवस बचा देती है जो पारंपरिक मंडियों में अपनी आपूर्ति बेचने के फेर में आसानी से नष्‍ट हो जाते।
 
इस कठिन समय में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के महत्‍वपूर्ण भंडार मददगार साबित हुए हैं। लॉकडाउन के दौरान एएएलएल की भूमिका समान रूप से महत्वपूर्ण रही है जिसमें एएएलएल डिपो ने एफसीआई के आदेशों को पूरा करने के लिए उत्‍पादन करने वाले पंजाब और हरियाणा राज्‍यों से उपभोक्‍ता राज्‍यों में स्‍थित भंडारगृहों तक रेक मूवमेंट जारी रखा। कोविड महामारी से पैदा हुई स्‍थिति से निपटने में एएएलएल मजबूती से अपना योगदान दे रहा है और अपने स्वचालित भंडारगृहों से खाद्यान्नों की बाधारहित आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के काम में एफसीआई और मध्‍य प्रदेश सरकार के साथ दृढ़ता से खड़ा हैफ इस आपूर्ति प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी ने हर मोड़ पर मानव स्‍पर्श को न्यूनतम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
 
इसके अलावा, इस अनुभव के साथ नियामक संस्‍थाओं को भविष्य में ऐसी अप्रत्याशित आपदाओं से निपटने के लिए साइलो में खाद्यान्‍न के महत्‍वपूर्ण रिजर्व रखने की एक नीति तैयार करनी चाहिए। स्‍थायी भंडारण गुणवत्ता और पोषण सहित लंबी ‘शेल्फ लाइफ’ के लिए साइलो स्वचालित रखरखाव के साथ वैज्ञानिक भंडारण का आदर्श तरीका है।