साथ है ईश्वर 


हे  ईश्वर ! तेरा आभार है !
तू साथ है और शांति है मेरे अंतर में |
सब कुछ है जो जीने को चाहिए,
अपनों के बीच हूँ, अपने ही घर में ||


दिल रोता तो है, देख-सुन पीड़ा सबकी,
आँसू भी छलक जाते हैं, इस भयानक मंजर में |
रहे ये आस बनी सबके दिल में, कि, 
तू साथ है, और शांति हो, सबके अंतर में |  


होठों पर प्रार्थना रहती है, आजकल हर पल यही,
मिल जाए किनारा, फंसी है, किश्तियाँ जो भंवर में |
रहे भरोसा कि पतवार तेरे हाथों में है,
तू साथ है, और शांति हो, सबके अंतर में |    


रखना तो होगा धीरज, मन के इस चंचल बालक को,
जब तक के यह कायनात, फिर से ना संवर ले |
आने को है सुबह, पर इस काली रात में,
तू साथ है, तो शांति है, सबके अंतर में |    


लेखिका: डॉ. सरिता अग्रवाल (जयपुर)