कोरोना : आपातकाल क्यों नहीं घोषित करती सरकार


कोरोना 


आज कोरोना समूचे विश्व के लिए महामारी बन चुका है। वह बात दीगर है कि कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित लोगों की तादाद इस महामारी के जन्मदाता 80,881 चीन में थी जिसमें 3226 मौतें हुयीं हैं लेकिन चीन के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा इटली में 27,980 संकमित पाये गए जिनमें 2158 मौतें हुयी हैं। बीते दो दिनों में वहां 700 से ज्यादा मौतें कोरोना से हो चुकी हैं और अभी भी वहां 2800 लोग कोरोना संक्रमित हैं।


इसके बाद ईरान में 14,991 संकमित लोगों में से 853 मौत के मुंह में जा चुके हैं। स्पेन में 9942 में से 342, फांस में 6633 में से 148, दक्षिण कोरिया में 8320 में से 75, जापान में 821 में से 28 और जर्मनी में 7272 में से 17 की मौत हो चुकी है। लेकिन दुनिया का सबसे शक्तिशाली और विकसित देश अमरीका भी इससे अछूता नहीं है। वहां भी 4667 कोरोना संकमित पाये गए हैं और अभी तक वहां इससे 87 लोगों की मौत हो चुकी है।


इनके अलावा हांगकांग में 157 संकमित में से 4, ताइवान में 67 में से 1, मलेशिया में 553 में से 1 और थाईलैण्ड में 147 में से अभी तक 1 की मौत हो चुकी है। इस महामारी के चंगुल में वियतनाम, ब्रुनेई, मकाउ, कम्बोडिया और सिंगापुर जैसे देश भी हैं जहां कमश: 61, 54, 11, 24 और 243 कोरोना संकमित लोग हैं। यह तादाद तो वह है जिनका खुलासा हो चुका है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार समूची दुनिया में अभी तक कोरोना संकमितों की तादाद करीब 2 लाख पार कर चुकी है। इनमें 7,160 की मौत हो चुकी है। 67,003 इसके चंगुल से बाहर आकर यानी बचकर दोबारा दुनिया देख पाने में समर्थ हुए हैं। हालात की भयावहता का आलम यह है कि स्विट्जरलैण्ड में इमरजेंसी घोषित की जा चुकी है। फांस में शटडाउन की तैयारी है और सेना को कमान सौंप दी गई है। एम्सटरडम की गलियां सूनी पड़ी हैं।


आलम यह है कि कोरोना के चलते दुनिया के देशों के बाजारों की रौनक फीकी पड़ चुकी है या इसे यूं कहें कि वहां सन्नाटा छाया हुआ है तो कुछ गलत नहीं होगा। असलियत यह है कि लाख चेतावनियों के बावजूद दुनियाभर में लोग कोरोना से इस तरह आतंकित हैं, भयग्रस्त हैं कि उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आ रहा कि वे करें तो क्या करें___ जहां तक हमारे देश का सवाल है, हमारे यहां अभी तक कोरोना संकमित लोगों की तादाद भले 126 बताई जा रही है और इसके चलते तीन मौतें होने का दावा किया जा रहा है।


लेकिन दुनिया में चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना संक्रमित लोगों की तादाद केवल इतनी ही है, इस पर सहज भरोसा नहीं किया जा सकता। उस हालत में तो कतई नहीं जबकि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली जगजाहिर है। वह भी उस हालत में जबकि अभी तक इस महामारी की दुनिया में कोई दवा ही न हो। इस बाबत अमरीका भले दावा कर रहा है लेकिन उसकी ही मानें तो यह दवा आने में अभी दो साल का वक्त लग जायेगा।


हालात की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि सरकार ने आगामी 31 मार्च तक के लिए स्कूल कालेज, सिनेमाघर नाइट क्लब, जिम सभी बंद करने की घोषणा की है। मॉल बंद करने पर विचार जारी है। अफगानिस्तान, फिलीपींस, मलेशिया, टर्की, ब्रिटेन सहित योरोपीय यूनियन सहित योरोप के 32 देशों के पर्यटकों के भारत में प्रवेश पर रोक लगा दी है। देश की औद्यौगिक राजधानी मुंबई में विख्यात सिद्धि विनायक मंदिर जहां रोजाना तकरीब 40 हजार से ज्यादा दर्शनार्थी आते हैं, शिरडी स्थित साईं मंदिर और आगरा स्थित दुनिया का सातवां आश्चर्य ताजमहल अगले आदेश तक पर्यटकों के लिए बंद करना पड़ा है। वैष्णो देवी मंदिर में विदेशी पर्यटकों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। सभा-सेमिनार-सम्मेलन के आयोजन पर रोक लगा दी गई है।



सरकार द्वारा 50 से अधिक लोगों के एक जगह एकत्रित न होने की और लोगों से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी गई है। पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित कर दिये हैं। कुछ राज्यों की विधान सभायें अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई हैं। देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान आई आई टी से हॉस्टल खाली कराये जा रहे हैं। मुंबई में संक्रमित व्यक्ति के हाथ पर होम क्वारोटाइन' का ठप्पा लगाने का महाराष्ट्र सरकार आदेश दे चुकी है ताकि संक्रमित की पहचान हो सके और रोग के फैलने से बचाने हेतु उसे दूसरे लोगों से अलग रखा जा सके।


इसका प्रमुख कारण देश में महाराष्ट्र में कोराना संकमित लोगों की सबसे अधिक तादाद 39 तक पहुंच जाना हैगौरतलब यह है कि देश में अभी तक कोरोना का प्रभाव शहरी इलाकों तक ही सीमित है। ग्रामीण क्षेत्र अभी तक इसके प्रभाव से अछूते हैं। यह संतोष का विषय है। लेकिन इसकी भयंकरता को नकारा नहीं जा सकता। इस बारे में जागरूकता और बचाव ही सबसे बड़ा कारगर उपाय है।


वैसे सरकार के प्रयासों को भी नकारा नहीं जा सकता। इस दिशा में वह युद्ध स्तर पर व्यवस्था करने में जुटी है। लेकिन वह देर से चेती, इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता। आवश्यक है कि सरकार इस आपदा की घड़ी में आपातकाल की घोषणा करे। कोरोना आपदा से कम नहीं है। जबकि यह जगजाहिर है कि यह स्पर्श से और संपर्क में आने से फैलता है, इसलिए वह ऐतिहासिक किलों सहित सभी धार्मिक स्थलों, पर्यटन, दर्शनीय स्थलों को कुछ समय के लिए बंद कर दे। आवश्यक हो, तभी कार्यालय खोले जायें। महाराष्ट्र सरकार का इस दिशा में सरकारी दफ्तरों को बंद करने का निर्णय प्रशंसनीय कदम है। कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों, प्रतिष्ठित औद्यौगिक संस्थानों ने इस दिशा में कदम उठाये हैं।


इस बारे में एम्स के डायरेक्टर डा. रणदीप गुलेरिया का कथन महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि ऐसी हालत में लॉक डाउन समय की मांग है। मनुष्य को सामाजिक गतिविधियां कुछ समय के लिए बंद करनी होंगी यी उनपर अंकुश लगाना होगा। घर में ही रहें तो बहुत अच्छा होगा। बाहर जाने से बचना होगा। एक दूसरे के संपर्क में आने से बचें। थूकने से भी यह वायरस फैलता है। मुंह को ढंकें। खांसते समय रूमाल का इस्तेमाल करें। लगातार बार-बार हाथ धोएंकिसी चीज को छूने के बाद सैनिटाइजर या साबुन से अच्छी तरह हाथ धोवें। आमतौर पर इसका प्रभाव 5 से सात दिन तक रहता है। विशेष परिस्थिति में ही इसका प्रभाव दो से तीन हफ्तों तक रहता है। सबसे बड़ी बात बचाव की है और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की है। इससे बचने का यही इसका कारगर उपाय है। (लेखक के अपने विचार हैं) 



ज्ञानेन्द्र रावत


वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं पर्यावरणविद् अध्यक्ष, राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा समिति ए-326, जीडीए फ्लैट्स, फर्स्ट फ्लोर, मिलन विहार, अभय खण्ड-3, समीप मदर डेयरी, इंदिरापुरम्, गाजियाबाद-201010, उ0प्र0 मोबाइल : 9891573982