(डे लाइफ ब्यूरो)
जयपुर। राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान जयपुर सभागार में नम क्षेत्र एवं पक्षी संरक्षण विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया किया गया। इस अवसर पर पर्यावरण एवं वन मंत्री सुखराम बिश्नोई ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी विभागीय अधिकारियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं अनुसंधानकर्ताओं एवं छात्र-छात्राओं से आह्वान किया की यह संरक्षण का कार्य एक बहुत ही परोपकारी कार्य है। क्योंकि पंछियों को हमारे जलवायु में परिवर्तन का आभास काफी पहले हो जाता है। पंछियों के संरक्षण से हम इस धरती पर न केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे बल्कि मानव जीवन को बढ़ते खतरों से भी बचा सकेंगे।
इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक हो डॉक्टर जी वी रेडी ने विशेषत आह्वान किया कि राज्य में नम भूमि संरक्षण की महती आवश्यकता है और हमें ऐसी सभी भूमियों को ठीक प्रकार से चिन्हित करना होगा और सभी उत्तरदाई विभागों के मध्य सामंजस्य बनाते हुए इस कार्य को आगे बढ़ाना होगा। यह बहुत ही खुशी की बात है कि राजस्थान में एक वेटलैंड अथॉरिटी का गठन हो चुका है जिसके माध्यम से इस कार्य को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
इससे पूर्व संस्थान के निदेशक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ एन सी जैन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए नम भूमि संरक्षण की महत्ता के बारे में अपना प्रस्तुतीकरण दिया और आह्वान किया कि इस हेतु हमें स्थानीय जनभागीदारी से संरक्षण के कार्यों को आगे बढ़ाना होगा, आमजन में इसके कार्यों के प्रति जागृति बढ़ानी होगी, विभिन्न अनुसंधानकर्ताओं को भी इसमें भाग लेना होगा और राज्य में पॉलिसी निर्माण को गति देते हुए इसे लागू करने पर जोर देना होगा।
इसके अलावा आकांक्षा महाजन (सीफ), डॉ कविता सिंह (ज्वाइंट सेक्रेटरी, वेटलैंड अथॉरिटी), सुदर्शन शर्मा (डीएफो वन्य जीव) भी इस कार्यक्रम में उपस्थिति थे। वर्कशॉप के माध्यम से वेटलैंड की सुरक्षा एवम् उसकी मॉनिटरिंग के प्रति लोगों को जागरूक करने पर विशेष जोर दिया गया। डॉ. सीमा कुलश्रेष्ठ, व्याख्याता, प्राणी विज्ञान राजकीय महाविद्यालय सांभर ने आसपास के ग्रामों के सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर कई सुझाव दिए जिससे भविष्य में सांभर जैसी आपातकालीन परिस्थिति की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। मनोज कुलश्रेष्ठ, परिस्थितिकी विशेषज्ञ ने राजस्थान की नम भूमियों के सर्वे के आधार पर यह आह्वान किया कि हमें इस विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचना होगा एवं सभी कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन करते हुए समुचित उपाय करने होंगे।
कार्यशाला में रोहित गंगवाल, डॉ राकेश मिश्रा, डॉक्टर सतीश शर्मा एवम् डॉ जॉय गार्डनर ने अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से सभागार में उपस्थिति लगभग 150 लोगों को पक्षी बचाव हेतु जागरूक किया एवं पक्षियों को बचाने के लिए किए जाने वाले बचाव के तरीके, ट्रीटमेंट, हैंडलिंग तरीकों से भी अवगत कराया। आगामी 13 से 15 जनवरी के मध्य जयपुर के विभिन्न स्थानों पर इन पक्षी संरक्षण हेतु जगह-जगह कैंप लगाए जाएंगे। जहां पर जैसे ही जानकारी मिलती है तुरंत घायल पक्षियों को लाकर उनके इलाज की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए उनके द्वारा हेल्पलाइन नंबर 7014477447, 8239939929 व 9828500065 जारी किए गए जिन पर कोई भी व्यक्ति घायल पंछियों के बारे में सूचना देकर सहयोग कर सकता है। इसके साथ ही वन मंत्री द्वारा वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन, ईडब्ल्यूएस, होप एंड बियोंड एवम् रक्षा टीम के मकर संक्रांति के अवसर पर बचाव कैंपेन के पोस्टरों का भी विमोचन किया।