गंगा और तोताराम का दर्द


आज तोताराम आया तो उसका सर मुंडा हुआ था । तोताराम के एक चाचा जयपुर में रहते हैं । कुछ दिनों से बीमार थे । हमें लगा शायद उनका निधन हो गया दीखे । पूछा- तोताराम क्या चाचाजी चल बसे बोला. नहीं । तो फिर ये सर क्यों घुटा रखा है । तुझे पता है दिवाली के बाद नहाना और हजामत बनवाना शास्त्रों के खिलाफ है बिना बात सर्दी खा जाएगा ।


तोताराम ने उत्तर दिया- सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया । मैं कर ही क्या सकता था सिवा सर मुंडा कर शोक व्यक्त करने के । हमने कहा. यह शोक की नहीं बल्कि खुश होने की बात है कि एक धर्म निरपेक्ष सरकार ने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया । हालाँकि हजारों वर्षो से गंगा के किनारे कुम्भ का मेला लगता है । गंगा के किनारे ही भारत की सभ्यताए संस्कृति और चेतना विकसित हुई है । चलो देर आयद दुरुस्त आयद।


तोताराम बोला यही तो रोना है । जिसको भी राष्ट्रीय बनाया समझो उसीकी दुर्गति हो गयी । हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाया तो अंग्रेजी स्कूलों की बाढ़ आ गई । गांधी को राष्ट्रपिता घोषित किया तो कोई नामलेवा नहीं रहा ।


उसकी समाधी पर अमरीका के खोजी कुत्ते चढ़ते हैं कांग्रेस में कोई गांधी टोपी पहननेवाला नहीं रहाए खादी पहनने और शराब न पीनेवाले कितने बचे हैंघ् राष्ट्रीय पशु बनने के बाद कितनेक शेर बचे हैं देश मेंघ राष्ट्रध्वज को कश्मीर में फाड़ कर फ़ेंक दिया गया है और कश्मीर का झंडा फहराया जाता है । राष्ट्रीय भावनाओं की प्रतीक गाय सडकों पर गाली और गंदगी खाती फिर रही है । गीता राष्ट्रीय ग्रन्थ क्या हुई लोगों ने निष्काम कर्म तो दूर लोग पैसे लेकर भी कटे पर पेशाब करने से मना कर देते हैं । जब श्वन्दे मातरमश् राष्ट्रीय गीत नहीं था तो लोग उसे गाते.गाते फाँसी के फंदे पर चढ़ गए और अब उसे गाने में ही लोगों का धर्म आड़े आ रहा है । राष्ट्रगान के समय सावधान रहकर गाना तो दूर की बात हैए मोबाईल पर बतियाते रहते हैं । मुश्किल से एक प्रतिशत सांसदों और विधायकों को राष्ट्रगान गाना आता होगा । राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंख नोंच कर निर्यात कर दिए और माँस होटलों में पक गया । राष्ट्र.निर्माता अध्यापकों की दशा और दिशा से कौन अपरिचित हैघ् यह ठीक है कि गंगा में गटर और कारखानों की गंदगी जाने से वह प्रदूषित हो गई है और अब टिहरी वाला बाँध पूरा हो जाने के बाद तो गंगा एक छोटा सा गन्दा सा नाला मात्र रह जायेगी । गंगा का मरना तो तय हैपर राष्ट्रीय होकर दुर्गति को प्राप्त होनाउससे भी अधिक दुःखद है । शराब पियो पर कम से कम रघुपति राघव रजा राम गाते हुए तो मत पियो । बकरा काटोए खाओ पर धार्मिक मंत्र पढ़ते हुए धर्म को तो बदनाम मत करो ।


हमने कहा. तोतारामए राष्ट्रीय नदी बन जाने से उसकी सफाई होगी उसका उद्धार होगा । तोताराम बोला. उद्धार.वुध्हार कुछ नहीं । ये सब पैसे खाने के नए.नए नाटक हैं । राष्ट्रीय होने से ही कुछ होता तो राष्ट्रीय एकता.परिषद् की जितनी मीटिंगें होतीं हैं उतनी ही सर फुटौवल ज़्यादा क्यों होती हैघ् बेचारी गंगा मैया को शान्ति से मरने भी नहीं देंगे । टीवी वालों के तरह मरणासन्न का इंटरव्यू लेंगे तो भी आशा करेंगे कि वह मुस्कराए । (लेखक के अपने विचार हैं)


रमेश जोशी


(वरिष्ठ व्यंग्यकार, संपादक 'विश्वा' अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, अमरीका)


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