वर्तमान समय में धर्म के नाम पर प्रपंच किया जा रहा है। कुछ संत गेरुआ वस्त्र धारण कर धर्म के दलाल बने हुए हैं। वह भारत की धर्मभीरू जनता को धर्म के नाम पर लूट रहे हैं। जनता के चढ़ावे से यह अपने ऐशो आराम व सुख सुविधा के साधन के जुटातेहैं। विभिन्न धार्मिक चैनल बड़ा चढा कर इनके गुणगान करते हैं। इनसे समाज को ना तो कोई उचित मार्गदर्शन मिल रहा है और न समाज का भला हो रहा है। इनकी कथनी व करनी में अंतर होता है। जब इन आश्रमों की सच्चाई सामने आती है तो वहां करोड़ों रुपए की संपत्ति बरामद होती है जिसका कोई हिसाब इन धर्म के दलालों के पास नहीं होता है। आधुनिक संतों का आचरण किसी से छुपा नहीं है। इन कथित साधु संतो के आश्रमों में भेंट पूजा चढाकर भगवान को खुश करने के बजाय हम अपना धन व समय गरीबों की भलाई व जरूरतमंदों की सेवा में लगाएं तो भगवान ज्यादा प्रसन्न रहेंगे। धर्म के बड़े-बड़े दलाल जेल में पड़े हुए हैं। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)
लेखक : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।