देश में शिक्षा सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में बंटी हुई है। हमारी आर्थिक विषमताओं ने शिक्षा को उच्च वर्ग व निम्न वर्ग में विभाजित कर दिया है। सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं सरकारी विद्यालय के नियम कायदे ऐसे हैं जहा अध्यापकों की जवाब देही तय नहीं है। उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व संस्कार देने का कोई लक्ष्य नहीं है। गरीबी के कारण प्रतिभावान बच्चे पिछड़ जाते हैं।
अमीर वर्ग, अधिकारियों, व नेताओं के बच्चे निजी विद्यालयों में पढ़ते हैं वहां अध्यापकों पर विद्यालय प्रबंधन का दबाव रहता है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व प्रभावशाली ढंग से पढ़ाया जाता है।
अगर शैक्षणिक स्तर समान करना है तो उच्च वर्ग के बच्चों को भी सरकारी विद्यालयों मे पढाना अनिवार्य कर देना चाहिए ताकि सरकार को पता चले कि सरकारी विद्यालय की क्या दशा है। सरकार को शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए कठोर कदम उठाना चाहिए ।शिक्षा सभी का मौलिक अधिकार है बच्चों का पूरा भविष्य इसी पर निर्भर करता है।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।