वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
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दक्षिण के राज्य कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस मोटे तौर पर मुख्यमंत्री सिद्धारामिया बनाम उप मुख्यमंत्री डी.के.शिवकुमार बन गई है। सिद्धारामिया मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं है तथा शिवकुमार मुख्यमंत्री का पद पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। लड़ाई दिल्ली तक पहुंच गई है तथा कांग्रेस पार्टी आला कमान फ़िलहाल इस मुद्दे पर कोई निर्णय टालने में लगी है।
हाल में समाप्त हुए राज्य विधानसभा के बजट अधिवेशन में नेताओं की बीच लड़ाई खुल कर सामने आ गई। राज्य में जब 2023 के मध्य में विधान सभा केचुनाव हुए तो शिवकुमार राज्य कांग्रेस के मुखिया थे। उनका दावा था कि राज्य में कांग्रेस पार्टी इसलिए जीती क्योंकि पार्टी अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने संगठन को मजबूत बनाया था। वे जीत का सारा श्रेय ले रहे थे तथा मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. वे गाँधी परिवार के बहुत निकट माने जाते है,इसलिए उनको भरोसा था कि पार्टी उन्हें ही मुख्यमंत्री का पद देगी। उधर राज्य के पहले भी मुख्यमंत्री रहे सिद्धारामिया,जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं, इस पद के बड़े दावेदार थे। वे पहले भी कई मंत्रिमंडलों में रहे है तथा उनको लम्बा प्रशासकीय अनुभव भी है। उधर शिवकुमार,जो वोक्कालिंगा समुदाय के बड़े नेता है। वे राज्य के बहुत धनवान विधायक हैं। उनकी परिसंपत्तियां लगभग एक हज़ार करोड़ के आस पास है.वे आये से अधिक धन के कई मामलों में फंसे हुए है। प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें गिरफ्तार भी किया था तथा वे कई महीने जेल में भी रहे थे। खुद सोनिया गाँधी उनको मिलने जेल गईं थीं। उनको शायद इसलिए मुख्यमंत्री का पद नहीं दिया गया क्योंकि यह आशंका थी कि उनको इन मामलों में कभी भी सजा हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि तब यह सहमति बनी थी कि ढाई वर्ष बाद सिद्धारामिया पद छोड़ देंगे तथा शिवकुमार को यह पद दे दिया जायेगा। यह भी तय हुआ था कि लोकसभा चुनावों तक वे राज्य पार्टी के अध्यक्ष भी बने रहेंगे। उन्हें उनकी पसंद का विभाग का दिया जायेगा तथा सिद्धारामिया सभी बड़े प्रशासनिक निर्णय उनकी सलाह से करेंगे। सरकार का ढाई वर्ष का कार्यकाल इस साल के अंत तक पूरा होना है इसलिए शिवकुमार और उनके समर्थक पार्टी आलाकमान पर अभी से दवाब बना रहे है कि मुख्यमंत्री का पद उनको देने की बात अभी से पक्की हो जानी चाहिए।
उन्होंने जब लोकसभा चुनावों के बाद भी राज्य पार्टी के अध्यक्ष से इस्तीफ़ा नहीं दिया तो सिद्धारामिया के समर्थकों ने उनके खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। इस बजट अधिवेशन में यह मुहीम और तेज कर दी गई। राज्य कांग्रेस के एक बड़े नेता सतीश जारकीहोली अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे है। उनको सिद्धारामिया का समर्थन प्राप्त है। सिद्धारामिया के नज़दीक समझे जाने वाले सहकारिता मंत्री राजन्ना ने इस बात को बार बार दोहराया कि पार्टी के नियमों के अनुसार एक नेता को एक ही पद रहने दिया जाये।
उधर शिवकुमार विधानसभा स्तर के बाद दिल्ली गए तथा पार्टी महासचिव वेणुगोपाल सहित पार्टी के कई केंद्रीय नेताओं से भेंट की। वहां से लौटने के बाद उन्होने खुलकर कहा कि वे पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा नहीं देंगे। उनको और उनके समर्थकों का कहना है अगर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ा तो उनका राजनीतिक वजन कम हो जायेगा जिससे वे मुख्यमंत्री पद के कमज़ोर उम्मीदवार बन कर रह जायेंगे।लेकिन इसके बावजूद शिवकुमार के खिलाफ सिद्धारामिया के समर्थकों की मुहीम जारी रही.विधान सभा के सत्र समाप्त होने के कुछ दिन पहले हनी ट्रैप का कांड सामने आया। कुछ वीडियो क्लिप वायरल हुए जिसमे कुछ नग्न और अर्ध नग्न महिलायों ने अपने अश्लील फोटो भेजे थे। इस वीडियो में ये महिलाये कांग्रेस विधायकों को सेक्स के लिए आमंत्रित करती नज़र आती है। कुछ ने तो अपने नग्न चित्र विधायकों के साथ होने का दावा किया था। कुल मिलाकर लगभग 50 विधायकों के नाम इस स्कैंडल में सामने आये। इनमें सहकारिता मंत्री राजन्ना सहित सभी विधायक सिद्धारामिया गुट के थे.ये वीडिओ सामने आने के बाद शिवकुमार के खिलाफ मुहीम बंद सी हो गई। राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि इन वीडियो के पीछे जो लोग थे वे शिवकुमार के नज़दीक माने जाते है।
इसके बाद दो बातें सामने आयीं। पहला फिलहाल शिवकुमार को राज्य पार्टी के अध्यक्ष पद से अभी हटाया नहीं जायेगा। दूसरी फ़िलहाल सिद्धारामिया को अपनी कुर्सी छोड़ने के लिए नहीं कहा जायेगा। राज्य पंचायतों के चुनाव कुछ महीनों बाद होने वाले है तब तक सारा मामला दबा रहेगा। जो कुछ भी होना है वह इन चुनावों के बाद ही होगा। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)