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जयपुर। आलारिपु संस्था द्वारा आयोजित संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से तीन दिवसीय आलारिपु हास्य नाट्य समारोह "मै आलारिपु संस्था के कलाकारों द्वारा रवींद्र मंच पर आज दूसरे दिन 18 मार्च को शाम 7.00 बजे सामाजिक हास्य व्यंग्य नाटक पीरन का मंचन किया गया इसके लेखक हैं सआदत हसन मंटो, मंच परिकल्पना व निर्देशन सिकंदर अब्बास ने किया एवं नाट्य रूपांतरण व सह-निर्देशन कपिल कुमार ने किया और संयोजन किया है के.के.कोहली ने, सेठ धर्मदास के घर का नौकर है रामू काका..जिसकी कई पुश्तै इस घर की सेवा करती रही है,रामू के संस्कार में सेठ के प्रति वफादारी है जो उसे विरासत में मिली है..मगर उसकी एक आदत से सेठ बहुत दुखी है,क्योंकि शहर में कोई भी दुर्घटना होती है तो खबरीलाल की तरह वह सभी दुख की खबर जब तक सेठ जी को नहीं सुनाता उसके पेट का हाजमा नहीं होता ..और संजोग से बुरी खबर भी तभी ढूंढ के लाना होता है जब सेठ कुछ खा-पी रहा होता है जिससे सेठ का खाया पिया वापस निकल जाता है..अब सेठ बहुत दुखी होकर उसे कहता है..रामू मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं .. तू कोई भी बुरी खबर लाए तो उसे उल्टा बयान किया कर, ताकि तेरे पेट का भी हाजमा हो जाए और मैं भी चेंन से खा-पी लूं ...फिर रामू ऐसा ही करता है, उधर रामू मशहूर लेखक सहादत हसन मंटो का बहुत बड़ा दीवाना है,मंटो की कहानी खूब पढ़ता है और गांव नगर में जहां भी मंटो की कहानियों का मंचन होता है रामू देखने पहुंच जाता है,रामू के बच्चा होने पर है और बाप मर जाता है,इस मौके पर उसके गांव में मंटो की कहानी पीरन का मंचन भी है,तो सेठ से पैसे लेकर गांव में तीनों काम में शरीर हो जाता है, नाटक में मंटो के दोस्त बृजमोहन पीरन की मोहब्बत में कैद है,मगर पीरन किसी और से मोहब्बत करती है। उसे यह नहीं पता की प्रेमी की तस्वीर जो प्रकाशित होती है वह बृजमोहन की ही है..लेकिन बृजमोहन के जीवन में पीरन नहुसत की तरह है ब्रिज मंटो से आठ आने लेकर प्रत्येक रविवार को बांद्रा में मिलता है तो पनौती में लिप्त होता जाता है,मंटो की हर कहानी समाज का आईना है,जो सत्य घटनाओं की दास्तां बयां कर करती है,ठुकराए गए लोगों की कहानी ही उनकी तहरीर है जिसे आप देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि मंटो पर बदनामी का दाग क्यों लगा जिसने भारतीय साहित्य में नारीवाद की शुरुआत करने वालों में शिरकत की।
प्रयोग कर इस कहानी में मंटो:विशाल बेरवा,पीरन:शबनम खान,बृजमोहन:सुमित चौधरी,नौकर:कपिल कुमार:सेठ धर्मदास:सिकंदर चौहान, रामू काका:कैलाश सोनी,चिंतक राम: रवि सिंह,दिनेश भारती,समाजसेवी रीता:रीटा एलेक्जेंडर,पत्रकार:सुनील कुमार जैन,रवि सिंह, मैं अभिनय किया।
इस प्रयोग प्रयुक्त प्रयोगात्मक नाटक में कार्यक्रम प्रबंधक:मरगूब अहमद, प्रकाश: यशेष पटेल, म्यूजिक:हैदर साहिब,लवीना चोईत्रामाणि,वस्त्र विन्यास:सना, रूप सजा:असलम मंच सज्जा-स्टेज ज क्राफ्ट:राजीव मिश्रा वीडियोग्राफी:केशव गुप्ता,उमेश शर्मा, प्रॉपर्टी:आदम साहिब, उद्घघोषणा: नरेंद्र बबल ने की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सिने निर्देशक लखविंदर सिंह,निर्माता एन.के.मित्तल अध्यक्ष शकूर कमेरा ने की इस समारोह का तीसरा नाटक 19 को समारोह के समापन में 7 बजे वरिष्ठ रंगकर्मी के.के.कोहली लिखित व निर्देशित हास्य नाटक "शर्तिया इलाज" का मंचन किया गया जिसने दर्शकों को खूब हंसाया,कार्यक्रम प्रसार प्रबंधक सुनील कुमार जैन ने अतिथियों का मोतियों की माला और दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया और संस्था सचिव सिकंदर चौहान ने सबका आभार व्यक्त किया।