गजल
लेखक : चन्द्र शेखर शर्मा चन्द्रेश
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एक भीगी हुई सी गजल
आज फिर याद आई है।
तरल सी आँखों में कोई
नमकीन सी तन्हाई है।।
उनके महल में अनेक
चरागाँ रोशन हैं।
पर मेरी आँखों में
नमकीन सा पानी है।।
जरूर मेरी मुहब्बत में
कोई कमी रही होगी।
हम इश्क करते ही रहे, पर
उनकी रुसवाई ना गई।।
अब जो होना था, हो लिया
हम भी जन्हां से रुखसत हो लिए ।
पर, इतना बहुत है, उनका मकां
मेरी कब्र के पास बना है।।
मौलिक, अप्रकाशित रचना
लेखक : चन्द्र शेखर शर्मा चन्द्रेश
10, विवेक विहार, जगतपुरा
जयपुर - 302017.
हैलो - 9799948775.