लेखक : लोकपाल सेठी
वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं राजनीतिक विश्लेषक
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कांग्रेस के बड़े नेता और पार्टी की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, शशि थरूर, पार्टी नेतृत्व, विशेषकर गाँधी परिवार से, नाराज़ चल रहे है। उनका कहना है कि पार्टी में उन्हें कोई ढंग का काम नहीं दिया जा रहा। पार्टी को सुधारने के लिए समय-समय पर दिए सुझावों को दर किनारे कर दिया जाता है।
हाल ही में एक पॉडकास्ट तथा एक लेख में उन्होंने खुलकर कहा कि ऐसी स्थिति में उनके पास “अन्य विकल्प” खोजने के अलावा और कोई नहीं रास्ता नहीं बचा है। उनको कहना है कि लोकसभा चुनावों के बाद हुए विधान सभा चुनावों में पार्टी लगातार हार का मुंह देख चुकी है। ऐसे में अब समय आ गया है कि पार्टी को इस स्थिति की गहन समीक्षा करना जरूरी हैं। उनका कहना है कि आम मतदाता कांग्रेस पार्टी से दूर होता जा रहा है। पार्टी का वोट आधार घट कर 19 प्रतिशत ही रहा गया है। इसलिए वह अगर नए मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित नहीं करती तो पार्टी का भविष्य अच्छा नहीं दिखता। केरल,जहाँ से वे आते है, के बारे में यहाँ तक कह डाला कि अगर स्थिति में बदलाव नहीं आया तो अगले विधान सभा चुनावों के बाद कांग्रेस को लगातार तीसरी बार विपक्ष में बैठना पड़ सकता है।
यह सब बातें उन्होंने दिल्ली में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी से हुई भेंट के बाद कहीं। उनकी बातों को अन्य पार्टियों को लोग अपने अपने ढंग से ले रहे है। शशि थरूर खुलकर अपने विचार व्यक्त किये जाने के लिए जाने जाते है। कई बार उनके द्वारा कही गई की बातें कांग्रेस पार्टी की नीतियों से मेल नहीं खाती और इनको लेकर पार्टी का नेतृत्व अपनी नाराजगी जता चुका है। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फ्रांस और अमरीका के दौरे से लौटे तो शशि थरूर ने इस यात्रा को सफल बताया था। उन्होंने यहाँ तक कहा था कि, मोदी के नेतृत्व में भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि अच्छी और मजबूत हुई है। इसी तरह उन्होंने केरल में वाममोर्चे की सरकार को अच्छा बताया और कहाँ कि राज्य के मुख्यमंत्री प्रदेश के विकास को सही दिशा में ले जा रही है। वे राज्य सरकार की आर्थिक नीतियों से संतुष्ट है।
शशि थरूर का है कि वे सही मायनों में नेता नहीं है। इसलिए वे सही को सही और गलत को गलत कहने से नहीं चूकते। उनको कहना है कि जब तक कांग्रेस अपने वोट बैंक में 25-26 प्रतिशत की वृद्धि नहीं करती तब तक कई राज्यों और केंद में सत्ता तक नहीं आ सकती।
शशि थरूर 2008 के आस पास राजनीति में आये थे। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर केरल की राजधानी श्रीवनंतपुरम से जीता था। तब से लेकर वे लगातार चौथी बार यहाँ से जीत चुके है। उनको दावा है कि वे केवल कांग्रेस मतों से ही नहीं जीतते। उनको पसंद करने वाले ऐसे लोगों की संख्या राजधानी बहुत अधिक है जो कांग्रेस पार्टी को पसंद नहीं करते पर व्यक्तिगत रूप से उनको वोट देते है। 2024 के लोकसभा चुनावों में उनका मुकाबला पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा बीजेपी के नेता राजीव शेखर से था। उनकी इस बार जीत मुश्किल लग रही थी। वे जीते लेकिन उनकी जीत का अंतर पिछली जीतों से काफी कम था। मजे की बात यह है ये दोनों नेता हैं तो केरल के ही लेकिन केरल से अधिक बाहर ही रहे है। शेखर एक बड़ी कंपनी चलते हैं। जबकि लन्दन में जन्मे शशि थरूर देश से अधिक विदेशों में रहे है।
उन्होंने अपनी पढाई दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से की तथा वहां के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके है। वे 8 साल तक संयुक्त राष्ट्र संघ के उप महासचिव रहे। एक समय वे संघ के महासचिव बनाने की दौड़ में थे। लेकिन जब उन्हें यह पद नहीं मिला तो देश वापिस लौट आये तथा राजनीति में आने का निर्णय किया। वे एक अध्ययनशील तथा बुद्धिजीवी के रूप में जाने जाते है। अब तक अलग-अलग विषयों पर एक दर्ज़न से अधिक किताबें लिख चुके है। उन्हें विदेशों से सेमिनारों में बोलने के लिए अक्सर निमंत्रित किया जाता है। उनके पिता आज़ादी से पहले देश के एक प्रमुख इंग्लिश अखबार में प्रबंधक के रूप में लम्बे समय तक लन्दन में रहे थे। शशि थरूर ने तीन शादियाँ की पर तीनों ही असफल रही। उनकी पहली पत्नी तिल्लोत्मा मुख़र्जी से उनके दो बेटे है। दोनों पत्रकारिता में है। एक बेटा टाइम्स मैगज़ीन में से जुदा रहा है तथा दूसरा वाशिंगटन पोस्ट में कालम लिखता है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)