उच्च पद पर आसीन कोई भी सांसद या विधायक सदन में किसी भी समुदाय विशेष को लेकर अकारण बयानबाजी नहीं करे। उनकी छोटी सी टिप्पणी से सोशल मीडिया के कारण ऐसी विवादित बातें पूरे देश में वायरल हो जाती है। हिंसा व आगजनी जैसी घटनाएं होने लगती है। आम जनता में भी इसका गलत संदेश जाता है। वर्तमान समय में देश में ऐसी विकट समस्याएं गरीबी, शिक्षा, रोजगार, कुपोषण, बढ़ती दुष्कर्म की घटनाएं, बढ़ते वृद्ध आश्रम, अनाथ आश्रम जैसे कई मुद्दे हैं जिन पर सदन में सार्थक बहस हो। सरकार का समय व संसद की कार्रवाई स्थगित होने पर करोड़ों रुपए का होने वाला खर्च व्यर्थ ना हो। तत्कालीन सरकार विगत सरकार के कार्यों की आलोचना करती है और फेर बदल करती रहती है, विपक्ष सत्ता सीन सरकार की नीतियों पर हंगामा करते रहते है। सत्ता पक्ष व विपक्ष विचार विमर्श की शैली अपना कर भी अपना पक्ष रख सकते हैं। तभी देश का विकास होगा और ज्वलंत समस्याओं का समाधान हो सकता है।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।