बदहाल चिकित्सा व्यवस्था

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सरकारी निशुल्क चिकित्सा सेवा का आमजन को पूरा लाभ नहीं मिलता है। देश की आबादी के अनुरूप पर्याप्त चिकित्सक ही नहीं है।  कई बार तो चिकित्सक अपनी सीट पर ही नहीं मिलते हैं, मरीज को इधर-उधर भटकना पड़ता है। विशेष कर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले मरीज को ज्यादा परेशानी होती है। चिकित्सक को दिखाने के बाद अगर कोई जांच लिखी जाती है तो संबंधित मशीन ही खराब मिलती है। मजबूरी में निजी अस्पतालों में जांच करवानी पड़ती है और वह मनमानी फीस वसूलते हैं। अमीरों के तो फर्क नहीं पड़ता पर गरीब लोगों को वर्तमान में उपलब्ध निजी चिकित्सा सेवा के खर्चो की पूर्ति के लिए कई बार उधार लेना पड़ता है। सभी सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त चिकित्सकों की भरती की जाए। जांच संबंधी सभी सरकारी मशीनरियों को दुरुस्त रखा जाए। जब आम आदमी को नि:शुल्क सरकारी सुविधा का लाभ मिलेगा। 

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)।