कैशलेस हो शराब की बिक्री

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शराब से कई गरीब घरों में तो शायद ही शाम का चूल्हा जलता होगा मजदूर दिन भर कमाई करके शराब में सारे पैसे उड़ा कर के फिर घर जाता है। अगर सरकार राजस्व के लालच में पूर्ण शराब बंदी नहीं कर सकती तो शराब की बिक्री को कैशलेस कर दिया जाए। गरीब और श्रमिक वर्ग के खाते नहीं होते, अगर किसी बैंक में है भी  तो इतनी राशि नहीं होती कि वह रोज शराब पी सके। अमीर वर्ग अत्यधिक शराब का सेवन करता है, इससे उसका खाते का धन भी बाहर आ जाएगा। शराब बिक्री को आधार कार्ड से भी लिंक कर दिया जाए तो शराब की कितनी बिक्री हुई वह भी ऑन द रिकॉर्ड हो जाएगी। अवैध तस्करी पर भी पाबंदी लग जाएगी। दुकानों का खोलने व बंद करने का समय तय करने से कुछ नहीं होगा। पीने वाले तो पहले से ही खरीद कर रख लेंगे। 

लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ़ (राजस्थान )