ट्रम्प का शपथ ग्रहण समारोह और कुम्भ-स्नान

लेखक : रमेश जोशी 

व्यंग्यकार, साहित्यकार एवं लेखक, प्रधान सम्पादक, 'विश्वा', अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति, यू.एस.ए., स्थाई पता : सीकर, (राजस्थान)

ईमेल : joshikavirai@gmail.com, ब्लॉग : jhoothasach.blogspot.com सम्पर्क : 94601 55700 

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अमेरिका में धुंध छँट गई। उसे ग्रेट बनाने वाला लोकतंत्र का 79 वर्षीय ट्रम्प रूपी सूरज दमक रहा है। लेकिन हमारे यहाँ आज फिर धुंध शुरू हो गई। बरामदे में बैठने का प्रश्न ही नहीं। मन तो रजाई में से निकलने का भी नहीं हो रहा। हालाँकि महिला अघोरी चंचलनाथ तरह तरह की आधुनिक वेशभूषाओं में सजकर गंगा तट पर घूम रही है। भागा दिए गए हर्षा रिछारिया और तथाकथित आई आई टी बाबा अब भी मीडिया में छाए हुए हैं। सारी आस्था के बावजूद स्टीव जॉब्स की विधवा हाथ की एलर्जी से परेशान होकर, कल्पवास छोड़कर भूटान चली गई हैं। सुना है राजनाथ सिंह ने भी डुबकी लगा ली है। ठीक है, क्षत्रिय हैं, रक्षामंत्री हैं, युवा हैं; नहाने का साहस जुटा सकते हैं।  

इन्नोवेटिव गोदी मीडिया ने कृत्रिम मेधा के बल पर शी जिन पिंग, पुतिन और शपथ ग्रहण के व्यस्त कार्यक्रम में से निकलवा कर ट्रम्प को भी कुम्भ में स्नान करवा दिया है। गंगा-स्नान तो मोदी जी ने भी किया ही होगा लेकिन प्रचार और प्रदर्शन से दूर रहने वाले संकोची प्राणी है इसलिए कहीं स्नान करते हुए फ़ोटो दिखाई नहीं दिया। वैसे न करें तो भी कोई बात नहीं; गंगा-पुत्र जो हैं।  

जिस अनंत अंबानी को योगी जी खुद निमंत्रण-पत्र देकर आए थे वह कहीं कुम्भ स्नान करता दिखाई नहीं दिया। हम भी नहीं गए। सर्दी से जान बचेगी तो कुम्भ भी नहा आएंगे। गंगा कौनसी भागी जा रही है। हमारी गंगा तो रैदास की तरह हमारे कठौते में ही है। अंधविश्वासियों के लिए ईश्वर किसी खास स्थान, दिन और समय पर सक्रिय होता है। हमारे लिए तो ईश्वर सर्वव्यापी और कण-कण में व्याप्त है। सुना है गीता प्रेस के पंडाल में आग लग गई। हो सकता है सुंदरकांड की प्रतियां अधिक संख्या में रखी हुई हों। आग सुंदरकांड में ही लगती है फिर चाहे वह पंडाल में हो या मस्जिद के सामने। आग में भस्म तो आचार्य प्रशांत की किताबों का स्टाल भी हो गया लेकिन उसके पीछे कोई सुंदर-असुंदर कांड नहीं बल्कि सबसे बड़े आध्यात्मिक देश के धर्म-प्राण बाबा बताए जाते हैं जिनके आडंबर को उपनिषदों का अध्यात्म बर्दाश्त नहीं होता।   

हम रजाई में घुसे-घुसे कुम्भ की काल्पनिक यात्रा कर ही रहे थे कि सड़क से तोताराम का दीर्घ स्वर सुनाई दिया- भाभी, मास्टर का कोई समाचार आया कि नहीं? हमें आश्चर्य हुआ। हम सीकर में सदेह उपस्थित हैं और यह पत्नी से हमारे हालचाल पूछ रहा है। हमीं ने ऊँची आवाज में उत्तर दिया। हम यहीं हैं, अंदर आजा। हमें अभी भी 18 महिने के डीए के एरियर का इंतजार है इसलिए ऐसी ठंड में गंगा-स्नान करके दिवंगत नहीं होना चाहते। लेकिन आज हमारे समाचार अपनी भाभी से क्यों पूछ रहा है और वह भी सड़क पर से ही।  

(फोटो : साभार)

बोला- मैंने सोचा, अपने समधी, ईशा अंबानी पीरामल के पापा मुकेश भाई अपने व्यक्तिगत प्लेन से ट्रम्प के शपथ-ग्रहण समारोह में गए है तो शायद तू भी चला गया हो। इतना बड़ा प्लेन होता है, दे दी होगी लिफ्ट। लोग तो लटककर चले जाते हैं । तेरे पास वीजा तो है ही।  

हमने कहा- अगर हम कहते तो मुकेश भाई मना तो नहीं करते लेकिन सुना है उनके साथ खाने का एक आदमी का रेट 85 करोड़ रुपए है। वह कहाँ से लाते? 

बोला- खाने का क्या है। चाहता तो ब्राह्मण है पाँच-सात दिन का उपवास भी कर सकता है ।मोदी जी तो नवरात्र में नौ दिन उपवास करते हैं। और नहीं तो अपने साथ गुड़ और बाजरे की 15-20 रोटियाँ ले जाता।  

हमने कहा- ट्रम्प राष्ट्रपति है  लेकिन मूलतः तो धंधा करने वाला ही है ।भले ही दो रोटियाँ ही खाओ या न खाओ लेकिन पैसे पूरी एक डाइट के लेता।  

बोला- अगर तेरे खाने के पैसे मुकेश भाई दे देते तो? 

हमने कहा- तो भी हम नहीं जाते। व्यापारियों का तो क्या है? उन्हें सबके साथ धंधा करना होता है। वे सबको खुश रखते हैं। जैसे अंग्रेजों के समय में जो सेठ गाँधी जी की मदद करते थे तो अंग्रेजों को भी वार फंड में चन्दा देते थे । क्या यहाँ के सेठों ने इलेक्ट्रॉल बॉण्ड भाजपा के साथ साथ कांग्रेस, आप आदि को नहीं भी दिए ? विष्णु हरि डालमिया विश्व हिन्दू परिषद में थे तो क्या उनके पुत्र मुलायम सिंह से साथ नहीं थे ?  

हम धंधा नहीं करते। हम सच्चे भक्त हैं। जब ट्रम्प ने विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता हमारे मोदी जी को नहीं बुलाया तो हम थूकते हैं ऐसे निमंत्रण पर। अबकी बार अमेरिका जाना हुआ और ट्रम्प ने मिलने की इच्छा ज़ाहिर की तो भी हम साफ मना कर देंगे। आखिर राष्ट्र और राष्ट्र-पुरुष के मानापमान का प्रश्न जो है। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)