लॉस एंजेलेस में भीषण जंगल की आग : जलवायु परिवर्तन बना खलनायक

निशांत की रिपोर्ट 

लखनऊ (यूपी) से 

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लॉस एंजेलेस में जनवरी 2025 की शुरुआत में लगी जंगल की आग ने इतिहास में सबसे विनाशकारी आग के रूप में अपनी छाप छोड़ी है। 28 लोगों की मौत, 10,000 से अधिक घरों का नष्ट होना, और लाखों लोगों का जहरीले धुएं से प्रभावित होना इस त्रासदी की भयावहता को दर्शाता है। वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने इस आपदा को और घातक बना दिया।

आग के फैलने के कारण

वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते तेल, गैस और कोयले के अत्यधिक उपयोग से:

आग के लिए अनुकूल गर्म, शुष्क और तेज़ हवाओं वाले हालात 35% अधिक संभावित हो गए हैं।

अक्टूबर-दिसंबर के बीच होने वाली बारिश में भारी कमी देखी गई है, जिससे सूखी वनस्पति ज्वलनशील बन रही है। यह कमी अब पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में 2.4 गुना अधिक संभावित है।

आग के अनुकूल स्थितियां अब हर साल लगभग 23 दिन अधिक समय तक बनी रहती हैं, जिससे सर्दियों में भी जंगल की आग का खतरा बढ़ गया है।

विशेषज्ञों की राय

इंपीरियल कॉलेज लंदन के सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल पॉलिसी की डॉ. क्लेयर बार्न्स का कहना है, "जलवायु परिवर्तन ने इन आगों के जोखिम को और अधिक बढ़ा दिया है। सर्दियों में सूखा और तेज़ हवाएं, जो पहले कम होती थीं, अब जंगल की आग को बड़े पैमाने पर फैलाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।"

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया के प्रोफेसर पार्क विलियम्स ने इस घटना को "परफेक्ट स्टॉर्म" कहा। उन्होंने कहा, "तेज़ हवाएं, सूखी वनस्पतियां, और शहरी क्षेत्रों में आग का प्रवेश एक ऐसी स्थिति पैदा करते हैं जहां नुकसान को नियंत्रित करना लगभग असंभव हो जाता है।"

आग की भयावहता

इस आग की शुरुआत 7 जनवरी को हुई, जब सांता आना पहाड़ियों से चलने वाली तेज़ हवाओं ने सूखी घास और झाड़ियों को जलाने में मदद की। आग तेजी से शहरी क्षेत्रों में फैल गई, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई।

28 लोगों की मौत में से 17 मौतें वेस्ट ऑल्टाडेना इलाके में हुईं, जहां चेतावनी प्रणाली में देरी दर्ज की गई।

आग ने शहरी इलाकों में प्रवेश करके 10,000 से अधिक घरों को नष्ट कर दिया।

विषैली धुएं की वजह से वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक गिर गई, जिससे लाखों लोगों की सेहत पर असर पड़ा।

समाधान की दिशा में कदम

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने और नुकसान कम करने के लिए:

1. जल वितरण प्रणाली को मजबूत करना: ईटन और पालिसैड्स क्षेत्रों में पानी की कमी ने आग बुझाने के प्रयासों को बाधित किया।

2. हाई-रिस्क इलाकों में निर्माण के मानक: घरों को आग-रोधी डिज़ाइन के साथ बनाना होगा।

3. प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में सुधार: आग के खतरे वाले क्षेत्रों में तेजी से चेतावनी और निकासी सुनिश्चित करनी होगी।

भविष्य की चेतावनी

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर वर्तमान दर पर जलवायु परिवर्तन जारी रहा, तो ऐसे हालात और गंभीर हो सकते हैं। 2100 तक तापमान 2.6°C बढ़ने की संभावना है, जिससे आग के लिए अनुकूल स्थितियां 35% अधिक बार हो सकती हैं।

डॉ. फ्रेडरिक ओटो ने चेताया, "चाहे यह विनाशकारी आग हो या भयंकर तूफान, जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभाव अब हर कोने में महसूस किए जा रहे हैं। अगर जीवाश्म ईंधनों का जलना बंद नहीं हुआ, तो आने वाले समय में हालात और बदतर होंगे।"

निष्कर्ष

लॉस एंजेलेस की इस आग ने दुनिया को एक और चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल भविष्य की समस्या नहीं है, बल्कि वर्तमान का संकट है। अब समय आ गया है कि हम नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ें और एक सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करें। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार हैं)