वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं विभिन्न मामलों के ज्ञाता
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आज़ादी के बाद समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो और टेलीविजन के पाठकों, श्रोताओं तथा दर्शकों की संख्या तेजी से बढ़ी। मगर इन में काम करने वाले प्रशिक्षित पत्रकारों और अन्य संचार कर्मियों की संख्या बहुत धीमी गति से बढ़ी क्योंकि केवल 16 राज्यों के पच्चीस विश्व विद्यालयों ने ही पत्रकारिता और जनसंचार विभागों की स्थापना आज़ादी के बाद के 31 वर्षों में की। इन सबमें सीमित संसाधन थे। इसलिए वे जितने प्रायोगिक अभ्यास होने चाहिए थे, उतने नहीं करा पाए पत्रकारिता और जनसंचार में दक्षता। कक्षा में भाषण सुनने या घर पर बैठकर पुस्तकें पढ़ने से नहीं आ सकती। इसके लिए आम जनता के साथ लगातार संवाद बनाए रखना जरुरी है। छापाखाना, रेडियो स्टूडियो, टी.वी. स्टुडियो, कम्प्यूटर, और अच्छा पुस्तकालय होना भी आवश्यक है। दैनिक समाचारपत्रों, रेडियो, संवाद समिति, टी.वी. स्टूडियो और खेल के मैदानों के अलावा नगर निगम, विधानसभा और संसद की बैठकों में जाना भी जरूरी है। विश्वविद्यालयों, सांस्कृतिक आयोजनों, कला प्रदर्शिनी, प्रेस कांफ्रेंस, आम सभाओं आदि की जानकारी भी रखनी चाहिए। आज़ादी के बाद के 31वर्षों में भारत में
सबसे अधिक (4) पत्रकारिता व जन संचार विभाग महाराष्ट्र में खुले। इसके बाद तीन विभाग पंजाब में खुले।चार राज्यों (उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु) में दो दो विभाग खुले। दस राज्यों [हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिमी बंगाल और असम (शुद्ध शब्द अहोम)] में एक एक विभाग खुला।
भाषा की दृष्टि से देखा जाए तो अंग्रेजी में 13 पत्रकारिता और जन संचार विभाग पढ़ा रहे हैं और परीक्षा ले रहे हैं। सात विश्वविद्यालयों में पढ़ाई हिन्दी में होती है। ये हैं 1.राजस्थान 2. गढ़वाल 3. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय 4. जबलपुर 5. रामपुर 6. महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक 7. पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला। नागपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाई अंग्रेजी में होती हैं मगर परीक्षा अंग्रेजी, हिन्दी और मराठी में दे सकते हैं। उस्मानिया विश्वविद्यालय में तेलुगु पत्रकारिता के बारे में एक प्रश्न पत्र है। पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में 200 अंकों का एक ऐच्छिक प्रश्नपत्र हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेजी पत्रकारिता के बारे में।
यह व्यावहारिक पत्रकारिता के बारे में है। पूना विश्वविद्यालय में बी. जे. पाठ्यक्रम अंग्रेजी में और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम मराठी में है। वीर शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर और मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में मराठी में पढ़ाते हैं और उसी भाषा में परीक्षा लेते हैं।सबसे पहले मराठी में 1968 में पत्रकारिता पढ़ाई गई।इसी वर्ष हिंदी में जबलपुर में व्यवस्था हुई। (लेखक के अपने निजी विचार है।)